रेवाड़ी में कांग्रेस से चिरंजीव की हार पर रणघोष की सीधी सपाट बात

कप्तान हार की वजह को तलाशते हुए अपने घर में ही पहुंच गए


इस नेता में करंट तब आया जब पॉवर हाउस से सप्लाई बंद हो चुकी थी..


रणघोष अपडेट. रेवाड़ी. गुरुग्राम


हरियाणा में कांग्रेस के मूडी विस्फोटक नेता पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव के शरीर में करंट उस समय आया है जब 8 अक्टूबर शाम होते ही पॉवर हाउस (विपरित परिणाम ) से सप्लाई आनी बंद हो गई थी। कप्तान अपने बेटे रेवाड़ी से कांग्रेस प्रत्याशी चिरंजीव राव को मिली हार की असल वजह को तलाशते हुए खुद ही अपने घर कांग्रेस में पहुंच गए। यहा आकर उन्होंने एक के बाद एक विस्फोटक करने शुरू कर दिए जिसका खामियाजा भी कांग्रेस के अलावा किसी को नही हो रहा है। यानि कप्तान पूरे चुनाव में भाजपा, ईवीएम से ज्यादा अपने ही घर में अलग थलग पड़े हुए थे।
पिछले दो दिनों से कप्तान के तेवरों में जो दर्द ओर पीड़ा साफ तौर से झलक रही है वह एक पिता ओर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के तौर पर साफ झलक रही है। कप्तान ने जो कुछ बोला उसमें कोई मिलावट नही थी। यह भी सच है की कप्तान जब अपने मूड में होते हैं तो वह सबकुछ कहने में पीछे नही हटते जो उनके दिलों दिमाग में उथल पुथल कर रही होती है। कप्तान ने बावल विधानसभा चुनाव की बूथ वाइज आई रिपोर्ट दिखाते हुए ईवीएम की विश्वसनीयता पर सीधे सवाल खड़े करते हुए कहा की 10 से ज्यादा जगहों पर भाजपा और आप प्रत्याशी को बराबर मत कैसे मिल सकते हैं जबकि कांग्रेस को 0 से 1, 2 वोट मिल रहे हैं। यह हरगिज नही हो सकता की दो पार्टी के उम्मीदवारों को बराबर वोट मिले जबकि जाट बाहुल्य गांव में कांग्रेस एक या दो वोट तक सिमट जाए। क्या कांग्रेस एजेंट भी अपने वोट नही दे पाया। इसके बाद कप्तान ने अपनी ही पार्टी के हाईकमान ओर उनके तौर तरीकों पर सीधा हमला बोला। पार्टी के स्टार नेता राहुल गांधी की रैली रेवाड़ी में होनी थी, घोषणा तक हो गई लेकिन अचानक रदद कर दी गईं। कप्तान के अनुसार पूरे हरियाणा को चार पांच लोग ही चला रहे थे। उनके हीफोटो ही बैनर या पोस्टर पर लगे हुए थे। जबकि सभी समाज के प्रमुखों का भी सम्मान होना चाहिए था। उन्हें कांग्रेस में ओबीसी विभाग का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना रखा है लेकिन वो झुनझुना के अलावा कुछ नही है। पार्टी की अहम मीटिंग में उन्हें दूर रखा जाता है। प्रदेश में कोई चुनाव प्रचार की योजना नही थी। जिसका जोर चल रहा था वह अपनी चला रहा था। 12 साल हो गए संगठन तक नही बन पाया है। ओबीसी वोट बैंक पूरी तरह से भाजपा के पास चला गया जबकि राहुल गांधी अपने हर भाषण में ओबीसी को सबसे आगे रखते हैं। लेकिन संगठन में राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के बावजूद हमारी कोई हैसियत नही है। समझ जाइए असल में चल क्या रहा है। चुनाव प्रभारी अस्पताल में भर्ती है। कायदे से उन्हें अपना पद छोड़ना चाहिए लेकिन वे भी चिपके रहे। चुनाव में किससे बात करें। कोई समझने ओर समझाने वाला नही था। पार्टी की प्रमुख नेता कुमारी शैलजा का अपमान ओर अनदेखी का खामियाजा भी चुनाव में भुगतना पड़ा। मेवात में कांग्रेस उम्मीदवार मामन खान ने अपनी राजनीति चमकाने के लिए भड़काऊ बयान दे दिया। जिसका खामियाजा भी हमें भुगतना पड़ा। कप्तान यह कहना भी नही भूले की उन्होंने मुस्लिम समाज के एक कार्यक्रम में टोपी क्या पहन ली। उन्हें हिंदू मुस्लिम से जोड़कर भाजपा अपने एजेंडे में सफल हो गईं। बातचीत में कप्तान पूरी तरह से अपनी पार्टी से खफा नजर आए। उन्होंने यहा तक कह दिया की उनकी लगातार अनदेखी हो रही है जबकि वे हरियाणा के सबसे सीनियर नेता है। अगर पार्टी को उनके अनुभव का फायदा नही लेना है तो वह स्पष्ट करें। वे बजाय अपमान की राजनीति बर्दास्त करने के आने वाले समय में कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं। कप्तान के लहजे में जो शब्द निकल रहे थे उससे साफ हो गया की हरियाणा में कांग्रेस बड़े स्तर पर बिखराव की स्थिति में आ चुकी है। जिसका पूरा फायदा विशेष तौर से भाजपा ओर अन्य दलों को कम ज्यादा हो सकता है।