कप्तान अब हार चुकी कांग्रेस को हराना चाहते हैं, कहीं राजनीति में भष्मासुर ना बन जाए

रणघोष खास. सुभाष चौधरी

दक्षिण हरियाणा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव पिछले दो दिनों से कांग्रेस के खिलाफ सोशल मीडिया प्लेटफार्म से मोर्चा खोले हुए हैं। यह सोचना ओर मानना धोखा हो सकता है की कप्तान आवेश में आकर, बौखलाहट से या जल्दबाजी में इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं। वे एक सोची समझी रणनीति के तहत ऐसा कर रहे हैं। यह भी एक राज है जिसका भी जल्द ही खुलासा होगा। कमाल की बात यह है की कप्तान उस समय कांग्रेस पर हमला कर रहे हैं जब रेवाड़ी सीट से  उनके बेटे चिरंजीव राव की हार में कांग्रेस कोई वजह नही थी। असल सच यह है की कप्तान परिवार को इस चुनाव में अभी तक सबसे ज्यादा 54 978 वोट प्राप्त किए। हार की वजह कप्तान का जीरो प्रबंधन था। उनकी हालत उस पिता की तरह थी जो बेटी की शादी में टैंट, हलवाई का काम भी खुद देख रहा था और शादी की तमाम रस्में भी निभा रहा था। समर्थकों के नाम पर अधिकतर उनके पास ऐसा जमावड़ा था जिसने पूरे चुनाव में कप्तान को एटीएम की तरह इस्तेमाल किया। शहर के कुछ पार्षदों की वाटसअप पर हुई चेंटिंग ओर वायरल हुई विडियो से यह साबित हो रहा था की इस सीट पर जीत के लिए पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है। अगर यह दावा गलत है तो इस मामले को अभी तक क्यों दबाया हुआ है। अगर कांग्रेस सामने आकर इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग नही करती है तो वह पूरी तरह से संदेह के घेरे में हैं। अगर भाजपा सरकार बनाने के बाद यहां के विधायक और भाजपा संगठन इस पर एक्शन नही लेते हैं तो यह उनका खेला माना जाएगा। जो पार्षद को खुद को निर्दोष होने का दावा कर रहे हैं। अगर वे चुप रहते हैँ तो समझ जाइए पूरी दाल ही काली थी। देखा जाए तो   कप्तान पूरे चुनाव में अपनी जीत को लेकर शुरूआत में ही नशे में आ चुके थे। जिसके लक्षण कांग्रेस प्रत्याशी चिंरजीव राव के बयानों से नजर आए। खुद को ही डिप्टी सीएम घोषित कर देना, टिकट मिलने से पहले ही नामाकंन की तिथि फाइनल कर देना यह साबित कर रहा था की वे कांग्रेस को अपनी जेब में लेकर चल रहे थे। अब हार गए तो कांग्रेस प्रबंधन को जिम्मेदार मान रहे हैं। इतना ही नही कप्तान की कोर टीम में वे चेहरे भी थे जो जनता के सामने इसलिए नही आ रहे थे उन्होंने सरकारी पदों पर रहकर कांग्रेस सरकार में जमकर जमकर लूटा था। समर्थकों के नाम पर उनके पास बाजारू टीम ज्यादा थी जिसका काम सुबह शाम कप्तान परिवार को हरा ही हरा दिखाना था।

 सबकुछ गंवाने के बाद अब कांग्रेस का खुलासा करेंगे

 कप्तान ने कहा की इस्तीफा स्वीकार होते ही वे कई खुलासा करेंगे जिसकी वजह से वे पिछले दो सालों से कांग्रेस के कुछ नेताओं की वजह से  मानसिक तौर पर परेशान चल रहे थे। कप्तान यह भूल गए की इन सालों में उन्हें कांग्रेस में कई अहम बड़ी जिम्मेदारियां मिली। भारत जोड़ो यात्रा में वे राहुल गांधी के साथ कदमताल करते हुए नजर आए। देशभर में पार्टी की तरफ से ओबीसी विभाग का राष्ट्रीय संयोजक होने के तोर पर प्रचार किया।पूर्व सीएम भूपेंद्र हुडडा से अपने रिश्तों को लेकर भी करीब नजर आए। इन सालों में ऐसा बहुत कुछ किया जिसमें दक्षिण हरियाणा से वही सबसे बड़ा चेहरा नजर आ रहे थे। इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता में वापसी नही कर पाई लेकिन 37 सीटें जीतकर वह सम्मानजनक विपक्ष की भूमिका में पूरी तरह से नजर आ रही है।

  कप्तान के भाषण में रौब ज्यादा मुददे गायब थे

इस सीट पर कप्तान परिवार ने सबसे ज्यादा 50 साल तक राज किया है। दो बार भाजपा को विजय मिली है। जिसमें एक बार भी विधायक को मंत्री बनने का भाजपा सरकार में मौका नही दिया गया। जबकि कप्तान जब भी विधायक बने कांग्रेस सरकार में बड़े मंत्री के तौर पर रहे जिसके चलते रेवाड़ी के लिए बेहतर करने के उनके पास तमाम अवसर थे। उन्होंने अपने समय में किया भी लेकिन वे इस चुनाव में इसका एक प्रतिशत भी फायदा नही ले पाए। जबकि उनके विरोधी कप्तान के समय में हुए कार्यों में जमकर किए गए भ्रष्टाचार के आरोप को मौजूदा हालात से जोड़कर सही साबित करने में कामयाब नजर आए। चुनाव में भाजपा उम्मीदवार लक्ष्मण यादव और आप से प्रत्याशी सतीश यादव का पूरा भाषण कप्तान पर तमाम तरह के अनेक भ्रष्टाचारों के आरोपों में लबालब नजर आ रहा था। कप्तान और चिरंजीव राव बजाय काउंटर अटैक करने के बचते हुए नजर आए। उलटा उनका एक समाज विशेष की टोपी पहनने, बुजुर्ग से गाली गलौज करने जैसे विडियो ज्यादा वायरल हुए। कुल मिलाकर  कप्तान अब हार चुकी कांग्रेस को हराना चाहते हैं। उनके इस कदम से कहीं वे राजनीति में भष्मासुर ना बन जाए जो दूसरों को खत्म करने के चक्कर में खुद पर ही आत्मघाती हमला नही कर दे।