रणघोष अपडेट :- साभार – दैनिक भास्कर
27 दिसंबर 2024 को टेलिस्कोप की मदद से स्पेस में एक एस्टेरॉयड देखा गया। तब ये पृथ्वी से दूर जा रहा था। जब इस पर और स्टडी की गई तो पता चला कि एक फुटबॉल फील्ड जितनी बड़ी ये चट्टान दो दिन पहले ही पृथ्वी के बहुत करीब से गुजरी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये एस्टेरॉयड दोबारा वापस आएगा और 22 दिसंबर 2032 को इसके पृथ्वी से टकराने की संभावना है।
ये एस्टेरॉयड कितना बड़ा है, इसके पृथ्वी से टकराने की संभावना कितनी है, क्या इसका रास्ता मोड़ा नहीं जा सकता; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…
सवाल 1: इस एस्टेरॉयड के बारे में पता कैसे चला?
जवाब: दक्षिण अमेरिकी देश चिली में अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का एक सेंटर है। इसे ‘द एस्टेरॉयड टेरेस्ट्रियल-इम्पैक्ट लास्ट अलर्ट सिस्टम’ यानी ATLAS कहते हैं। 27 दिसंबर 2024 को एस्ट्रोनॉमर्स यानी खगोलविदों ने एटलस के टेलिस्कोप की मदद से पहली बार इस क्षुद्रग्रह को देखा। इसे नाम दिया गया- 2024 YR4।
31 दिसंबर 2024 को इसे नासा की सेंट्री रिस्क टेबल में शामिल कर लिया गया था। इस लिस्ट में पृथ्वी के पास के ऐसे एस्टेरॉयड को रखा जाता है, जिनसे आने वाले समय में पृथ्वी को किसी भी तरह का खतरा होने की आशंका होती है। आगे की स्टडी से पता चला है कि यह 22 दिसंबर 2032 को हमारे ग्रह यानी पृथ्वी से टकरा सकता है।
सवाल 2: इस एस्टेरॉयड के पृथ्वी से टकराने की संभावना कितनी है?
जवाब: 2024 YR4 एक जगह स्थिर नहीं है, बल्कि लगातार घूम रहा है। जनवरी से ही एस्ट्रोनॉमर्स दुनिया भर के कई टेलिस्कोप से इस पर नजर बनाए हुए हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक, 25 दिसंबर को यह पृथ्वी से महज 8 लाख किलोमीटर दूर था। इस दूरी को ऐसे समझिए कि पृथ्वी से चंद्रमा इसकी करीब आधी दूरी पर है। 27 दिसंबर को एटलस की दूरबीन पर पहली बार नजर आने के बाद से यह एस्टेरॉयड पृथ्वी से दूर जा रहा है।
यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) ने एक बयान में कहा है,
अगले कुछ महीनों में, ये एस्टेरॉयड पृथ्वी से दिखाई देना बंद हो जाएगा। तब ESA ताकतवर दूरबीनों के जरिए एस्टेरॉयड पर नजर रखेगा। पृथ्वी से इसके टकराने की संभावना कितनी है, यह पता लगने से पहले ही ये दूरबीनों की नजर से पूरी तरह ओझल हो सकता है।
हालांकि बीते एक महीने में हुई स्टडी से इसके सूरज के चारों तरफ चक्कर लगाने के बारे में पता चला है, लेकिन अभी यह साफ नहीं है कि इसकी ऑर्बिट क्या है, मतलब ये किस रास्ते पर चक्कर लगा रहा है।
इसके रास्ते के बारे में अनिश्चितता करीब 1 लाख किलोमीटर है। इस अनिश्चितता का मतलब यह है कि मौजूदा तकनीकों का इस्तेमाल करके वैज्ञानिक अभी सिर्फ यही कह सकते हैं कि यह एस्टेरॉयड पृथ्वी के चारों तरफ 1 लाख किलोमीटर के इलाके से गुजर सकता है। वहीं पृथ्वी का व्यास 12,756 किलोमीटर है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह 22 दिसंबर 2032 को पृथ्वी के बहुत करीब से गुजरेगा। उनका कैलकुलेशन कहता है कि इसकी पृथ्वी से भीषण टक्कर की संभावना अभी 77 में से 1 है। यानी 100 में से करीब 1.3%। नासा के मुताबिक, अगर 2032 में यह पृथ्वी से टकराएगा, तो उस समय इसकी स्पीड करीब 61,155 किलोमीटर प्रति घंटा होगी।
सवाल 3: टक्कर होने वाली है, इसकी पुख्ता जानकारी कब आएगी?
जवाब: दिसंबर 2028 में यह एस्टेरॉयड पृथ्वी के बेहद करीब से गुजरेगा। तब इसकी पृथ्वी से दूरी करीब 80 लाख किलोमीटर होगी। तब वैज्ञानिकों को इसके साइज और ऑर्बिट के बारे में कुछ और सटीक जानकारियां मिल सकती हैं। तभी यह भी पता लग सकेगा कि 2032 में इसकी पृथ्वी से कोई टक्कर होगी भी या नहीं। साथ ही अगर टक्कर होगी तो यह पृथ्वी के आबादी वाले हिस्से से टकराएगा या कहीं निर्जन इलाके में गिरेगा।
सवाल 4: क्या यह अपना रास्ता बदलकर पृथ्वी से दूर भी जा सकता है?
जवाब: अब तक सामने आए डेटा के आधार पर 2024 YR4 को ‘टोरिनो इम्पैक्ट हजार्ड स्केल’ पर लेवल 3 रेटिंग दी गई है। इस स्केल पर पृथ्वी के लिए खतरनाक उल्का पिंडों और एस्टेरॉयड को 0 से लेकर 10 तक रेटिंग दी जाती है। आगे की स्टडी के लिए अमेरिका का इंटरनेशनल एस्टेरॉयड वार्निंग नेटवर्क (IAWN) और स्पेस मिशन प्लानिंग एडवाइजरी ग्रुप (SMPAG) को एक्टिव किया गया है।
यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) के मुताबिक, अप्रैल में जब ये दूरबीनों की नजर से भी पूरी तरह ओझल होगा, तब इसे नए डेटा के आधार पर टोरिनो इम्पैक्ट हजार्ड स्केल में जीरो रेटिंग दी जा सकती है। मतलब तब यह कुछ समय के लिए पूरी तरह पृथ्वी के लिए खतरे की रेंज से बाहर चला जाएगा।
सवाल 5: अगर टक्कर हुई तो यह एस्टेरॉयड कितनी तबाही ला सकता है?
जवाब: टक्कर से कितनी तबाही होगी, यह एस्टेरॉयड के साइज पर निर्भर करता है। पृथ्वी पर मौजूद टेलिस्कोप किसी भी एस्टेरॉयड से आने वाली रोशनी को मापकर उसके साइज का पता लगाती है। अगर रोशनी ज्यादा है, तो इसका मतलब है कि एस्टेरॉयड बड़ा है। हालांकि इसमें दो और चीजें देखनी होती हैं-
- क्या एस्टेरॉयड ऐसी चीजों से बना है जो सूरज की रोशनी को परावर्तित करती हैं- जैसे कोई चमकदार मेटल।
- एस्टेरॉयड पृथ्वी से कितनी दूर है।
मौजूद डेटा के आधार पर वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका साइज 40 मीटर से 100 मीटर के बीच है, लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है कि 2024 YR4 किस चीज का बना है। संभावना है कि यह चट्टानों का बना है। अगर ऐसा है तो पृथ्वी से टकराने पर ये पहले हवा में एक तेज विस्फोट करेगा। इससे पृथ्वी पर एक तेज शॉक-वेव डेवलप होगी। इससे एक शहर के आकार जितना इलाका नष्ट हो सकता है।
अगर यह किसी ठोस मेटल का बना हुआ है तो अपनी मजबूती के चलते यह पृथ्वी के वायुमंडल को बिना जले पार कर जाएगा और जमीन पर टकराएगा। इससे जमीन पर 1 किलोमीटर चौड़ा और 200 मीटर तक गहरा गड्ढा हो सकता है। ये घटना एरिजोना में उल्कापिंड गिरने की तरह ही होगी। हालांकि इससे बड़ी तबाही नहीं होगी।
सवाल 6: अगर टक्कर होनी तय हो गई तो क्या इसे रोका जा सकता है?
जवाब: पृथ्वी पर 3 अरब सालों से ज्यादा समय से जीवन मौजूद है। एस्ट्रोफिजिक्स के जानकार प्रोफेसर जोंटी हॉर्नर एक आर्टिकल में लिखते हैं, इन 3 अरब सालों में कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि जीवों को स्पेस से आने वाले किसी खतरे के बारे में पहले से पता चल गया हो। हालांकि बीते कुछ सालों में वैज्ञानिकों ने पृथ्वी पर टकराने से पहले ही 11 एस्टेरॉयड खोजे हैं।’
इसके अलावा 2022 में नासा ने एक सफल टेस्ट किया है, जिसके जरिए पृथ्वी पर टकराने से पहले ही स्पेस में किसी एस्टेरॉयड का रास्ता बदला जा सकता है। इसे नासा का DART मिशन यानी ‘डबल एस्टेरॉयड रिडायरेक्शन टेस्ट’ कहा जाता है।
इसके तहत 24 नवंबर 2022 को नासा ने स्पेसएक्स का फाल्कन 9 रॉकेट लॉन्च किया था। ये रॉकेट एक 570 किलोग्राम के बॉक्स के आकार के स्पेसक्राफ्ट को स्पेस में लेकर गया था। नासा ने इस स्पेसक्राफ्ट की टक्कर 160 मीटर व्यास वाले ‘डिमोर्फोस’ नाम के एक एस्टेरॉयड से करवाई।
इससे डिमोर्फोस की दिशा बदल गई और वह 22,530 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से एक अलग दिशा में चला गया। अगर यह एस्टेरॉयड भी पृथ्वी के नजदीक आया तो समय रहते नासा जैसी स्पेस एजेंसियां स्पेसक्राफ्ट से टक्कर करवाकर इसका रास्ता बदल सकती हैं।
सवाल 8: एस्टेरॉयड पृथ्वी से टकराते क्यों हैं?
जवाब: सौर मंडल के बाकी ग्रहों की ही तरह पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है। हालांकि सौर मंडल में सिर्फ गृह नहीं हैं। आपने रात को आसमान में कभी न कभी उल्कापिंडों की तेज रोशनी जरूर देखी होगी। ये हमारे सौर मंडल के छोटे-छोटे उल्कापिंडों या धूमकेतु की रोशनी होती है। ये उल्का पिंड हमेशा से मौजूद हैं और ये एस्टेरॉयड का ही छोटा हिस्सा होते हैं। हालांकि ये इतने छोटे होते हैं कि इनकी टक्कर हो जाए तो भी पृथ्वी पर कोई खतरा पैदा नहीं होता, ये पृथ्वी के वायुमंडल में आने पर जल जाते हैं।
वहीं कई बार स्पेस में दूर से आ रहे कुछ एस्टेरॉयड भी हमारे सौर मंडल से गुजरते हैं। ये अलग-अलग साइज के होते हैं। कई तरह के मटेरियल से बने होने के चलते इन पर सूरज का गुरुत्वाकर्षण भी अलग-अलग होता है। गुरुत्वाकर्षण के चलते कई बार ये एक ऑर्बिट में सूरज का चक्कर लगाने लगते हैं। इस दौरान ये सौर मंडल के दूसरे ग्रहों के रास्ते में भी आ जाते हैं। पृथ्वी से भी टक्कर का खतरा बना रहता है। कई बार टक्कर होती भी है।