किसान आंदोलन में अब तक 6 किसानों की मौत, डॉक्टर ने कहा बिना सलाह के हरगिज ना ले दवा

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर 18 दिन से धरने पर बैठे किसानों की सेहत बढ़ रही ठंड के सामने सबसे बड़ी  चुनौती बनती जा रही है। दवाएं बांट रहे डॉक्टरों के अनुसार यहां पर लोग बड़ी संख्या में एंटीबायोटिक और पेन किलर गोलियां खा रहे हैं। डर की बात यह है कि दवा देते समय न पूरी मेडिकल हिस्ट्री देखी जा रही है और न टेस्ट हो रहे हैं। बहादुरगढ़ में 5 और साेनीपत में एक आंदोलनकारी की पहले ही मौत हो चुकी है। 25 से ज्यादा किसान अस्पताल रैफर किए जा चुके हैं। डॉक्टरों केमुताबिक ज्यादा एंटीबायोटिक का सेवन धड़कन बढ़ाता है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा रहता है।कुंडली और टिकरी बॉर्डर पर हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग की लगभग 20 टीमें तैनात हैं। इसके अलावा यहां पंजाब-हरियाणा से आए आयुष, होम्योपैथी डाक्टर, फार्मासिस्ट और सेवा के तौर पर दवाएं बांटने वालों की भी 30 से अधिक टीमें हैं। केवल सरकारी टीमें ही 65 हजार से ज्यादा लोगों की जांच कर चुकी हैं। दवा बांटने के लिए महाराष्ट्र के नांदेड़ से कुंडली पहुंचे बीएएमएस डाॅ. देवानंद रातुलिकर कहते हैं कि वह किसानों को दवा के प्रभावों के बारे में जागरूक कर रहे हैं।पंजाब के नवांशहर से शनिवार को ही कुंडली पहुंचे डाॅ. टेकचंद सैनी और डाॅ. विमल कुमार ने कहा कि उन्हें पता चला था कि धरने पर किसान बीमार हो रहे हैं। वे मोटरसाइकिल पर ही दवाइयां रखकर किसानों को बांट रहे हैं। इन्होंने बताया कि कुछ किसान गोलियों के खाली रैपर भी लेकर आते हैं। कई लोग तो अब तक एक-एक पत्ता एंटीबायॉटिक्स खा चुके हैं।जालंधर से दवा बांटने आए डाॅ. विनोद दुआ कहते हैं कि बिना सलाह कई-कई दिन तक अनाप-शनाप दवाओं के सेवन से खून में थक्का बनने लगता है और प्लेटलेट्स की संख्या प्रभावित होती है। इससे दिल पर जोर पड़ता है और ठीक से काम नहीं कर पाता। आर्टरीज में कसाव पैदा होता है और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। उन्होंने आशंका जताई कि यहां पर कई किसानों का ब्लड प्रेशर सामान्य से ज्यादा होने के पीछे यह एक वजह हो सकती है।

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