रणघोष अपडेट. विश्वभर से
इसराइल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मंगलवार को घोषणा की कि वह लेबनान में हिजबुल्लाह के साथ युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं। लेबनान में हिज़बुल्लाह के साथ युद्धविराम समझौते के बारे में अपने सुरक्षा कैबिनेट के साथ एक बैठक के बाद एक बयान में, नेतन्याहू ने कहा कि हिज़बुल्लाह “अब पहले जैसा नहीं है” और इसराइल ने इस लड़ाका ग्रुप को “दशकों पीछे” धकेल दिया है। लेकिन नेतन्याहू की यह घोषणा उनके उस कसम वाले बयान के विपरीत है कि हमास और हिजबुल्लाह के खत्म होने तक युद्ध जारी रहेगा। इसराइली प्रधानमंत्री ने इस चिंता को स्वीकार किया कि युद्धविराम जरूरी होने पर लेबनान में फिर से प्रवेश करने की इसराइल की क्षमता को सीमित कर सकता है। नेतन्याहू ने यह कहते हुए निष्कर्ष निकाला, “समझौते को लागू किया जा सकता है, और हम इसे लागू करेंगे।” अमेरिका की मध्यस्थता से इसराइल-हिजबुल्लाह के बीच हुए इस समझौते पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, लेबनान के प्रधानमंत्री नजीब मिकाती ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से इसराइल और हिजबुल्लाह के बीच युद्ध को समाप्त करने के लिए “तेजी से कार्रवाई करने” और “तत्काल युद्धविराम लागू करने” का आह्वान किया है।नेतन्याहू की कैबिनेट ने मंगलवार को इस सौदे को स्वीकार किया। लेबनानी संसद बुधवार सुबह समझौते पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं। हिज़्बुल्लाह नेतृत्व, जो समझौता वार्ता में शामिल नहीं था, ने पिछले सप्ताह ही संकेत दिया था कि यदि इसराइल लेबनान पर हमला करना बंद कर दे और इस देश की संप्रभुता का सम्मान करे तो समूह युद्धविराम समझौते को स्वीकार कर लेगा। यानी इस समझौते में इसराइल को ही झुकना पड़ा है। हालांकि पश्चिमी मीडिया इस बात को रेखांकित नहीं कर रहा है।बेरूत में अमेरिकी विश्वविद्यालय के एक प्रतिष्ठित विश्लेषक रामी खौरी ने अल जज़ीरा को बताया कि इसराइल और लेबनान के बीच युद्धविराम समझौते पर “बहुत सावधानी से काम किया गया है” और इसलिए कम से कम शुरुआती चरणों में सफल होने की उम्मीद की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सौदा लंबी अवधि तक कायम रहेगा या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि “क्या लेबनानी लोग और इसराइली लोगों के साथ समान व्यवहार किया जाता है।” यानी न तो हिजबुल्लाह इसराइलियों को मारे और न ही इसराइल लेबनानी लोगों पर हमले करे। उन्होंने कहा यह इस बात पर निर्भर करेगा कि क्या यूएसए, फ्रांस और यूके “अपने औपनिवेशिक तरीकों को छोड़ने और यह सुनिश्चित करने के लिए काम करने के लिए तैयार हैं कि लेबनानी और इसराइल दोनों एक-दूसरे के लिए सुरक्षित रहें … सीमा पर कड़ी निगरानी हो और शांति बहाली, राहत कार्यों के लिए संयुक्त राष्ट्र की गतिविधियां भी जारी रहे।”इसराइल और हिजबुल्लाह के बीच युद्धविराम तनाव कम करने की दिशा में एक नाजुक कदम ही है। यह मध्य पूर्व में संघर्ष को बढ़ावा देने वाले गहरे तनाव का समाधान नहीं करता है। अगर इसराइल किसी भी वजह से फिर से लेबनान की सीमा में हमला करता है तो यह सीज फायर फौरन टूट जाएगा क्योंकि हिजबुल्लाह भी उसका फौरन जवाब देगा।हालांकि दक्षिणी लेबनान से हिजबुल्लाह का पीछे हटना ईरान के लिए एक झटका भी माना जा रहा है, जिसने इस्राइल की सुरक्षा को चुनौती देने के लिए समूह को प्रॉक्सी के रूप में इस्तेमाल किया है। फिर भी, ईरान इस विराम का इस्तेमाल अपनी रणनीति को पुन: व्यवस्थित करने और सीरिया, इराक और यमन सहित क्षेत्रीय सहयोगियों के अपने नेटवर्क को मजबूत करने के लिए कर सकता है। लेकिन यह युद्धविराम तेहरान के लिए रणनीतिक हार नहीं है, क्योंकि हिजबुल्लाह का व्यापक मिसाइल जखीरा और राजनीतिक प्रभाव बरकरार है। हिजबुल्लाह के एक प्रवक्ता ने कहा कि हमारा समूह संघर्ष विराम के लिए प्रतिबद्ध होने से पहले यह देखने के लिए इंतजार करेगा कि क्या हमने जो कहा और लेबनानी अधिकारियों ने जिस पर सहमति व्यक्त की थी, उसके बीच कोई मेल है या नहीं। समूह ने यह भी सुझाव दिया कि वह इसराइल के किसी भी हमले का जवाब देने से पीछे नहीं हटेगा।समझा जाता है कि इसराइल के अंदर नेतन्याहू के खिलाफ बने माहौल से मजबूर होकर प्रधानमंत्री ने एक मोर्चा यानी लेबनान में युद्ध बंद करने का फैसला किया है। क्योंकि लेबनान पर हमले से इसराइल को अभी तक कुछ हासिल नहीं हुआ जबकि इसराइल का युद्ध खर्च बढ़ता चला जा रहा है। दूसरी तरफ हमास ने अभी तक इसराइली बंधकों को छोड़ा नहीं है। बंधकों के परिवार इसराइल में रोजाना प्रदर्शन कर रहे हैं। नेतन्याहू पर बंधकों को समझौते के जरिए छुड़ाने का दबाव बढ़ता जा रहा है। इसराइल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष अक्टूबर 2023 में शुरू हुआ, जब हिजबुल्लाह ने दक्षिणी इसराइल पर हमले के बाद हमास के साथ एकजुटता दिखाते हुए इसराइल पर रॉकेट दागे। इसराइल ने लेबनान में एक सैन्य अभियान के साथ जवाब दिया, जिसमें हवाई हमले और जमीनी घुसपैठ शामिल थे। 13 महीने के युद्ध के दौरान, 3,700 लेबनानी, जिनमें से कई नागरिक थे, मारे गए, जबकि लगभग दस लाख विस्थापित हुए। उत्तरी इसराइल को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा, जिसमें 80 लोग हताहत हुए और 60,000 नागरिकों को घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। हाइफा में हिजुबल्लाह के हमलों ने इसराइल को असहाय कर दिया। हालांकि इसराइल पूरी सूचना बाहर नहीं आने दे रहा है लेकिन समझा जाता है कि हाइफा में उसे जबरदस्त नुकसान हुआ है। इसराइल ने युद्ध के दोनों मोर्चों पर हमास और हिजबुल्लाह को हालांकि काफी नुकसान पहुंचाया है। हमास और हिजबुल्लाह के प्रमुख नेता इसराइली हमले में मारे जा चुके हैं। लेकिन दोनों संगठन खत्म नहीं हुए हैं। हिजबुल्लाह को बड़ा नुकसान हुआ, जिसमें उसके नेता हसन नसरल्लाह और कई शीर्ष कमांडरों की हत्या भी शामिल है। इसराइल का दावा है कि संघर्ष ने हिजबुल्लाह के सैन्य बुनियादी ढांचे को काफी कमजोर कर दिया है। इसके बावजूद हिजबुल्लाह ने हाइफा में तबाही मचा दी है।