शिक्षा निदेशालय ने गाइडलाइन जारी कर की अपील

अभिभावक अलर्ट हो जाए अपने बच्चो के स्कूलों का रिकार्ड जरूर जांचे


खुलासा:  स्कूल का नाम कुछ और मान्यता में कुछ ओर.. पूरी दाल ही काली


-प्राइवेट स्कूलों- कोचिंग सेंटरों ने शिक्षा को सब्जी मंडी बना दिया


रणघोष अपडेट. रेवाड़ी

कोचिंग सेंटर और प्राइवेट स्कूलों के बीच रिश्ता चोर चोर मौसरे भाई जैसा बना हुआ है। एक तरफ कोचिंग सेंटर में पढ़ रहे बच्चो की हाजिरी किसी प्राइवेट स्कूल में लग रही है। वही अब स्कूलों की मान्यता को लेकर दर्ज नाम और बच्चो को बताए जा रहे नाम को लेकर भी कुछ मामले सामने आए हैं जो सीधे तौर पर फ्राड में आते हैं। हरियाणा शिक्षा निदेशालय के पास इसकी शिकायतें पहुंची हैं। जिसके आधार पर विभाग के सहायक निदेशक के नेतृत्व में दो सरकारी प्राचार्यों के साथ तीन सदस्यों की टीम शक के दायरे में आए स्कूलों का दौरा करेगी। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार जब भी किसी शिक्षण संस्थान का नाम बदलना होता है उसके लिए एक प्रक्रिया को पूरा करना होता है। अगर किसी स्कूल की मान्यता सीबीएसई से है और वह नाम बदलना चाहता है तो उसे हरियाणा सरकार के शिक्षा निदेशालय के फार्म नंबर 2 को भरना होगा। जिसके आधार पर सहायक निदेशक, दो सरकारी स्कूल के प्राचार्यों की टीम उस स्कूल का दौरा करेगी। सभी दस्तावेज जांचे जाएंगे। स्वीकृति मिलने के बाद फाइल सीबीएसई के पास जाएगी। वहा भी सीबीएसई की टीम मौके पर आकर निरीक्षण कर सकती है या फिर हरियाणा सरकार के दस्तावेजों के आधार पर भी मान्यता में स्कूल नामकरण को मंजूरी दे सकती है। लेकिन हैरान करने वाली बात यह है की अकेले रेवाड़ी जिले में 20 से ज्यादा ऐसे प्राइवेट स्कूल हैं जो हर दो तीन साल में टेंडर की तरह नाम बदलते हैं लेकिन रिकार्ड में कुछ भी नहीं होता। आमतौर पर कुछ शिक्षक या बिजनेसमैन ऐसे स्कूलों को लीज पर एग्रीमेंट के आधार पर ले लेते हैं। उसके आधार पर उन्हें हरियाणा सरकार के शिक्षा विभाग एवं सीबीएसई की गाइड लाइन की पूरी पालना करनी होती है लेकिन पैसो के लालच व अन्य वजहों से वे ऐसा नहीं करते हैं। इससे उस संस्थान में पढ़ने वाले बच्चो का भविष्य दांव पर लग जाता है। कुछ माह पहले एक प्राइवेट स्कूल का मामला सामने आ चुका है जिसमें बच्चो की फीस स्कूल प्रबंधन के खातों में जमा होनी चाहिए थी लेकिन उसे स्कूल को लीज पर लेने वाले शिक्षक अपने खातों में जमा करते रहे। खुलासा होने पर स्कूल में कई दिनों तक हंगामा चला। पुलिस में दोनों तरफ से एफआईआर तक दर्ज है और बच्चो का भविष्य पूरी तरह दाव पर लग गया। ऐसे ही मामले अब आने वाले दिनों में सामने आ सकते हैं। नियमानुसार बच्चो की फीस स्कूल प्रबंधन के खातों में जमा होनी चाहिए ताकि  सीबीएसई की मान्यता को लेकर हर साल जाने वाला रिकार्ड में बच्चो की संख्या और आय व्यय का विवरण भी अपडेट रहे। साथ की इंकम टैक्स की कार्रवाई से बचा जा सके। दिल्ली रोड स्थित व धारूहेड़ा में  कुछ प्राइवेट स्कूलों में पिछले दो सालों में प्रबंधन बदलाव को लेकर हुए समझौते में बच्चो के भविष्य को पूरी तरह से दाव पर लगा दिया गया है। स्कूलों के बाहर नाम कुछ लिखा जा रहा है जबकि रिकार्ड कुछ ओर ही बयां कर रहा है। इन्हीं स्कूलों में कुछ बच्चे अलग अलग स्थानों पर खुले कोचिंग सेंटरों में पढ़ रहे हैं लेकिन उनकी हाजिरी इन्ही स्कूलों में लग रही है। यह इतना बड़ा जोखिम है कि अगर कनीना जैसा कोई अप्रिय घटना हो गई तो इसमें असली दोषियों को पकड़ पाना मुश्किल हो जाएगा।

अभिभावक अलर्ट हो जाए, दाखिला के समय स्कूल का रिकार्ड जरूर जांचे

शिक्षा के नाम पर हो रहे इस खेल में अभिभावकों को पूरी तरह से अलर्ट ओर सजग रहने की बेहद जरूरत है। निदेशालय ने भी गाइड लाइन जारी कर अपील की है कि वे अपने बच्चो का दाखिला कराते समय स्कूल की मान्यता और फीस संबंधित रसीद का पूरा ब्यौरा जरूर अपने पास रखे। फीस स्कूल के खाते में डाले। अगर कोई अप्रिय घटना होती है तो इसके लिए अभिभावक भी पूरी तरह  से जिम्मेदार माने जाएंगे।

कोचिंग सेंटर- प्राइवेट स्कूलों के रिकार्ड को लेकर होगी बड़ी कार्रवाई

शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया की कनीना में हुए हादसे के बाद हरियाणा सरकार ओर शिक्षा निदेशालय कोचिंग सेंटरों व  प्राइवेट स्कूल की कार्यप्रणाली और तोर तरीकों को लेकर पूरी तरह से गंभीर है। चुनाव होने की वजह से कुछ देरी हो रही है लेकिन इस बार कार्रवाई व्यापक स्तर पर चलेगी। सरकार भी इस पर नए कानून लाने पर विचार कर रही है। हम अभी मीडिया में नही बता सकते की हम क्या कर रहे हैं। जनता से भी अपील है की वे किसी भी स्कूल या अवैध तौर पर चल रहे कोचिंग सेंटर की शिकायत सीएम विंडो या संबंधित शिक्षा विभाग के पास कर सकता है। अगर उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती है तो शिक्षा निदेशालय को भेजे जहा अलग से एक टीम इस पर काम कर रही है।