कांग्रेस की बढ़ती मुश्किलेंः हाईकोर्ट ने टैक्स रीअसेसमेंट की नई अर्जी भी खारिज की

रणघोष अपडेट. देशभर से 

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को आयकर विभाग द्वारा उसके खिलाफ शुरू की गई पुनर्मूल्यांकन (रीअसेसमेंट) कार्यवाही को चुनौती देने के लिए कांग्रेस द्वारा दायर की गई चार नई याचिकाओं को खारिज कर दिया। जस्टिस यशवन्त वर्मा और जस्टिस पुरूषेन्द्र कुमार कौरव की बेंच ने कांग्रेस के साथ-साथ आईटी विभाग द्वारा इस बात पर सहमति जताने के बाद याचिकाओं को खारिज कर दिया कि नवीनतम याचिकाएं कुछ अन्य असेसमेंट वर्षों के संबंध में अदालत द्वारा हाल ही में सुनाए गए फैसले के दायरे में आती हैं। इससे पहले अदालत ने 22 मार्च को मूल्यांकन वर्ष 2014-15, 2015-16 और 2016-17 के लिए रीअसेसमेंट कार्यवाही को चुनौती देने के लिए कांग्रेस द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था। अन्य मूल्यांकन वर्षों के लिए नवीनतम चार याचिकाएं, जिनके संबंध में आईटी विभाग ने नए सिरे से जांच शुरू की है, को अदालत ने गुरुवार को उन्हीं तर्कों पर खारिज कर दिया। हाल के हफ्तों में कई टैक्स संबंधी कार्यवाही का सामना कर रही कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर लोकसभा चुनाव से पहले उसे आर्थिक रूप से “पंगु” करने का प्रयास करने का आरोप लगाया है। आईटी विभाग द्वारा शुरू की गई कार्यवाही को चुनौती देने के खिलाफ राजनीतिक दल को अदालतों से लगातार कोई मदद नहीं मिल रही है। उसकी किसी भी याचिका पर कोर्ट ने उसे कोई राहत नहीं दी। कांग्रेस का कहना है कि जब उसके बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए हैं तो वो चुनाव किस तरह लड़ेगी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस को लेवल प्लेइंग फील्ड (समान अवसर) देने की बात कही थी। लेकिन देश की संवैधानिक संस्थाएं चुनाव के मद्देनजर फैसले नहीं सुना रही हैं, जबकि अमेरिका तक इस बात पर चिंतित है कि भारत की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए हैं। 22 मार्च को कोर्ट ने वर्ष 2014-15, 2015-16 और 2016-17 के संबंध में कांग्रेस द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज करते हुए टिप्पणी की थी कि आईटी विभाग के पास प्रथम दृष्टया आगे की जांच के लिए “पर्याप्त और ठोस सबूत” हैं। इसी तरह, कोर्ट ने 13 मार्च को आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी) के उस आदेश के खिलाफ कांग्रेस द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें बकाया करों में लगभग ₹105 करोड़ की वसूली के लिए आईटी विभाग द्वारा जारी मांग नोटिस पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था।