डंके की चोट पर : किसानों को सरकार के मास्टर प्लान की लग गई भनक?, इसलिए नहीं हुआ समझौता

आंदोलन कर रहे किसानों से सरकार की बात नहीं बन पा रही है। केंद्र और किसान नेताओं के बीच नए कृषि संबंधी कानूनों को लेकर शुक्रवार को 11वें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही। पिछली बातचीत में सरकार ने किसानों को डेढ़ साल तक कानूनों पर रोक लगाने का प्रस्ताव दिया था और आज इसी प्रस्ताव को सरकार ने फिर दोहराया। हालाकि किसान संगठनों ने कल ही सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। सरकार ने कानून दो साल रोकने की बात भी कही है लेकिन किसान इसके लिए तैयार नहीं हैं। कानून पर रोक लगाने के केंद्र के फैसले को लेकर मोदी सरकार ने अभी तक कोई कारण नहीं बताया है। लेकिन, ये कयास लगाए जा रहे हैं कि केंद्र के इस फैसले के पीछे राजनीतिक वजहें हैं। समझा जाता है कि किसानों को सरकार के इस मास्टर प्लान की भनक लग गई है जिसके चलते अब वे भी कानून वापसी से कम पर समझौता करने को तैयार नहीं हैं। दरअसल, कई राज्यों में इन दो सालों में विधानसभा चुनाव होने हैं। और हाल के दिनों में चल रहे किसान आंदोलन के बीच हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाले मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार संकट में है। घटक दल जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) प्रमुख और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पर लागातार दवाब बन रहे हैं। वहीं, इसी साल बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं और विपक्ष सरीखे पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी लगातार मोदी सरकार को निशाने पर ले रही है। उत्तर प्रदेश में साल 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं जबकि असम, केरल, तमिलनाडु में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। हरियाणा में सात सीटों पर हुए निकाय चुनाव में से पांच सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। जबकि एक सीट पर हुए बरोदा विधानसभा उप चुनाव में भी भाजपा को मुंह की खानी पड़ी। अब देखना होगा कि केंद्र कानूनों को रोकने को लेकर क्या कारण बताती है।

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