आरआरटीएस को लेकर राव गंभीर लेकिन उनके प्रेस नोट में जानकारी का अभाव

 रणघोष अपडेट. रेवाड़ी. गुरुग्राम

इस बार लोकसभा चुनाव में गुरुग्राम सीट पर दिल्ली- गुरुग्राम- धारूहेड़ा- रेवाड़ी- बावल- नीमराना- शाहजहापुर- अलवर के लिए प्रस्तावित रैपिड मैट्रो परियोजना सबसे बड़ा मुददा बन चुकी है। यहा से भाजपा उम्मीदवार राव इंद्रजीत सिंह ने दक्षिण हरियाणा की तस्वीर बदलने वाली इस परियोजना पर गंभीरता से अमल करना शुरू कर दिया है। वे लगातार जनसभाओं में इसे उठा रहे हैं ओर वायदा कर रहे हैं कि चुनाव जीतने के बाद उनका पहला लक्ष्य इस परियोजना को बावल तक पूरा करवाना है। इस सबके बावजूद राव की तरफ से जारी हो रहे प्रेस नोट में इस परियोजना को लेकर जानकारी का अभाव भी सामने आ रहा है। जिसे दुरुस्त करना इसलिए जरूरी है की जनता में गलत मैसेज नही जाए। यह राव इंद्रजीत सिंह की खुशनसीबी है की उनके विरोधियों को भी इस प्रोजेक्ट की कोई विशेष जानकारी नही है इसलिए वे समझ नही पा रहे की गलतिया कहा हो रही है।

4 मई को राव इंद्रजीत सिंह के नाम से उनकी मीडिया प्रबंधन ने प्रेस नोट जारी किया की दिल्ली से बावल तक आरआरटीएस परियोजना मंजूर। आधिकारिक तौर पर यह परियोजना 2009 में ही मंजूर हो चुकी थी। इसे बावल तक नही अलवर तक स्वीकृति मिल चुकी है। मसला इस परियोजना को पहले चरण में  राजस्थान शाहजहापुर तक पूरा करना था लेकिन अचानक डीपीआर में संशोधन कर इसे धारूहेड़ा तक कर दिया गया। रेवाड़ी और बावल को भी छोड़ दिया गया। इसका खुलासा होते ही आमजन और संगठनों ने एक आवाज में मैट्रो की आवाज को ताकत देना शुरू कर दिया। हजारो पत्र पीएम- सीएम के नाम भेजे  जा रहे हैं।

एनसीआरटीसी जाकर सही जानकारी का पता लगाया

संगठनों के एक प्रतिनिधिमंडल ने 2 मई को दिल्ली स्थित एनसीआरटीसी मुख्यालय पहुंचकर इस परियोजना में सही दुरुस्त जानकारी को जुटाया था। जिसके मुताबिक बजट की कमी के चलते आरआरटीएस को पहले चरण में धारूहेड़ा तक ही लिया गया है। इससे पहले पहले चरण में इस मैट्रो को राजस्थान के शाहजहापुर तक पूरा किया जाना था। लघु उद्योग भारती के जिला अध्यक्ष संजय डाटा, रणघोष समाचार पत्र के संपादक प्रदीप नारायण ने एनसीआरटीसी जानकारी इस परियोजना को लेकर सभी आवश्यक सही जानकारी जुटाई।

दिल्ली पानीपत मैट्रो को करनाल तक ले जाने की तैयारी

इसके साथ साथ दिल्ली से पानीपत तक भी यह आरआरटीएस परियोजना मंजूर हो चुकी है। सूत्रो के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री मनोहरलाल आरआरटीएस को अपने गृह जिला करनाल तक ले जाने को लेकर लगातार चर्चा कर रहे हैं। गंभीरता के साथ इस पर विचार भी चल रहा है

दक्षिण हरियाणा के साथ यह कैसा अन्याय.. नेता बताए

दक्षिण हरियाणा के साथ यह लगातार कैसा और क्यो अन्याय किया जा रहा है। यहा के नेताओं को अपनी सरकार पूछना ही चाहिए। क्या बजट दक्षिण हरियाणा के लिए ही नही है या खत्म हो जाता है। जिसकी वजह से पहले चरण में इस मैट्रो को धारूहेड़ा तक कर दिया गया जबकि शाहजहापुर तक इसे किया जाना तय था।

दिल्ली- गाजियाबाद- मेरठ के लिए बजट की कोई दिक्कत नही

कमाल देखिए दिल्ली- गाजियाबाद- मेरठ आरआरटीएस परियोजना दिल्ली- रेवाड़ी- अलवर के 2009 के प्रोजेक्ट के बाद आई थी। वहा मैट्रो ने दौड़ना भी शुरू कर  दिया है। दायरा भी बढ़ाया जा रहा है। आए दिन डीपीआर बदली जा रही है। तेजी से कार्य चल रहा है वहा बजट को लेकर कोई दिक्कत नही है। उधर दिल्ली- अलवर मैट्रो के 15 साल गुजार दिए। कोई बोलने, समझने और जानने वाला नही है की दक्षिण हरियाणा में भी लोग रहते है।

जागृत अवस्था नही होने की कीमत चुकाता रहा यह इलाका

यहा की जनता में अपने अधिकारों ओर विकास को लेकर कई दशकों से उदासीनता रही है। उनकी मानसिक प्रवृति मिल जाए तो ठीक ना मिले तो भी ठीक जैसी बन चुकी है । इस मानसिकता की वजह से इस परियोजना के तहत अधिग्रहित की गई जमीन का मुआवजा भी पूरी तरह से नही बांटा गया है। जिला राजस्व विभाग रेवाड़ी इस बारे में 30 से ज्यादा रिमाइंडर हरियाणा सरकार व एचएसआईआईडीसी को भेजा जा चुका है। यानि एक तरफ परियोजना को ठंडे बस्ते में डाला हुआ है साथ ही जमीन पर कब्जा कर उसका मुआवजा तक नही दिया।  इससे पूर्व की परियोजना पर जाए तो  1983 का सैनिक स्कूल 2007 में जाकर मिला ओर एक साल पहले स्कूल को अपना भवन मिला। यानि एक पीढ़ी गुजर जाने के बाद स्कूल नसीब हुआ। इसी तरह एम्स परियोजना संघर्ष के बाद मिली। यही हाल इस मैट्रो परियोजना का भी हो चुका होता अगर यहा के जिम्मेदार और जागरूक संगठन एक आवाज में एकत्र होकर अपनी बात नही उठाते।  यहा भी यह कहना जरूरी है की इतना सबकुछ होने के बाद भी जनता में जो चेतना आनी चाहिए थी वह या तो मर चुकी है या अंतिम चरण मेँ है। जिसे अब चुनाव के माध्यम से जिंदा किया जा रहा है।

हरियाणा विधानसभा चुनाव पर सीधा असर  डालेगी यह परियोजना

इस लोकसभा चुनाव के चार माह बाद हरियाणा विधानसभा होने जा रहे हैं। यह परियोजना सीधे तौर पर चुनाव में असर डालेगी यह भी तय है। यह मैट्रो सीधे तौर पर चार विधानसभा सीट गुरुग्राम, पटौदी, रेवाड़ी और बावल की जनता के लिए वरदान है। साथ ही महेंद्रगढ़  व साथ लगते अन्य जिले के लोगों के लिए भी दिल्ली- गुरुग्राम आने जाने का सबसे सुगम साधन है।  जाहिर है अगर हरियाणा भाजपा सरकार इसे समय रहते अमल में लाती है तो इसका राजनीति फायदा उन्हे मिलना तय है। अगर वह पहले की तरह इसे हलके ढंग से लेती है तो जाहिर है उसे इसकी कीमत भी चुकानी पड़ सकती है। यहा बता दे की यह मैट्रो परियोजना हरियाणा और केंद्र की कांग्रेस सरकार में मंजूर हुई थी। सरकार बदलते ही इस पर किसी ने गंभीरता से अमल नही किया। यहा तक की कांग्रेसी नेताओं ने भी इस परियोजना को लेकर भाजपा सरकारों को घेरना तक उचित नही समझा। इसकी वजह उनका इस परियोजना को लेकर ज्ञान का स्तर कम होना या राजनीति कारण हो सकता है।  नही तो पिछले 15 सालों से इसकी इतनी अनदेखी नही होती।