अगर दुनिया की 15 फीसदी ज्यादा आबादी मास्क पहनने लगे तो विश्व की अर्थव्यवस्था को एक खरब डॉलर का फायदा होगा। अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने एक अध्ययन यह दावा किया है। सीडीसी का कहना है कि अगर लोग मास्क को अपना लें तो दुनिया के अलग-अलग देशों को एक और लॉकडाउन नहीं झेलना पड़ेगा।
सीडीसी ने कहा है कि अगर सार्वभौमिक मास्क नीति अपनाएं तो भविष्य के लॉकडाउन को रोकने में मदद मिल सकती है। विशेषरूप से उस स्थिति में ऐसा हो सकता है जब दुनिया के लोग मास्क के साथ ही शारीरिक दूरी, हाथ की स्वच्छता और बेहतर वेंटिलेशन जैसे अन्य जरूरी अपनाने लगें। एजेंसी ने एक आर्थिक विश्लेषण दिया कि सार्वभौमिक मास्किंग नीति से दुनिया में मास्क लगाने वालों की 15% वृद्धि होगी जिससे एक खरब डॉलर के नुकसान को रोका जा सकता है।
मास्क लगाने वाला दूसरों संग खुद को करता सुरक्षित
सीडीसी ने मास्क लगाने के नए दिशानिर्देश जारी करते हुए बताया कि इससे न सिर्फ दूसरा व्यक्ति सुरक्षित रहता है बल्कि मास्क लगाए व्यक्ति को भी संक्रमण से सुरक्षा मिलती है। पूर्व निदेशानिर्देश में अमेरिकी एजेंसी ने कहा था कि मास्क लगाने से दूसरे व्यक्ति को सुरक्षा मिलती है क्योंकि मास्क लगाए व्यक्ति के मुंह से निकलने वाली संक्रमित ड्रॉपलेट बाहरी वातावरण में नहीं फैल पाती। यानी मास्क लगाया व्यक्ति असल में दूसरे व्यक्ति को बचाता है, उसकी सुरक्षा तब होती है जब सामने वाले व्यक्ति ने भी मास्क पहना हो। अब सीडीसी ने कहा है कि मास्क लगाने से बाहरी वातावरण में मौजूद संक्रमित कण भी अंदर नहीं आ सकते, जिससे मास्क लगाए व्यक्ति के सांस लेने पर संक्रमित कण उनके शरीर में प्रवेश नहीं करते।
मास्क लगाएं तो 70% संक्रमण फैलने से बचेगा
रिपोर्ट में बताया गया कि मास्क लगाने से संक्रमण फैलने की 70% संभावना कम हो जाती है। मास्क लगाने से अलग-अलग परिस्थितियों में पुन: संक्रमण रोका जा सकता है। शोध में पाया कि मास्क पहने दो हेयर ड्रेसर अपने काम के दौरान 67 ग्राहकों के संपर्क में आए पर कोई संक्रमित नहीं हुआ। दूसरी स्थिति में पाया गया कि एक विमान में मास्क पहने सभी यात्री सुरक्षित रहे जबकि दस घंटे के उस सफर में एक संक्रमित यात्री भी मौजूद था, जिसने मास्क पहना था।
10 खबर डॉलर से ज्यादा हो चुका खर्च : आईएमएफ
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में कोरोना वायरस की लड़ाई में दस खरब डॉलर से ज्यादा खर्च हो चुका है। अकेले भारत में महामारी ने चार करोड़ लोगों को अत्यंत गरीबी में ढकेल दिया है।