कहानी जरुरी है : बैंक का क्लर्क, कैसे बना 80 के दशक का साधा हीरो, ‘शोले’ और ‘दीवार’ को पछाड़ा बनाया रिकॉर्ड

80 का वो दौर जब अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, विनोद खन्ना और शत्रुघ्न सिन्हा जैसे एक्शन हीरो का बोलबाला था. उसी दौरान एक साधारण सी शक्ल वाला एक्टर अपनी जगह इंडस्ट्री में बना रहा था, जिसका अपना न तो कोई हेयर स्टाइल था न स्टाइलिश लुक. इस कलाकार के पास अगर कुछ खास था तो वो थी उसकी मनमोहक मुस्कान और ढ़ेर सारा अभिनय. आम सा दिखने वाले इस कलाकार का नाम अमोल पालेकर (Amol Palekar) है. इन्होंने हिंदी सिनेमा में तब नाम कमाया, जब हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में बड़े-बड़े स्टार्स की तूती बोलती थी.

बेहद आम दिखने वाले अमोल पालेकर (Amol Palekar) की जिंदगी भी बेहद आम ही थी. क्या आप जानते हैं कि अमोल बैंक ऑफ इंडिया में क्लर्क के तौर पर काम करते थे. फिर कैसे वो सिनेमा इंडस्ट्री में पहुंचे और ‘गोलमाल’, ‘घरौंदा’ और ‘बातों बातों में’ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में देकर लोगों के खास बन गए. क्या आप जानते हैं 80 के दशक में इन्हें लोग छोटी बजट की फिल्मों का ‘अमिताभ बच्चन’ भी कहते थे.

कैसे बैंक क्लर्क से बन गए फिल्मों के हीरो
आम सा दिखने वाले अमोल पालेकर कभी बैंक में क्लर्क के तौर पर काम करते थे. वह बैंक ऑफ इंडिया में अपनी सेवाएं दे रहे थे. लेकिन कहते हैं न कि प्यार जो न कराए वो थोड़ा. अमोल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. चित्रा नाम की एक साधारण लड़की से प्यार हुआ, जो थियेटर से जुड़ी थी. उसी के चक्कर में थियेटर से जुड़े. बस फिर क्या था काम में मजा आने लगा. थियेटर में सत्यदेव दुबे से मुलाकात हुई, तो उन्हें एक नाटक में एक्टिंग का मौका मिला.

सत्यदेव दुबे से सीखी बेसिक एक्टिंग
अमोल पालेकर ने किसी इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने बेसिक एक्टिंग सत्यदेव दुबे से सीखी थी. इसके बाद, उन्होंने एक्टर के तौर पर अपना फिल्मी सफर शुरू किया था. निर्देशक बासु चटर्जी ने उनका काम देखा और फिर उन्होंने उन्हें ‘रजनीगंधा’ में एक्टिंग करने का मौका दिया. ये फिल्म सुपर-डुपर हिट हुई.

‘दीवार’ और ‘चुपके-चुपके’ को पछाड़ा
इनके बाद बासु चटर्जी ने उन्हें फिर ‘छोटी सी बात’ के लिए कास्ट किया. लेकिन ये वो दौर था जब अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र की ‘शोले’ से गदर मचा रहे थे और फिल्म को बेचना भी मुश्किल पड़ रहा था, तब राजश्री प्रोडक्शन ने फिल्म को रिलीज किया तब ‘छोटी सी बात’ ने ‘शोले’, ‘दीवार’ और ‘चुपके-चुपके’ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों को पछाड़ते हुए फिल्मफेयर अवार्ड अपने नाम कर लिया.

कैसे बने छोटी बजट की फिल्मों का ‘अमिताभ बच्चन’?
अमोल पालेकर उस दौर में छोटी बजट की फिल्मों का ‘अमिताभ बच्चन’ कहलाए. ऐसा लोगों ने उन्हें इसलिए कहा, क्योंकि उसी दौर में अनिताभ बच्चन भी एक के बाद एक सुपरहिट फिल्में दे रहे थे, जिनका बजट भी अच्छा खासा हुआ करता था. उस दौर में ये छोटे बजट वाले फिल्ममेकर्स के लिए भगवान बनकर आए. अमोल पालेकर ने ‘चितचोर’, ‘घरौंदा’, ‘मेरी बीवी की शादी’, ‘गोलमाल’, ‘नरम-गरम’, ‘श्रीमान-श्रीमती ‘जैसी कई यादगार फिल्में बॉलीवुड को दी हैं. बतौर निर्माता निर्देशक ज्यादा सक्रिय हैं.

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