एनएसएस कैंप में दैनिक रणघोष ने बताए जिंदगी के चार मूल मंत्र:

कभी बुरा नहीं होता, खुद पर गर्व करें, तुलना से बचे, खुद के प्रति ईमानदार रहे


 जिंदगी में सबकुछ बनना आसान है बेहतर इंसान बेहद कठिन


रणघोष अपडेट. रेवाड़ी


दैनिक रणघोष समाचार पत्र के संपादक प्रदीप नारायण का कहना है कि जीवन के सारांश को समझने के लिए अपने आप सवाल करने होते हैं। रणघोष समाचार पत्र ने अपने करीब चार साल के सफर में जीवन के चार मंत्रों से जिंदगी के मायने को समझा है।

प्रदीप नारायण रविवार को शहर के भाड़ावास रोड स्थित राजकीय बाल वरिष्ठ स्कूल में चल रहे राजकीय बाल कॉलेज की एनएसएस ईकाई को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पहला जीवन में कभी कुछ बुरा नहीं होता।  वह आपको बेहतर बनाने के लिए होता है बशर्ते आप सत्यता की कसौटी पर खरा उतरे। रामायण में हम मंथरा के चरित्र पर उंगली उठाते हैं तो रावण का वध कैसे होता। अपने निज स्वार्थ से वशीभूत होकर अगर कोई बुरा करता है तो परिणाम उसे ही भुगतने होते हैं। दूसरा खुद पर गर्व करिए। तीसरा किसी से अपनी तुलना मत करिए ओर अंत में खुद के प्रति ईमानदार रहिए। स्वयं सेवकों से संवाद में यह तय हुआ कि सभी छात्र अपने माता- पिता के जीवन के संघर्ष की कहानी लिखकर जाएंगे जिसे रणघोष प्रमुखता के साथ प्रकाशित करेगा। रणघोष का विजन रहा है कि बेहतर इंसान बनने का रास्ता माता- पिता के संघर्ष से होकर गुजरता है। आज भी 95 प्रतिशत युवाओं को अपने माता- पिता की शैक्षणिक योग्यता, जन्मदिन एवं उनके जीवन यात्रा में आए सभी तरह के उतार चढ़ाव के बारे में कुछ पता नहीं होता। इसकी वजह भी साफ है ना माता-पिता ने यह बताने की कोशिश की और ना ही बच्चों ने जानने का प्रयास किया। नतीजा युवा पीढ़ी अपने परिवार की जड़ों से धीरे धीरे कटती जा रही है जिसकी वजह से परिवार- समाज का सामाजिक ढांचा कमजोर हो रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एनएसएस प्रभारी प्रोफेसर गजेंद्र यादव ने कहा कि एनएसएस कैंप की संस्कृति युवाओं को एक बेहतर इंसान बनाने के लिए प्रेरित करती है। हमें गर्व है कि इस कैंप में आने वाले बच्चे आगे चलकर समाज में संस्कार एवं संस्कृति की सुगंध बिखरते नजर आएंगे।

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