संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 3 कृषि कानूनों के विरोध में एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा देने की मांग को लेकर 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली की तैयारी में ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन ने जन अभियान जोर शोर से शुरू कर दिया। जन आंदोलन में सक्रिय एडवोकेट कामरेड राजेंद्र सिंह ने कहा यह कृषि कानून 1 प्रतिशत कॉर्पोरेट घरानों के पक्ष में एवं 99 प्रतिशत जनता के खिलाफ है। इन तीनों काले कानूनों के कारण कॉर्पोरेट घरानों की लूट और बढ़ेगी। आवश्यक वस्तु कानून मैं संशोधन करके जरूरत के 6 चीजों का असीमित भंडारण करने की अनुमति का स्पष्ट मतलब है की आम जनता पर जहां महंगाई बढ़ेगी वही भुखमरी और कुपोषण भी बढ़ेगा। कॉर्पोरेट घराने सस्ते में खरीद कर भंडारण कर कृत्रिम बाजार संकट पैदा करेंगे और आकूत मुनाफा अर्जित करेंगे। प्राइवेट अनाज मंडी सरकारी अनाज मंडियों को एक कायदे से खत्म कर देगी जैसे शिक्षा के निजीकरण के कारण सरकारी स्कूल बंद होने की कगार पर है। कॉन्ट्रैक्ट खेती के माध्यम से कॉर्पोरेट घराने किसान को अपने खेत में बंधक बनाकर लूट मचाएंगे। सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य को भी कानून का दर्जा इसलिए नहीं देना चाहती क्योंकि पूंजीपतियों की लूट पर असर पड़ेगा। कामरेड सिंह ने कहा फैसला जनता को करना है कि एक परसेंट पूंजीपतियों के लिए सरकार जो प्रचार चला रही है या किसान अपनी जमीन को और अपने जीवन को बचाने के लिए आंदोलन कर रहे है। एक सच्चा देश प्रेमी एवं किसान हितेषी होने के नाते कौन किसके पक्ष में खड़ा होता है। कामरेड सिंह ने कहा भाजपा के संगठन स्वयं एमएसपी को कानून बनाने की बात कर रहे हैं। केंद्र सरकार के मंत्री खुद मानते हैं कि यह कानून लाना हमारी मजबूरी है और इन कानूनों में खामियां हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री किसान आंदोलन को एक अनुशासित आंदोलन मानकर चल रहे हैं, फिर भी लोकल स्तर के ऊपर किसान आंदोलन के बारे में अनर्गल प्रचार क्यों किया जा रहा है। कामरेड राजेंद्र सिंह ने कहा दक्षिणी हरियाणा जाग चुका है और यह भी समझ चुका है की किसान आंदोलन के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।