रणघोष खास. प्रदीप नारायण
दीपक की लौ आकार में भले ही छोटी हो, लेकिन उसकी चमक और रोशनी दूर तक जाती ही है। एक बेहतर इंसान वही है जिसके पास आने के लिए उसी तरह तत्पर रहें जिस प्रकार बच्चे माँ की गोद में जाने के लिए रहते हैं। जिदंगी एक प्रयोगशाला है जिसमें हम सभी खुद वैज्ञानिक होते है। हर पल हर समय जो भी घटित होता है वह एक नए प्रयोग व सोच को जन्म देता है। इसे समझने और जानने का दृष्टिकोण छोटा- बड़ा हो सकता है। प्रयास सार्थक और एक दूसरे को प्रेरित कर सकते हैं। यानि सभी अपने तौर तरीके से जिंदगी को आगे बढ़ाते है। आगे चलकर मानसिक प्रक्रियाओं, अनुभवों और व्यवहार से हर किसी के वजूद का निर्माण होता है। उस कार्य पर हर व्यक्ति को गर्व करना चाहिए जिसमें किसी गरीब का भला हो। परिश्रम के द्वारा प्राप्त सफ़लता ही गर्व के लायक होती हैं। इस दुनिया में हर किसी को अपने ज्ञान पर घमंड है, परन्तु किसी को भी अपने घमंड का ज्ञान नहीं हैं। अपने आस पास महसूस करिए अधिकत्तर आर्थिक और शारीरिक रूप से आत्मनिर्भर लोग ही स्वाभिमानी होते हैं। हर व्यक्ति को ऐसे कार्य करने का प्रयास करना चाहिए जिसे देखकर पूरी दुनिया गर्व करें। स्वाभिमान रुपी गुण जिस व्यक्ति में होता हैं वह सकारात्मक ऊर्जा से हमेशा भरा रहता हैं। आखें सिर्फ देखती है, ये आँखे कहा और क्या देखती है यह हमारे मन की भावना पर निर्भर करता हैं। मूर्ख अपनी दौलत पर अहंकार करते हैं जबकि बुद्धिमान अपने किये सद्कर्म पर गर्व करता हैं। जो व्यक्ति अपनी ही नजरों में गिरा जाए वो कभी भी गर्व और स्वाभिमान को महसूस नहीं कर सकता हैं। स्वाभिमानी लोग दूसरों को सम्मान देने में कोई कमी नहीं रखते हैं। छोटी सफलता के बाद जब इंसान को अपने गुणों पर घमंड हो जाता हैं तब उसे खुद की कामियां नहीं दिखाई देती हैं। मानव जीवन सिर्फ एक बार मिलता हैं यदि आप इस पूरी जिन्दगी में गर्व लायक कोई कार्य नही कर सकते है तो आपका जीवन व्यर्थ हैं। घमंड में आदमी पहले फूल जाता हैं फिर फट जाता हैं। सिर केवल वहीं झुकाया जाता हैं जहाँ झुकाने के बाद भी आप गर्व महसूस करते हैं। बेटे की सफलता पर सबसे ज्यादा ख़ुशी और गर्व सिर्फ माता-पिता को होता हैं। हाथ ठंड में और बुद्धि घमंड में काम नहीं करता हैं। जब व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता हैं तो वह अच्छे-अच्छे कार्य करता हैं और जिस पर उसके परिवार, समाज और देश को गर्व होता हैं। सही मायनो में यही दीवाली है।