पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव ने रेजांगला दिवस शौर्य सम्मान समिति के पदाधिकारियों, सदस्यों और कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के साथ रेजांगला पार्क में स्थित शहीदी स्मारक स्थल पर पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। यादव ने बताया कि किस तरह रेजांगला की लडाई में हमारे वीरों ने अपनी वीरता का परिचय देते हुए मात्र 120 लोगों ने हजारों चीनी सैनिकों से मुकाबला किया था। रेजांगला की लडाई में जो जांबाज शहीदों ने वीरता की मिशाल दी थी इसका गवाह इतिहास है। मात्र 114 वीरों ने चीनी फौज के दांत खट्टे किए थे। ऐसे वीरों को हम नतमस्तक करते हैं। हम यदि चैन की नींद और खुली हवा ले रहे हैं तो सिर्फ उन फौजी भाईयों की बदौलत जो दिन रात सीमा पर रहकर हमारी रक्षा करते हैं। समिति के मुख्यमहासचिव डॉ.. उमाशंकर यादव ने 1971 के युद्ध व 1962 के रेजांगला के शहीदों को नमन करते हुए कहा कि देश की रक्षा करने में अहीरवाल के सैनिकों का अनुकरणीय अनूठा योगदान रहा है। 1971 के युद्ध में फील्ड मार्शल माणिक शॉ के नेतृत्व में जहां पाकिस्तानी सेना को नाको चने चबवाए गए, वहीं 1962 के भारत चीन युद्ध के दौरान 18 हजार फीट उचाई पर रेजांगला पोस्ट पर 124 जवानों की टुकडी में से रेवाडी क्षेत्र के 114 जवानों ने शहादत लेकर सैन्य इतिहास में एक मिशाल पेश की थी। और जब उस समय इन शहीद जवानों के शवो को लेने के लिए ब्रिगेडीयर कमांडर टीअन रैना गए तब वो इतना रोये की उनकी पत्थर की बनी आंखे भी रो–रो कर बहार आ गई थी।