रणघोष अपडेट. नई दिल्ली से
इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से बताया कि केंद्र सरकार द्वारा 2025 में जनगणना शुरू करने और 2026 तक इसे पूरा करने की संभावना है। देश की जनसंख्या गिनने की कवायद चार साल की देरी से होगी। कांग्रेस ने जाति जनगणना पर मोदी सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया। कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि एक तरफ जनगणना आयुक्त का कार्यकाल बढ़ाया जा रहा है, दूसरी तरफ सरकार ने जाति जनगणना पर चुप्पी साध रखी है। रिपोर्ट में कहा गया कि जनगणना पूरी होने के बाद, भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार लोकसभा सीटों के परिसीमन की कवायद शुरू करेगी। समझा जाता है कि परिसीमन की कवायद शायद 2028 तक पूरी हो जायेगी। जनगणना कराने की व्यापक रूपरेखा अभी सामने नहीं आई है। लेकिन कांग्रेस ने सोमवार को इसे लेकर सवाल उठाए। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोमवार को एक्स पर लिखा- रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त के कार्यकाल के एक्सटेंशन को अभी-अभी अधिसूचित किया गया है। इसका मतलब है कि 2021 में होने वाली जनगणना, जो लंबे समय से विलंबित है, अब आख़िरकार जल्द ही करवाई जाएगी। लेकिन दो महत्वपूर्ण मुद्दों पर अभी भी कोई स्पष्टता नहीं है।
सर्वदलीय बैठक की मांग
जयराम रमेश ने दोनों मुद्दों को रखते हुए कहा कि 1951 से हर जनगणना में होती आ रही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की गणना के अलावा क्या इस नई जनगणना में देश की सभी जातियों की विस्तृत गणना शामिल होगी? भारत के संविधान के अनुसार ऐसी जाति जनगणना केंद्र सरकार की ज़िम्मेदारी है। उन्होंने कहा- क्या इस जनगणना का इस्तेमाल लोकसभा में प्रत्येक राज्य के प्रतिनिधियों की संख्या निर्धारित करने के लिए किया जाएगा जैसा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 82 में प्रावधान है (जो कहता है कि ऐसे किसी पुनर्गठन का वर्ष 2026 के बाद की गई पहली जनगणना और उसके रिजल्ट का प्रकाशन आधार होगा)? क्या इससे उन राज्यों को नुक़सान होगा जो परिवार नियोजन में अग्रणी रहे हैं? ऐसे में सबसे सही यही होगा कि इन दो महत्वपूर्ण मुद्दों पर स्पष्टता के लिए जल्द ही एक सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए।