कोचिंग एकेडमी- सेंटर के खिलाफ मोर्चा खोलेंगी प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन

    हाजिरी दिखाते हैं स्कूलों में बच्चे पढाई कर रहे अवैध कोचिंग सेंटर, एकेडमी में 

    बच्चो के बेहतर भविष्य की शुरूआत झूठी रिपोर्ट कार्ड से करते हैं


 रणघोष अपडेट. रेवाड़ी

हरियाणा प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन पहली बार शहर के गली मोहल्लो एवं आस पास गांवों में सैनिक- मिल्ट्री- एनडीए, नीट, जेईई समेत अनेक राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं की तैयारी के नाम पर अवैध तौर पर खुली कोचिंग एकेडमी एवं सेंटर के खिलाफ मोर्चा खोलने जा रहा है। एसोसिएशन का कहना है की हम लगातार शिक्षा विभाग एवं राज्य सरकार को लिखित में अवगत करा चुके हैं। शिक्षा के नाम पर खुली इन दुकानों को बंद करने का समय आ चुका है नहीं तो हजारों लाखों बच्चों का भविष्य खतरे में पड जाएगा। राजस्थान इसका खामियाजा भुगत चुका है। वहां अलग से कानून आ चुका है। हरियाणा में भी बड़े कदम उठाने की जरूरत है। एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष रामपाल यादव,  मुख्य संरक्षक जवाहरलाल दूहन, प्रदेश उपाध्यक्ष चौधरी रणबीर सिंह  ने कहा की शिक्षा के नाम पर चारों तरफ ऐसी लूट मची हुई है मानो अब इसकी कोई मर्यादा एवं प्रतिष्ठा ही नहीं बची हो। अगर हमने अभी नहीं सोचा तो युवा पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी। एसोसिएशन का कहना है की जिस कमरों में पहले सरसों एवं गेहूं की बोरियां रखी जाती थी उसे बच्चों की कक्षाएं बनाई हुई है। 

दो दिन बाद नया शिक्षा सत्र शुरू होने जा रहा है। हर साल शिक्षा के नाम पर एकेडमी एवं कोचिंग सेंटर की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। इन सेंटरों का शिक्षा विभाग के पास कोई रिकार्ड नहीं है और ना ही बच्चो को पढ़ाने की कोई अनुमति है। अमूमन यह स्थिति पूरे देश में बनी हुई है। कोई घटना होने पर ही प्रशासन और शिक्षा विभाग अलर्ट होता है उसके बाद  कार्रवाई के नाम पर सबकुछ ठंडे बस्ते में चला जाता है।  रेवाड़ी शहर व आस पास क्षेत्रों में छोटे बड़े मिलाकर 100 से ज्यादा कोचिंग सेंटर अवैध तौर पर सक्रिय है। जिसमें अधिकांश हर साल  सैनिक- मिल्ट्री- एनडीए, नीट, जेईई समेत अनेक राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा परिणाम के समय सार्वजनिक तौर पर विज्ञापन एवं अन्य प्रचार प्रसार माध्यमों से सामने आते हैं। ये हकीकत से उलट गुमराह करने वाला प्रचार करते हैं ताकि उससे प्रभावित होकर अभिभावक उनके यहां अपने बच्चो को भेज दे। पिछले दिनों सैनिक स्कूल  में प्रवेश को लेकर हुई लिखित परीक्षा परिणाम के नाम पर इसका खुलासा हो चुका है। इस परीक्षा में 40 प्रतिशत अंक लेने वाला बच्चा भी क्वालीफाई माना जाता है। इसे भी इतनी बड़ी उपलब्धि मानकर बच्चे का फोटो और उसका सम्मान इस तरह किया जाता है मानो उसका चयन हो गया हो। नतीजा  जब 99  प्रतिशत से ज्यादा बच्चो का सीमित सीटों के आधार पर बनी टॉप मैरिट में नंबर नहीं आता है तो ये  कोचिंग सेंटर एवं एकेडमी चुप हो जाती है। कायदे से इन्हें हर साल चयनित होने वाले बच्चो की सूची जारी करनी चाहिए। कुछ एकेडमी तो बड़ी चालाकी से हर साल विज्ञापन में उन बच्चों का भी फोटो लगा देती है जिनका दो-तीन व चार साल पहले चयन हुआ था।  इन कोचिंग एवं शिक्षा एकेडमी की हरकतों के चलते बच्चे डिप्रेशन में जा रहे हैं। कुछ आत्मघाती कदम उठा चुके हैं।  एसोसिएशन का मानना है की जब किसी बच्चे का चयन ही नहीं हुआ। उससे पहले लिखित परीक्षा के आधार पर उसका इतना सार्वजनिक प्रदर्शन करना हर लिहाज से सरासर गलत है। बच्चे ने सैनिक स्कूल की परीक्षा उसमें दाखिला लेने के लिए दी थी ना की टाइम पास करने के लिए। सोचिए पहले बच्चे का सम्मान किया जाता है कुछ दिन बाद उसे बताया जाता है कि उसका चयन नहीं हुआ है। ऐसी स्थिति में वह अपने परिवार और समाज के सामने किस तौर पर गर्व महसूस कर पाएगा। यह मनोस्थिति के आधार पर गंभीर विषय है।

 कोचिंग सेंटर एवं एकेडमी सबसे ज्यादा जिम्मेदार

 कोचिंग सेंटर और एकेडमी इसलिए ज्यादा जिम्मेदार है क्योंकि वे अवैध तोर पर बच्चों को इस तरह की परीक्षा की तैयारी के लिए सुबह शाम पढ़ाते है। सोचिए कागजों में इनके बच्चे किसी स्कूल में पढ़ रहे होते हैं फिजीकल तौर पर ये सेंटर एवं  एकेडमी में नजर आते हैं। अगर कोई अप्रिय घटना हो जाए तो रिपोर्ट किस आधार पर दर्ज होगी यह गौर करने वाली बात है। ऐसा पूर्व में कई बार हो चुका है। प्राइवेट एवं सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करने वाले बच्चे भी इस तरह की परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। चयन नहीं होने पर इन बच्चों की मानसिक स्थिति पर इसलिए ज्यादा प्रभाव नहीं पडता क्योंकि वह ऐसे शिक्षण संस्थान में पढ़ रहा है जिसके शैक्षिणक रिकार्ड में कोई चालाकी नहीं होती। दूसरा वह रूटीन में शिक्षण संस्थान की अनेक गतिविधियों में भी भाग लेता रहता है जिससे वह तुरंत मानसिक तौर पर उबर जाता है। एकेडमी एवं कोचिंग सेंटर पर पूरे समय बच्चे पर इस तरह की परीक्षा की तैयारी का पूरा दबाव रहता है। माता पिता की उम्मीद अलग से दबाव बनाती है। इन सेंटरों एवं एकेडमी में पढ़ाने वाले शिक्षकों पर भी बेहतर रजल्ट देने के नाम पर जबरदस्त दबाव रहता है। जाहिर वे इस तनाव को बच्चो पर डालेंगे नतीजा बच्चा घर और कोचिंग सेंटर एवं एकेडमी के बीच एक प्रोडेक्ट की तरह बनकर रह जाता है जिसमें संवेदनाए एवं बालपन धीरे धीरे शून्य की तरफ चली जाती है। मनोचिकित्सकों के पास आने वाले आने बच्चों में अधिकतर कोचिंग सेंटर एवं एकेडमी से जुड़े रहते हैं। एसोसिएशन का कहना है कि इस  बार हम आर पार की स्थिति स्पष्ट करके रहेंगे।

 शिक्षा विभाग की मिली भगत पूरी तरह से 

कोचिंग सेंटर एवं शिक्षा एकेडमी जिस तरह कुकरमतो की तरह अवैध तौर पर  खुली हुई है उसमें शिक्षा विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों की मिलीभगत की संभावना से इंकार नही किया जा सकता। इसलिए शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती।