प्रत्येक माता- पिता, शिक्षा विभाग और शिक्षा जगत से जुड़े सभी लोगों का यह खबर जरूर पढ़नी चाहिए

हरियाणा विजिलेंस को भेजी गई शिकायत से हो रहा खुलासा 


कोचिंग सेंटर जहां शाम होते ही टकराते जाम, एक बच्चा कर चुका सुसाइड


-सेक्टर चार  में एक कोचिंग सेंटर ऐसा है जहा शाम होते ही जाम टकराते है, यह जिस घर में यह चल रहा है उसका मालिक भी सरकारी शिक्षक है। जो पैसो के लालच में सबकुछ अनदेखा कर ऐसा करने की अनुमति देता है। यह शिक्षक खुद प्रोपटी डीलर भी है


-दो साल पहले इसी सेक्टर में चल रहे कोचिंग सेंटर से परेशान एक बच्चा सुसाइड तक कर चुका है


– रविवार को प्रकाशित विज्ञापन में पारस खोला स्वराजंलि स्कूल का छात्र, डीवीसी गुरुकुलम दा स्कूल अपना बता रहा


रणघोष अपडेट. रेवाड़ी

अखबारों में झूठे ओर तथ्यहीन उपलब्धि से भरे विज्ञापनों की आड में अपने काले कारनामों को किसी तरह छिपाते आ रहे कोचिंग सेंटरों का काला सच सामने आने लगा है। रेवाड़ी शहर का सेक्टर चार सबसे ज्यादा निशाने पर है जिसकी एक शिकायत सीएम, शिक्षा मंत्री एवं हरियाणा विजिलेंस को भेजी गई है। यह शिकायत भी बावल रोड स्थित एक प्राइवेट स्कूल के एक  शिक्षक ने की है जहा पहले इस सेंटर के बच्चो की हाजिरी लगती थी जबकि वे पूरे समय पढ़ाई सेंटर में करते थे। इस स्कूल में गलत हरकतें होने से स्कूल संचालक ने कोचिंग सेंटर को वहा से भगा दिया। अब यह कोचिंग सेंटर दिल्ली रोड स्थित एक प्राइवेट स्कूल में अपने बच्चो की हाजिरी दिखा रहा है जिसमें रिकार्ड के तौर पर आधिकारिक तौर पर कुछ भी नही है जिससे बच्चो का भविष्य सुरक्षित रखा जा सके।

रेलवे कालोनी का बच्चा कर चुका सुसाइड

सेक्टर चार में  चल रहे इन कोचिंग सेंटर से ही एक साइंस संकाय का विद्यार्थी व्यथित होकर सुसाइड कर चुका है। यह बच्चा शहर की रेलवे कालोनी में रहता था। उसने अपने घर में ही सुसाइड किया था। वह कोचिंग सेंटर नही जाना चाहता था लेकिन माता पिता की नासमझी और कोचिंग सेंटरों के जाल में वह फंसता चला गया और उसे अपनी जान की कीमत देनी पडी।

 अभिभावक पूरी तरह से जिम्मेदार, शिक्षक पर कर लेते आंखमूंद कर भरोसा

 यहा अभिभावक पूरी तरह से जिम्मेदार है जो अपने बच्चो का दाखिला कराते समय ऐसे शिक्षकों के बहकावे में आ जाते हैं जिसकी नियुक्ति ज्यादा से ज्यादा बच्चो का दाखिला कराने की होती है। इस तरह के शिक्षक हर साल ज्यादा वेतन के नाम पर स्कूल बदलते रहते हैं और बच्चो को एक स्कूल से तोडकर दूसरे स्कूल में दाखिला कराने का टेंडर लेकर अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। यह शिक्षा के नाम पर अलग से खेल है जिसे स्कूल संचालक बेहतर जानते हैं।  

पारस खोला स्वराजंलि स्कूल का छात्र, डीवीसी गुरुकुलम दा स्कूल अपना बता रहा

रविवार को रेवाड़ी भास्कर में प्रकाशित डीवीसी गुरु कुलम दा स्कूल के विज्ञापन में दिखाए गए बच्चो को लेकर विवाद हो गया है। जिस छात्र पारस खोला को यह स्कूल अपना छात्र बता रहा है। उनके  पिता विपिन यादव के अनुसार वह तो बावल रोड स्थित स्वराजंलि स्कूल का छात्र रहा है। वह तो 2023 में ही पासआउट हो चुका है और वर्तमान में पिछले एक साल से अधिक समय से गुरुग्राम में रहकर बीटैक कर रहा है। अब सवाल उठ रहा है की जो छात्र एक साल पहले पासआउट होकर जा चुका है वह भी दूसरे स्कूल का है इसे यह स्कूल अपना क्यो बता रहा है। ऐसे बहुत से बच्चे है जो कुछ साल यहा से जा चुके हैं उनके फोटो हर साल विज्ञापनों में लगाकर गुमराह किया जा रहा है। सस्ती लोकप्रियता में माता पिता चुप रहते हैं लेकिन वे भूल जाते हैं कि ये स्कूल संचालक और कोचिंग सेंटर उनके बच्चे को शिक्षा के बाजार में बेच चुके हैं।  

छात्रों को अपना बताकर स्कूल- कोचिंग सेंटर लूट रहे झूठी वाही वाही

इसी तरह प्रकाशित अन्य कोचिंग सेंटरों के विज्ञापनों में भी खेल हो रहा है। कोचिंग सेंटर जिन बच्चो को अपना बताकर उनकी उपलब्धि का श्रेय ले रहा है । इन्ही बच्चो को प्राइवेट स्कूल अपना होने का दावा कर जमकर प्रचार कर रहे हैं। स्कूल का समझ में आता है लेकिन कोचिंग सेंटर किस आधार पर दावा कर रहे हैं यह उनके रिकार्ड की जांच करके ही पता चल सकता है कि जिस समय ये बच्चे पढ़ाई कर रहे थे वे उस समय स्कूल में थे या कोचिंग सेंटर। एक बच्चा एक ही समय दो जगह कैसे हो सकता है। यह सभी के लिए गंभीर सवाल है।

  भ्रमित और झूठे विज्ञापनों से खेला जा रहा यह खेल, अभिभावक संभल जाए

ये कोचिंग सेंटर बच्चो का चयन होने से पहले ही विज्ञापनों के माध्यम से ऐसा खेल रच देते हैं की ना चाहते ही भी अभिभावक इसकी चपेट में आ जाते हैं। जिस तरह जेईई, नीट, एनडीए, सैनिक और मिल्ट्री स्कूल में बच्चो का चयन होने से पहले ही लिखित परीक्षा पास होने को  ही आधार बनाकर इस तरह झूठे और भ्रामक प्रचार में जुट जाते हैं मानो उसका चयन हो गया हो। जिसकी वजह से आगे चलकर चयन नही होने पर ये बच्चे जिनका सार्वजनिक सम्मान हुआ वे डिप्रेशन में जाकर गलत कदम उठाने के लिए मजबूर हो जाते हैं। इसके लिए अभिभावकों को अलर्ट होना पडेगा कि वे अपने बच्चो की फोटो तभी विज्ञापनों में लगाने की अनुमति दे जब तक उसका चयन नही हो जाए। सस्ती और झूठी लोकप्रियता में अपने बच्चो का भविष्य का खत्म ना करे। इसके लिए वे खुद भी जिम्मेदार होगे।

  सुविधा के नाम पर चल रहे अवैध स्विमिंग पुल, हादसा हुआ तो कौन जिम्मेदार

 जिस तरह विज्ञापनों में ये स्कूल सुविधा के नाम पर स्विमिंग पुल जैसी अनेक सुविधाओं के होने का दावा करते हैं जबकि वे स्वास्थ्य विभाग, खेल एवं युवा कार्यक्रम के नियमों के एकदम खिलाफ है जिसका कोई रिकार्ड नही है। स्विमिंग पुल चलाने के लिए विशेष नियमों का अमल में लाना जरूरी है। समय समय पर इन स्कूलों को नोटिस जारी होता रहता है लेकिन उसके नाम पर ले देकर सबकुछ शांत करा दिया जाता है। दिल्ली रोड स्थित एक स्कूल में खुला स्विंमिग में तो आस पास गांवों के बच्चे भी इंजवाय करने के लिए आ रहे हैं।  अगर कोई अप्रिय घटना होती है तो कौन जिम्मेदार होगा। यह गंभीर सवाल है। हालांकि सूचना मिलने के बाद हरकत में आए अधिकारियों ने मौके पर जाकर कार्रवाई करने की बात कही है।

कोचिंग सेंटर को लेकर प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन खुद ही विवादों में

 हरियाणा प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन लगातार कोचिंग सेंटरों के खिलाफ मोर्चा खोल रहा है  लेकिन उसे भी अपनी एसोसिएशन में ही कुछ स्कूल संचालकों से  चुनौतिया मिल रही है। खुद प्राइवेट स्कूल अपने यहा कोचिंग सेंटरों के बच्चो का कागजों में दाखिला दिखाकर अच्छी खासी कमाई करने में लगे हुए हैं। कुछ स्कूलों ने तो शहर में ही कोचिंग सेंटर चलाए हुए हैं।  एसोसिएशन में आपसी इसी विवाद के चलते अलग अलग धड़े बने हुए हैं।  

  शिकायत करने वाला प्राइवेट शिक्षक

सेक्टर चार के एक कोचिंग सेंटर की भेजी  शिकायत में बताया गया है की कैसे एक सरकारी शिक्षक के घर में एक कोचिंग सेंटर चल रहा है जहा शाम होते ही जाम टकराते हैं। कुछ दिनों पहले यहा से शराब की बोतले भी बरामद हुई थी। जहा इस कोचिंग सेंटर के संचालक स्कूल चला रहे हैं वहा भी शाम होते ही बोतले खुल जाती है। इस शिक्षक ने बताया की यह शिक्षा के नाम पर बडा खेल है यह मकडजाल की तरह चारों तरफ फैला हुआ है। यही कोचिंग सेंटर अभी तक पांच से ज्यादा घाटे में चल रहे स्कूलों से टाइअप करके सैकड़ों बच्चो का भविष्य का दांव पर लगा चुका है। इसके पास विधिवत तौर पर कोई स्वीकृति पत्र नही है और ना ही बच्चो के नाम पर होने वाली कमाई का वैधानिक रिकार्ड है।

 इंकम टैक्स रिकार्ड खंगाले तो करोडो की काली कमाई उजागर

 अगर इंकम टैक्स विभाग भी इन कोचिंग सेंटरों के रिकार्ड और होने वाली कमाई को लेकर रेड मारे तो कई करोड़ों रुपए की काली कमाई का खुलासा हो सकता है।