रणघोष अपडेट. देशभर से
ट्विटर ने केंद्र सरकार के कहने पर ऐसे कई ट्वीट हटा दिए, जिनमें कोरोना संभालने में सरकार की आलोचना की गई थी। इसमें कई राजनीतिक दल, एक्टर व पत्रकार के ट्वीट शामिल हैं। सरकार ने ट्विटर से कहा था कि ये ट्वीट ‘फ़ेक न्यूज़’ हैं और ‘ग़लत जानकारी’ फैला रहे हैं। ‘मीडियानामा’ के अनुसार, ट्विटर ने पश्चिम बंगाल के मंत्री मलय घटक, कांग्रेस सांसद रेवंत रेड्डी, अभिनेता विनीत व फ़िल्म निर्मा विनोद कापड़ी व अविनाश दास के ट्वीट डिलीट कर दिए। विनोद कापड़ी और अविनाश दास पत्रकार रह चुके हैं।
ट्विटर ने माना
ट्विटर के एक प्रवक्ता ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि भारत सरकार के क़ानूनी गुजारिश के आधार पर ये ट्वीट हटाए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘हम कोविड-19 से जुड़ी ग़लत जानकारियों का पता लगाने का काम करते रहते हैं, यह उत्पाद, प्रौद्योगिकी, मानव प्रयास को मिला कर किया जाता है। हम ऐसा करते रहेंगे।’
प्रवक्ता ने यह भी कहा कि ‘कोरोना से जुडे ट्वीट की सत्यता की पड़ताल की जाती है, उसका पता लगाया जाता है और स्रोत का पता लगाया जाता है। हम यह कोशिश करहते हैं कि ग़लत, भ्रामक और झूठी जानकारियों का पता लगा कर उन्हें रोक दें।’
क्या कहना है सरकार का?
‘एनडीटीवी’ का कहना है कि सरकार के एक प्रवक्ता ने दावा किया है कि ‘ये ट्वीट इसलिए नहीं हटाए गए कि उनमें सरकार की आलोचना की गई थी, ये इसलिए हटाए गए कि वे ग़लत, झूठ व भ्रामक थे, उनमें पुरानी तसवीरों का इस्तेमाल किया गया था।’ बता दें कि देश में कोरोना संक्रमण तेज़ी से फैल रहा है। रविवार को इसके पिछले 24 घंटों में 3.49 लाख नए कोरोना के मामले सामने आए। बीते आठ दिनों में ही कोरना के 21 लाख नए मामले आए हैं। इसके साथ ही भारत में कोरोना से अब तक 1.69 करोड़ लोग कोरोना से प्रभावित हो चुके हैं।
ट्विटर पर सरकार चाहती है शिकंजा कसना?
याद दिला दें कि केंद्र सरकार ने ट्विटर पर नियंत्रण करने की कोशिश इसके पहले भी की है और उससे अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की है। 4 फरवरी 2021 को आईटी मंत्रालय की ओर से ट्विटर को 1178 अकाउंट्स की सूची भेजी गई थी और कहा गया था कि इन्हें भारत में सस्पेंड या ब्लॉक किया जाए। सुरक्षा एजेंसियों ने इन अकाउंट्स के बारे में कहा था कि ये या तो खालिस्तान के समर्थक हैं या फिर पाकिस्तान के।लेकिन ट्विटर ने कहा था कि वह पूरी दुनिया में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक आधिकार की रक्षा करता रहेगा। ट्विटर ने कहा था कि भारत के क़ानूनों के अनुसार, इन अकाउंट्स को बंद करना मौलिक अधिकारों का हनन होगा। सरकार की नाराज़गी इसी को लेकर थी।
सरकार के सामने झुकी ट्विटर
इसके बाद ट्विटर ने सरकार के सामने हथियार डाल दिए और उसके कहे मुताबिक अपनी टीम ही बदल दी। ट्विटर ने भारत सरकार से कहा था कि वह भारत की अपनी टीम को फिर से गठित करेगा और दफ़्तरों में सीनियर अफ़सरों को नियुक्त करेगा। ट्विटर का कहना था कि ऐसा करने से क़ानूनी मामलों को बेहतर ढंग से हैंडल किया जा सकेगा और सरकार के साथ उसकी बातचीत भी बेहतर होगी। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, सरकारी अफ़सरों ने बताया कि ट्विटर और भारत सरकार के आईटी मंत्रालय के बीच हुई वर्चुअल बैठक के बाद यह सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म इस बात के लिए राजी हुआ है। यह वर्चुअल बैठक बुधवार को हुई थी और इसमें मंत्रालय की ओर से ये बदलाव करने पर जोर दिया गया था।