रणघोष की सीधी सपाट बात : अरविंद यादव को चुनाव में वनवास मिलता है, सत्ता में राजपाट..

    भाजपा में खामोशी को भी सम्मान मिलता है


रणघोष खास.  रेवाड़ी की कलम से

 हरियाणा विधानसभा चुनाव में रेवाड़ी सीट पर एक नाम ऐसा भी है जिसे खामोशी पर सम्मान मिलता रहा है। वे लगातार इस सीट पर टिकट के प्रमुख दावेदार रहे लेकिन उन्हें चुनाव में लड़ने की बजाय घर पर बैठने का वनवास मिलता रहा। यहा बात हो रही है भाजपा के वरिष्ठ नेता, सरकार में हरको और हरियाणा टूरिज्म के चेयरमैन रहे अरविंद यादव की।  सत्ता आते ही उनकी खामोशी ही भाजपा हाईकमान की नजर में सम्मान बन जाती है ओर उन्हें सरकार में किसी बड़े ओहदे की जिम्मेदारी दे दी जाती है। 2019 में यही हुआ। इस बार भी यही उम्मीद की जा रही है। पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार अरविंद यादव कही बैचेन नजर नही आए। उनके करीबी साथियों की टीम भाजपा उम्मीदवार लक्ष्मण यादव के साथ पूरी तरह चुनाव प्रचार में नजर आईं। संगठन के तौर पर इस बार भाजपा एक नजर आ रही थी जबकि पिछले चुनाव में वह अलग अलग रास्तों पर चलते हुए पूरी तरह से बिखर चुकी थी। यही वजह है की लक्ष्मण यादव की शानदार जीत में संगठन की एकजुटता के साथ साथ आरएसएस की जबरदस्त सक्रियता ओर दिल्ली- हरियाणा से संचालित कुशल प्रबंधन नीति रामबाण की तरह काम कर गईं। अरविंद यादव की गिनती भाजपा संगठन में बेहतर रणनीतिकार कुशल प्रबंधन के तोर पर रही है। इसलिए हाईकमान उनके अनुभव का देश प्रदेश स्तर पर लाभ लेता रहा है। रेवाड़ी में कई दशकों से राजनीति में सक्रिय अरविंद यादव भाजपा के जन्म से जुड़कर आज तक उसी की छाया में अपनी पहचान को बनाए हुए हैं। अपने व्यवहार कुशलता से विरोधियों को अपना बना लेने का हुनर भी इस नेता में सर्वमान्य है। लगातार तमाम प्रयासों के बाद भी टिकट नही मिलने का मलाल भी रहता है। 2019 में टिकट को लेकर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह से ऐसे ठनी जो आज तक कायम है। हाईकमान को यह बखूबी बता है की अरविंद यादव कुछ समय के लिए नाराज हो सकते हैं लेकिन भाजपा की छाया से कभी दूर नही जाएंगे। उनके त्याग का भी सम्मान इस बार सरकार में हो पाएगा। यह देखने वाली बात होगी।

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