कोसली उपमंडल में अब तक 72 अभ्यार्थियों ने किया आवेदन
समाज के बदलते परिवेश के चलते लिंगानुपात में सुधार के साथ-साथ देश व प्रदेश की सरकार कन्याओं के जन्म से लेकर उनके जीवन स्तर को ऊंचा उठाने में कोई कमी नहीं छोड़ रही है। सरकार बेटियों का पढ़ाई से लेकर शादी तक का खर्च उठाने को प्रयासरत है,लेकिन समाज को भी अपनी पुरानी रूढिवादी अवधारणा बदलने की जरूरत है,तभी कन्याओं को पूरा मान सम्मान दिया जा सकता है। सरकार द्वारा बेटियों की शादी के लिए मुख्यमंत्री विवाह शगुन योजना चलाई गई इै,जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। उन्होंनेे बताया कि गत माह के दौरान मुख्यमंत्री विवाह शगुन योजना के तहत कोसली उपमंडल में 72 प्रार्थियों ने आवेदन किया है,जिन्हें योजना का लाभ देने के लिए आवश्यक विभागीय कार्यवाही जारी है।
उन्होंने कहा कि बेटियों का जन्म ही नहीं बल्कि जन्म के बाद उन्हें शिक्षित बनाना भी माता पिता की जिम्मेवारी है। शिक्षा के साथ ही खेल, प्रतियोगी परीक्षा आदि सभी क्षेत्रों में बेटियों को बेटे के समान अवसर उपलब्ध कराना एक स्वस्थ समाज की पहचान है। सरकार के साथ-साथ आमजन को इस मुहिम से जोडऩा हम सभी का फर्ज बनता है। बेटियों से ही एक सशक्त समाज की नींव पड़ती है और बेटियों का रूतबा आज किसी से कम नहीं है। मुख्यमंत्री विवाह शगुन योजना के तहत कोसली उपमंडल में 72 प्रार्थियों ने आवेदन किया है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के बेटियों की शिक्षा को लेकर अभिभावकों की इस झिझक को मिटाने के लिए सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं से निरंतर प्रयास जारी रहते हैं। सरकारी स्कूलों में पढऩे वाली छात्राओं को शिक्षा व अन्य सुविधाएं सरकार की ओर से नि:शुल्क उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे शहरों के साथ-साथ ग्रामीण अंचलों में बेटियों को लेकर अभिभावकों की सोच बदलने लगी है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में बेटियों के प्रोत्साहन के लिए सभी विद्यालयों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय की सुविधा, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग-ए व बीपीएल परिवारों की छात्राओं को प्रतिमाह 300 से 600 रुपए प्रतिमाह छात्रवृति, दो किलोमीटर से अधिक दूरी से आने वाली छात्राओं को साईकिल, नवीं से बारहवीं कक्षा में पढऩे वाली अनुसूचित जाति की छात्राओं एक मुश्त 1450 रुपए की प्रोत्साहन राशि संबंधी योजनाएं क्रियांवित की जा रही हैं।
इसमें अगर शिक्षा के मामले में जिला रेवाड़ी की बात की जाए तो बेटियों की शिक्षा के लिए राजकीय महिला महाविद्यालय रेवाड़ी,राजकीय कालेज कोसली,खरकड़ा और राजकीय महिला महाविद्यालय गुरावड़ा में कालेज स्थापित किए गए हैं,जिसमें उच्च शिक्षा ग्रहण करके छात्राओं के लिए रोजगार के अवसर मिल पाएंगे।
इसके अलावा स्कूल स्तर की बात की जाए तो नौंवी कक्षा में पढऩे वाली छात्रा को केंद्र सरकार की ओर से 3,000 रूपये की वित्तीय सहायता, शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए प्रोत्साहन (ईईई)योजना के तहत प्रथम आने वाली छात्रा को 1000 रुपए का पुरस्कार तथा एनएमएमएस योजना के तहत विज्ञान की छात्रा को प्रतिवर्ष 5,000 रुपए का भुगतान किया जाता है। इनके अतिरिक्त आत्मरक्षा प्रशिक्षण, शैक्षणिक भ्रमण योजना, हॉबी क्लासेज आदि कार्यक्रम भी लड़कियों के लिए चलाए जा रहे हैं। वहीं खेलों के क्षेत्र में भी लडकियों को लडकों की अपेक्षा कम नहीं आंका जा सकता। दूसरी ओर आंकड़ों के अनुसार देश भर में हर वर्ष बीए की परीक्षा में पास करने वाले विद्यार्थियों में 50 फीसदी लड़कियां होती है। स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में विभाग की अन्य योजनाओं जिनमें मुख्य रूप से गर्भवती महिलाओं के लिए मुफ्त प्रसूति, दवाईयां, टीकाकरण तथा बीमार नवजात शिशुओं के लिए विभिन्न सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं। महिला सशिक्तकरण की दिशा मं सरकार का यह कदम प्रशंसनीय है और निश्चित रूप से कन्याओं की दर बढ़ेगी।