आधार से लिंक होगा वोटर आईडी, गलत एफिडेविट देने वालों को 2 साल जेल!

– चुनाव आयोग ने केंद्र को लिखी चिट्ठी


रणघोष अपडेट. नई दिल्ली


चुनाव आयोग ने आधार नंबर को वोटर आईडी से जोड़ने के साथ-साथ कम से कम पांच प्रमुख चुनावी सुधारों के लिए कानून मंत्रालय को पत्र लिखा है। इसमें पेड न्यूज को चुनावी अपराध बनाना, झूठा हलफनामा दाखिल करने वालों की सजा को बढ़ाकर 2 साल करना शामिल है। चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय को पत्र लिखकर सरकार के पास लंबित चुनावी सुधारों को तेजी से निपटाने का आग्रह किया है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने पीटीआई-भाषा को बताया कि मैंने कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को लिखा है कि इन प्रस्तावों पर तेज गति से कदम उठाए जाएं और आशा करता हूं कि इन पर मंत्रालय की ओर से जल्द विचार किया जायेगा। आयोग की ओर से पेश किये गये सुधारों में मुख्य प्रस्ताव चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी देने पर छह महीने जेल की सजा को बढ़ाकर दो साल करने की मांग की गयी है।बता दें कि दो साल की सजा होने पर संबंधित उम्मीदवार के चुनाव लड़ने पर छह साल तक की रोक लग जायेगी. कानून में इसका प्रावधान है। चंद्रा का भी यही तर्क है कि मौजूदा 6 माहकी सजा पर किसी भी उम्मीदवार को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता, इसलिए इसको बढ़ाने का प्रावधान किया जा रहा है। आयोग के एक और प्रस्ताव में पेड न्यूज को जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत अपराध बनाये जाने की मांग की गयी है।

आधार को क्यों जोड़ा जा रहा वोटर आईडी से


मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि कानून मंत्रालय को एक और प्रस्ताव भेजा गया है जिसमें मतदाता सूची को आधार से जोड़ने का प्रस्ताव है. इससे यह फायदा होगा कि एक से अधिक स्थान पर मतदाता सूचियों में नाम पर रोक लग सकेगी। कानून मंत्री प्रसाद ने हाल ही में लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा था कि चुनाव आयोग का प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन है और इसके लिए चुनाव कानूनों में संशोधन करना होगा। अगले साल गोवा, मणिपुर, उत्तराखंड, पंजाब और उत्तर प्रदेश राज्यों में चुनाव होने हैं।

मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए चार तिथियों को बनाया गया आधार


आयोग ने एक प्रस्ताव और दिया है जिसमें कहा गया है कि 18 वर्ष के होने वाले मतदाता वर्ष में एक बार से अधिक पंजीकरण कराने में सक्षम हों. वर्तमान में, केवल 1 जनवरी को 18 वर्ष के होने वाले ही मतदाता के रूप में पंजीकरण करने के पात्र हैं. इससे बहुत से लोग पूरा साल खो देते हैं जहां उन्हें वोट करने का अधिकार नहीं मिल पाता है. आयोग ने इसके बजाय संभावित पंजीकरण तिथियों के रूप में चार तिथियों, 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 सितंबर और 1 दिसंबर को प्रस्तावित किया है।

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