भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने एक शोध में दावा किया है कि उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में असुरक्षित इंजेक्शन के इस्तेमाल से एचआईवी संक्रमण के मामले बढ़े हैं। यह शोध प्लोस वन जर्नल में प्रकाशित हुआ है। संक्रमितों में 94 फीसदी ऐसे लोग थे, जिन्होंने किसी बीमारी के उपचार के लिए इंजेक्शन लगाए थे।
शोध के अनुसार, वर्ष 2017-18 के दौरान उन्नाव जिले के तीन इंटीग्रेटेड काउंसलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर (आईसीटीसी) में एचआईवी संक्रमणों के मामलों में दो से सात गुना तक की वृद्धि दर्ज की गई। इसके बाद आईसीएमआर ने नेशनल एड्स रिसर्च इंस्टीट्यूट पुणे की टीम ने इसके कारणों का अध्ययन करने का फैसला किया। 2018 में जिले के बांगरमऊ ब्लाक के तीन स्थानों प्रेमगंज, करीमुद्दीनपुर तथा चकमीरापुर में अध्ययन किया गया।
तीन केंद्रों पर संक्रमण में वृद्धि
टीम ने अध्ययन में पाया कि तीन केंद्रों पर संक्रमण में वृद्धि हुई है। इनमें सीएचसी हसनगंज में 2015-16 के दौरान एचआईवी संक्रमण के तीन मामले थे, जो 2016-17 में 17 और 2017-18 में 42 तक पहुंच गए। इसी प्रकार जिला अस्पताल उन्नाव के केंद्र में उपरोक्त अवधि में ये मामले क्रमश 53, 47 एवं 82 दर्ज किए गए। जबकि सीएचसी नवाजगंज केंद्र पर ये मामले क्रमश: एक, चार और छह रहे।
संक्रमित और गैर संक्रमित लोगों के समूह पर अध्ययन
शोधकर्ताओं ने इनमें से 33 एचआईवी संक्रमितों के समूह के साथ-साथ गैर संक्रमित लोगों के समूह पर अध्ययन किया गया। इसमें एचआईवी संक्रमणों के अन्य कारणों की भी पड़ताल की गई। इसमें यौन व्यवहार, खून चढ़ाना, टैटू गुदवाना, दांतों का उपचार, शल्य चिकित्सा, सुई से ड्रग लेना आदि शामिल था। लेकिन, संक्रमितों में इन मामलों की पुष्टि नहीं हुई। जबकि 94 फीसदी संक्रमितों ने माना कि उन्होंने पिछले पांच साल के दौरान इंजेक्शन लगाए थे। जाहिर है कि सुई को रोगाणु रहित किए बगैर दोबारा इस्तेमाल किया जा रहा था।
पहले से इस्तेमाल सिरिंज का इस्तेमाल
शोधकर्ताओं ने संक्रमितों से इंजेक्शन के दोबारा इस्तेमाल को लेकर विशेष रूप से सवाल पूछे तो इस दौरान 27 फीसदी ने कहा कि जिस इंजेक्शन से उन्हें दवा दी गई थी, वह पहले भी इस्तेमाल हुई थीं। जबकि गैर संक्रमित समूह में ऐसे लोगों की संख्या महज चार फीसदी थी। शोधकर्ताओं ने कहा कि संक्रमितों में 94 फीसदी में एकमात्र ऐसा कारण इंजेक्शन लगाना पाया गया, जो एचआईवी संक्रमण की वजह हो सकता है। शोध में इंजेक्शन के लिए ऑटो डिसेबल्ड सिरिंज के इस्तेमाल की सलाह दी गई है।