रणघोष खास. अनिल मुखीजा, प्राचार्य राज इंटरनेशनल स्कूल रेवाड़ी
क्या होगा उन बच्चों का भविष्य जो अबतक स्कूल ही नहीं गए ? जो छोटे बच्चे हाथ पकड़ कर लिखना पढना सीखते हैं, उनका भविष्य क्या होगा ? क्या फ़ीस लेकर ही बच्चों को अगली कक्षा में पदोन्नत कर दिया जाना चाहिए ? ऐसे अनेकों प्रश्न अभिभावकों, अध्यापकों व् बच्चों के मन में उठ रहे होंगे परन्तु शिक्षा विभाग व् सरकार का अभी तक इस पर रुख साफ़ नहीं है जो की एक भ्रम की स्थिति पैदा करता है तथा एक गहन अध्यन का विषय है I नौंवीं से बारहवीं कक्षा के बच्चों की तो पढाई विद्यालय में शुरू हो चुकी है और स्पष्ट है की उनकी परीक्षाएं भी कुछ विलम्ब से हो जाएँगी I सीबीएसई बोर्ड ने तो तारीखों का भी एलान कर दिया है पर राज्य स्तर पर अभी स्थिति साफ नहीं है I बात मिडल व् प्राइमरी कक्षा के बच्चों की है जहाँ अभिभावक एक तो स्कूल की फ़ीस नहीं दे रहा और ना ही बच्चों को ऑनलाइन क्लासिस के माध्यम से दी जाने वाली शिक्षा में रूचि ले रहा है I कुछ हद तक वो ठीक हैं कि बच्चों को बिना अध्यापक के आमने सामने बैठ कर कुछ समझ नहीं आता क्योंकि बहुत से अभिभावक अंग्रेजी मीडियम में बच्चों की मदद नहीं कर सकते, यह भी एक कारण है परन्तु इसका दोष हम विद्यालयों पर नहीं डाल सकते I अध्यापक विडियो व् ऑनलाइन क्लासेज के माध्यम से बच्चों तक पहुँचने की कोशिश कर रहें हैं फिर भी एक दूरी बनी हुई है Iबात तो उनकी भी है जो नर्सरी से दूसरी कक्षा के बच्चे हैं और जो अध्यापक का हाथ पकड़ कर लिखना पढ़ना सीखते हैं, उनको कैसे सिलेबस कराया जायेगा, अगर स्कूल नहीं खुलते तो ? इसके बारे में सरकार को शिक्षाविदों के साथ बैठ कर कुछ समाधान ढूँढना होगा I जितनी जल्दी यह स्थिति स्पष्ट होगी बच्चों व् अभिभावकों के लिए उतना ही अच्छा होगा I अब जैसा की कोरोना की वैक्सीन भी आ गयी है तो यह भी सोचना होगा की स्कूल कब से खुलेंगे व् नया सत्र कब से शुरू होगा या बच्चों को कैसे प्रोमोट किया जायेगा ? इन यक्ष प्रश्नों का जवाब सरकार को जल्द ही देना चाहिए I