फेसबुक यूजर्स के डेटा चोरी के मामले में CBI ने कैंब्रिज ऐनालिटिका पर केस दर्ज

सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इनवेस्टिगेशन (CBI) ने गैर कानूनी तरीके से 5.62 लाख भारतीय फेसबुक यूजर्स के डेटा का इस्तेमाल करने के आरोप में ब्रिटेन की कैंब्रिज ऐनालिटिका और ग्लोबल साइंस रिसर्च लिमिटेड पर केस दर्ज किया है। सीबीआई ने इस मामले में साल 2018 में प्रारंभिक जांच शुरू की थी। ऐसे आरोप हैं कि कैंब्रिज ऐनालिटिका को ग्लोबल साइंस रिसर्च के जरिए भारतीय फेसबुक यूजर्स के डेटा मिले थे जिसका गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया।

सीबीआई की जांच से यह पता लगा है कि ग्लोबल साइंस रिसर्च के फाउंडर और डायरेक्टर डॉक्टर एलेक्जेंडर कोगन ने एक ऐप बनाया जिसका नाम ‘thisisyourdigitallife’ था। इस प्लेटफॉर्म पर फेसबुक को लेकर जो पॉलिसी थी उसके तहत ऐप यूजर्स के कुछ डेटा शैक्षणिक और शोध के मकसद से इकट्ठा कर सकता था। हालांकि, ऐप ने अवैध तरीके से यूजर्स की मर्जी के बिना उनका और उनके फेसबुक नेटवर्क के दोस्तों का भी डेटा इकट्ठा किया।

सीबीआई की 19 जनवरी को दर्ज की गई एफआईआर में कोगन को मुख्य आरोपी बनाया गया है। कोगन पर आपराधिक षड्यंत्र और सूचना प्रौद्योगिकी ऐक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है।

फेसबुक ने बताया कि भारत में इस ऐप को 335 यूजर्स ने इंस्टॉल किया था। फेसबुक ने अनुमान पेश किया है कि ऐप के जरिए 5.62 लाख अतिरिक्त यूजर्स का डेटा भी अवैध तरीके से इस्तेमाल किया गया जो इन 335 लोगों के फेसबुक नेटवर्क से जुड़े थे।

जब यह मामला सामने आया था उस वक्त मार्क जुकरबर्ग के मालिकाना हक वाले फेसबुक ने कहा था कि करीब 8 करोड़ 70 लाख लोगों (अधिकांश अमेरिका के यूजर्स) के डेटा गलत तरीके से कैंब्रिज ऐनालिटिका से साझा किए गए। इस संबंध में केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने साल 2018 में ही फेसबुक और कैंब्रिज ऐनालिटिका को चिट्ठी लिख स्पष्टीकरण मांगा था।

आरोप है कि ग्लोबल साइंस रिसर्च ने अवैध तरीके से 5 लाख 62 हजार भारतीय फेसबुक यूजर्स का डेटा जमा किया और इसे कैंब्रिज ऐनालिटिका के साथ साझा किया। आरोप है कि कैंब्रिज ऐनालिटिका ने इस डेटा का इस्तेमाल भारत में हो रहे चुनाव को प्रभावित करने के लिए किया था।

दरअसल, क्रिस्टोफर वाइली नाम के व्हिसलब्लोअर ने यह खुलासा किया था कि फेसबुक यूजर्स के डेटा का इस्तेमाल चुनाव को प्रभावित करने के लिए किया गया। क्रिस्टोफर कैंब्रिज ऐनालिटिका के कर्मचारी थे। इसके बाद मंत्रालय ने फेसबुक और कैंब्रिज ऐनालिटिका से मामले में सफाई मांगी थी।

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