कृषि कानूनों के मसले को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई चार सदस्यों एक कमेटी दो महीने के भीतर सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट देगी। कमेटी का कार्यालय दिल्ली में होगा और इसकी पहली बैठक अगले 10 दिन में होगी। करीब तय है कि अगले दो महीने में जब तक कमेटी सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट नहीं देती किसानों का आंदोलन खत्म करने का सरकार और सुप्रीम कोर्ट के पास कोई रास्ता नहीं बचा है। क्योंकि आंदोलन के मसले पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई दौरान यह साफ कर चुका है कि किसान चाहे तब तक आंदोलन जारी रख सकते हैं।सुप्रीम कोर्ट की कमेटी पर किसान संगठनों में भारी नाराजगी है क्योंकि इसमे शामिल किए गए दो किसान नेता और विशेषक्ष कृषि कानूनों के पक्षधर हैं। आंदोलनकारी किसान संगठनों का आरोप है कि कमेटी के चारों सदस्य भाजपा सरकार की सिफारिश पर लगाए गए हैं। इसलिए इस कमेटी पर न उनका विश्वास है और न ही वे इस कमेटी के समक्ष अपनी पक्ष रखने जाएंगे। इसलिए किसान संगठनों ने इस कमेटी के समक्ष पेश होने से इंकार कर दिया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा हे कि मसले के हल के लिए किसानों को कमेटी के समक्ष पेश होकर अपनी बात रखनी होगी और सहयोग भी करना होगा। कमेटी में शामिल कृषि विशेषज्ञों में अशोक गुलाटी को कृषि कानूनों का प्रबल पक्षधर माना जाता है। इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशन में प्रोफेसर गुलाटी नीति आयोग के तहत प्रधानमंत्री द्वारा बनाई एग्रीकल्चर टास्क फोर्स के मेंबर और कृषि बाजार सुधार पर बने एक्सपर्ट पैनल के अध्यक्ष हैं। अपने लेखों के जरिए गुलाटी इन कृषि कानूनों के पक्ष में अपना मत कई बार जता चुके हैं। कृषि अर्थशास्त्री डा.प्रमोद जोशी साउथ एशिया इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर हैं। वे कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को किसानों के लिए फायदेमंद बताते रहे हैं। कभी कांग्रेस पृष्ठभूमि के किसान नेता रहे 82 वर्षीय भूपिंदर सिंह मान पाला बदल कर इन दिनों भाजपा के पाले में हैं। अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के चेयरमैन मान को वीपी सिंह के शासनकाल में राष्ट्रपति ने 1990 में राज्यसभा में नामांकित किया था। पहले मान को कृषि कानूनों पर कुछ आपत्तियां हैं। उनकी समिति ने 14 दिसंबर को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कुछ आपत्तियों के साथ कृषि कानूनों का समर्थन किया था। पत्र में लिखा था, ‘आज भारत की कृषि व्यवस्था को मुक्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में जो तीन कानून पारित किए गए हैं हम उन कानूनों के पक्ष में सरकार का समर्थन करने के लिए आगे आए हैं।’ कमेटी के चोथे सदस्य अनिल घनवट महाराष्ट्र में किसानों के बड़े संगठन शेतकारी संगठन के अध्यक्ष हैं। यह संगठन बड़े किसान नेता रहे शरद जोशी ने 1979 में बनाया था। कृषि कानूनों बारे घनवट कह चुके हैं कि पंजाब और हरियाणा के किसानों के दबाव में आकर ये कानून वापस ले लिए जाते हैं तो इससे किसानों के लिए खुले बाजार का रास्ता बंद हो जाएगा।