रणघोष अपडेट. नैनीताल
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को लाभ पहुंचाने के लिए नोटबंदी के बाद एक दंपती के बैंक खाते में धन जमा कराए जाने संबंधी सोशल मीडिया पर लगाए गए आरोपों की सीबीआई जांच के आदेश दे दिए। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने आरोप लगाने वाले पत्रकार उमेश शर्मा के खिलाफ इस संबंध में दर्ज प्राथमिकी रद्द कर दी। शर्मा के खिलाफ देहरादून के एक थाने में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का आदेश देते हुए जस्टिस रविंद्र मैठाणी की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता से इस मामले के सभी दस्तावेज बुधवार दोपहर बाद तक अदालत में जमा कराने के भी निर्देश दिए। यह आदेश शर्मा की उस याचिका पर आया है जिसमें उन्होंने अदालत से अपने खिलाफ देहरादून में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की प्रार्थना की थी। शर्मा ने इस साल 24 जून को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली थी जिसमें दावा किया गया था कि झारखंड के अमृतेश चौहान ने नोटबंदी के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के निजी लाभ के लिए एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर हरेंद्र सिंह रावत और उनकी पत्नी डॉ. सविता रावत के खाते में पैसे जमा कराए थे। इस पोस्ट में दावे के समर्थन में बैंक खाते में हुए लेन-देन का विवरण भी डाला गया था. इस पर हरेंद्र सिंह रावत ने 31 जुलाई को देहरादून में इन आरोपों को झूठा और आधारहीन बताते हुए शर्मा पर ब्लैकमेल करने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई थी। याचिकाकर्ता शर्मा की तरफ से अदालत में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा। सभी पक्षों को सुनने के बाद, हाईकोर्ट की एकलपीठ ने शर्मा के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करते हुए उनके द्वारा सोशल मीडिया पर लगाए आरोपों की सीबीआई जांच के आदेश दिए। मुख्यमंत्री के मीडिया संयोजक दर्शन सिंह रावत ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने के लिए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में एक स्पेशल लीव पेटिशन दाखिल करेगी। उन्होंने कहा, ‘सरकार हाईकोर्ट के आदेश का सम्मान करती है. जांच में तथ्य साफ हो जाएंगे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने कहा, ‘मुझे मामले की जानकारी नहीं है लेकिन निश्चित तौर पर हाईकोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा.’