मिलिए आशीष गुप्ता से जिसके चेहरे की मुस्कान से हार भी हैरान रहती है

चार्टेड अकॉउंटेंट बनने से ज्यादा छह बार की असफलता ने बहुत कुछ सीखा दिया


लगातार एक के बाद एक असफलता अच्छे खासे इंसान की दिशा- दिशा और सोच को बदल देती है। वह थककर अलग रास्ते चल पड़ता है। मुम्बई के आशीष गुप्ता पुत्र स्व. सुभाष गुप्ता माता ननीता गुप्ता ने इससे उलट किया। वह चार्टेड अकॉउंटेंट की फाइनल ईअर की परीक्षा में लगातार छह बार असफल रहा वह भी बहुत कम अंतर से। शुरू की असफलता ने उसे झकझोरा बाद में उसने खुद को इतना बदल लिया की अपनी हार में जीत से भी बढ़कर आनंद लेने लगा। एक फरवरी को जब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश कर रही थी उसी दौरान सीए का रजल्ट घोषित हुआ। आशीष मानसिक तौर पर पहले ही तैयार था। उसने रूटीन की तरह देखा और पास हुआ तो मुस्करा दिया। ना जोश में आकर चिल्लाया और ना हीं ऐसी प्रतिक्रिया की मानो कोई जंग जीत लो। दरअसल इस युवा ने हार-जीत को बराबर के तराजु में तोलना सीख लिया था। इसलिए वह उतना ही मुस्कराया जितना वह लगातार मिल रही हार में मुस्काराता था। 2012 में 12 वीं करने के बाद आशीष ने सीए के लिए सीपीटी टेस्ट उसके बाद सीए फाउंडेशन की परीक्षा पास की। 2016 में इंटर्नशिप पूरी करने के बाद फाइनल ईअर की परीक्षा में जुट गया। कुल  8 में चार पेपर क्लीयर कर लिए शेष में असफल रहा। उसमें पास होने के लिए वह लगातार परीक्षा देता रहा। एक बार बीच में ड्राप भी किया। छह बार लगातार असफल होने से अच्छे खासों का धैर्य जवाब देने लग जाता है लेकिन आशीष इस तरह की असफलता में जीत जैसा आनंद लेने लगा था। एक तरफ वह एक कपंनी में जॉब करता रहा दूसरी तरफ इसकी तैयारी। आशीष की यह सफलता इसलिए खास है क्योंकि वह लगातार असफलताओं के रास्ते से होकर गुजरी है जिसमें खुद पर धैर्य एवं मानसिक तोर पर मजबूत रहना भी जिंदगी की किसी बड़ी परीक्षा से कम नहीं है।

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