कोचिंग सेंटरों के खेल से अपने बच्चो को बचाइए, विज्ञापन बन रहे छलावा

यूपीएससी कोचिंग इंस्टिट्यूट्स के हर एड में दिखी एक ही टॉपर की तस्वीर


–जिसकी तस्वीर लगी वह कभी इंस्टिटयूटस गया ही नहीं 


कोचिंग संस्थानों की आक्रामक दुनिया में सफलता पर क्लेम लेने वाले कई लोग होते हैं. किसी संस्थान की ब्रांड वैल्यू बढ़ाने के लिए एक ही टॉपर कई विज्ञापनों में दिखाई देता है.


 रणघोष खास. नूतन, दी प्रिंट की रिपोर्ट 

जब 28 साल के अभिनव सिवाच ने 2022 में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) परीक्षाओं में 12वीं रैंक हासिल की, तो उनकी तस्वीरें हर जगह छा गई थीं — अखबारों के पूरे पेज़ पर विज्ञापन और पूरे भारत में कोचिंग संस्थानों के बिलबोर्ड पर भी. विडंबना यह है कि सभी ने दावा किया कि वे उनके छात्र रहे हैं.बहुत कन्फ्यूज़न हुई. उनके पास दर्जनों यूपीएससी अभ्यर्थियों के फोन आए और उनसे पूछा गया कि उन्होंने किस कोचिंग से पढ़ाई की थी.सच्चाई तो ये थी कि सिवाच ने अपने 2022 के प्रयास के लिए किसी भी कोचिंग में प्रवेश लिया ही नहीं था. उन्होंने केवल मॉक इंटरव्यू दिए थे और नोट्स से पढ़ाई की थी.कोचिंग संस्थानों की आक्रामक दुनिया में सफलता पर क्लेम लेने वाले कई लोग होते हैं. किसी संस्थान की ब्रांड वैल्यू बढ़ाने के लिए एक ही टॉपर कई विज्ञापनों में दिखाई देता है. अक्सर बिना सहमति के भी और विज्ञापन तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं. इसके लिए टॉपर्स को कोर्स में दाखिला लेने और कक्षाओं में आने की ज़रूरत नहीं है. यहां तक ​​कि आखिरी मिनट की कोई छोटी-सी इंगेजमेंट – जैसे टेस्ट सीरीज़ या नोट्स खरीदना या मॉक इंटरव्यू के लिए उपस्थित होना — उन्हें अपना दिखाने के लिए पर्याप्त माना जाता है.

सफलता का दावा

सिवाच, गरिमा लोहिया (रैंक 2), और स्वाति शर्मा (रैंक 15) उन टॉपर्स में से थे जिनकी तस्वीरों का इस्तेमाल विज़न आईएएस, नेक्स्ट आईएएस, श्रीराम आईएएस, फोरमआईएएस, अनएकेडमी जैसे कई कोचिंग संस्थानों ने विज्ञापनों में किया था. “सीएसई 2022 में टॉप 50 चयन में 39” जैसे कैप्शन वाले विज्ञापन देश के यूपीएससी टॉपर्स की तस्वीरों और रैंकों के साथ प्रतिष्ठित अखबारों के पहले पन्ने पर दिखाई देने लगते हैं. इन विज्ञापनों का उपयोग कोर्स को बेचने और संभावित उम्मीदवारों के बीच संस्थान को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है. यह अभियान कई दिनों तक चलता है.सिवाच, जो दानिक्स कैडर में हैं, वो कहते हैं, “अखबार में मेरी फोटो देखने के बाद हर रोज़ मेरे पुराने ऑफिस के लोग मुझे फोन करते और पूछते थे कि मैं अपनी तैयारी के लिए कितने कोचिंग सेंटरों में गया, लेकिन इस कोशिश के लिए, मैं किसी कोचिंग सेंटर में गया ही नहीं. हालांकि, मैंने एक कोचिंग सेंटर से कुछ नोट्स लिए थे और मॉक इंटरव्यू दिए.”लेकिन कम से कम चार संस्थानों ने उन्हें अपना टॉपर होने का दावा किया है. विज़न आईएएस ने सिवाच की एक तस्वीर पोस्ट करते हुए कहा कि उन्होंने वैकल्पिक एडवांस कोर्स (समाजशास्त्र), निबंध मार्गदर्शन, सामान्य अध्ययन और इंटरव्यू गाइडेंस की कक्षाएं लीं.सिवाच कहते हैं, “इन कोचिंग सेंटरों को यह दिखाना चाहिए था कि ये सभी कोर्स किस वर्ष में लिए गए थे. मैंने 2020 में अपने जीएस के लिए पढ़ाई की और 2022 में सिलेक्ट हो गया.” 2020 में सिवाच संस्थान से ऑपशन्ल सब्जेक्ट के लिए कक्षाओं में गए, लेकिन उस वर्ष उन्होंने परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की.अभ्यर्थी नियमित रूप से विभिन्न कोचिंग संस्थानों के कई मॉक इंटरव्यू में शामिल होते हैं, जहां उन्होंने नामांकन भी नहीं करवाया होता. वो यह सुनिश्चित करने के लिए ऐसा करते हैं कि अपनी तैयारियों में किसी चीज़ की कमी न रहे. छोड़ दें.जबकि कई यूपीएससी टॉपर्स ने कहा कि वे आमतौर पर ऐसी प्रथाओं को नज़रअंदाज कर देते हैं.सिवाच ने कहा, “नए उम्मीदवारों के लिए ऐसे विज्ञापन भ्रमित करने वाले होते हैं.”कुछ टॉपर्स ने इस मुद्दे को Quora पर उठाया है. 2015 में अखिल भारतीय यूपीएससी टॉपर इरा सिंघल ने इसे मार्केटिंग स्टंट करार दिया. सिंघल, जो अब शिक्षा विभाग, अरुणाचल प्रदेश में विशेष सचिव हैं, कहती हैं, “भले ही आप फ्री सैंपल क्लास लेने के लिए किसी कोचिंग संस्थान में गए हों, कभी-कभी वे सिलेक्शन के बाद अपने छात्र के रूप में आपकी तस्वीरें छापते हैं.”इस प्रथा को रोकने का एक तरीका है. सिंघल ने कहा कि कोचिंग संस्थान को उस कोर्स का नाम भी लिखना चाहिए जो टॉपर्स ने कथित तौर पर जिस साल में लिया हो. वो कहती हैं, “मान लीजिए कि चार साल की तैयारी के बाद मेरा सिलेक्शन यूपीएससी के लिए हो जाता है. पहले वर्ष में, जहां से मैंने नोट्स लिए वो स्थान मेरे काम नहीं आया. फिर दो साल बाद मैंने दूसरी जगह से पढ़ाई की, लेकिन जब मेरा सिलेक्शन हो गया तो, दोनों कोचिंग संस्थान मेरी तस्वीरें छा रहे थे.”कोचिंग संस्थानों का कहना है कि एक अभ्यर्थी अपनी यूपीएससी यात्रा में कई कोचिंग संस्थानों से जुड़ता है. फोरम आईएएस के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) शांतनु कहते हैं, “इस तथ्य में काफी सच्चाई है कि टॉपर्स कई संस्थानों से मदद लेते हैं. वे विभिन्न चरणों में अलग-अलग कोचिंग से जुड़ते हैं.”टॉपर्स के बारे में सीमित जानकारी देने से गलत व्याख्या हो सकती है, लेकिन हर संस्थान इस तरह से काम नहीं करता है. कुछ पाठ्यक्रम और वर्ष का उल्लेख करते हैं.उन्होंने आगे कहा, “मैं इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता कि अन्य संस्थान क्या करते हैं, लेकिन फोरम आईएएस टॉपर्स को न केवल उनके कोर्स के नाम के साथ बल्कि जिस वर्ष उन्होंने प्रवेश लिया था, उसकी लिस्ट भी देता है.”यूपीएससी कोचिंग उद्योग बहुत प्रतिस्पर्धी है और हर कोई यह दिखाना चाहता है कि वे बहुत सारे टॉपर्स दे रहे हैं, लेकिन टॉपर्स को उन संस्थानों से भी कई निमंत्रण मिलते हैं जहां वे सिलेक्शन के बाद मोटिवेशनल स्पीच देने जाते हैं.सिवाच ने कहा, “यह टॉपर्स की ज़िम्मेदारी है कि वे अपने आधिकारिक हैंडल से घोषित करें कि उन्होंने कहां से कौन सा कोर्स किया है. कुछ टॉपर कोचिंग में जाकर भाषण देते हैं. इससे नए उम्मीदवारों को भी एक अलग संदेश जाता है.”

टेस्ट सीरीज़, मॉक इंटरव्यू

हर साल, लाखों अभ्यर्थी यूपीएससी प्रीलिम्स की परीक्षा देते हैं, जबकि कुछ हज़ार लोग मेन्स स्तर तक पहुंचते हैं. ये कोचिंग संस्थान उन उम्मीदवारों पर कड़ी नज़र रखते हैं जो अपने पहले प्रयास में प्रीलिम्स पास कर लेते हैं, लेकिन मेन्स के लिए कई बार प्रयास कर रहे होते हैं. वह जानते हैं कि ये वो उम्मीदवार हैं जिनके सिलेक्शन की संभावना अधिक है. कोचिंग करने वाले लोग इन उम्मीदवारों का पता लगाते हैं और उन्हें उनकी टेस्ट सीरीज़ देखने के लिए बुलाते हैं और कभी-कभी मॉक इंटरव्यू के लिए भी बुलाते हैं.जब कोई यूपीएससी की तैयारी करता है, तो वे अपने सिलेक्शन की संभावना बढ़ाने के लिए टेस्ट सीरीज़ लिखता है. उन्हें प्रीलिम्स और मेन्स दोनों के दौरान शिक्षकों से लिखित फीडबैक मिलते हैं.

सुधांशु शर्मा जो वर्तमान में नई दिल्ली के कोचिंग इंस्टीट्यूट हब करोल बाग में यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं, कहते हैं, “जब मैंने पहली बार मेन्स क्लियर किया, तो मुझे अगले प्रयास में टेस्ट सीरीज़ में छूट की पेशकश करने वाले कॉल आने लगे. अन्य अभ्यर्थियों के साथ भी ऐसा ही होता है.”ये संस्थान हर उस छात्र का डेटा इकट्ठा करते हैं जो उनसे किसी भी तरह से जुड़ा होता है.नेक्स्ट आईएएस के संस्थापक और सीएमडी बी सिंह ने कहा, “हमारे पास लगभग 50-60 लोगों की एक अच्छी शोध टीम है जो संस्थान के लिए डेटा इकट्ठा करती है और उसकी निगरानी करती है.”कई यूपीएससी उम्मीदवारों ने इन आरोपों के संबंध में Quora पर प्रश्न पोस्ट किए हैं कि कुछ कोचिंग संस्थान इन एजेंसियों द्वारा आयोजित सम्मान कार्यक्रमों के लिए पैसे, यात्राएं या निमंत्रण प्रदान करते हैं, लेकिन संस्थान ऐसे दावों से इनकार करते हैं. सिंह कहते हैं, “ये वे सिविल सेवक हैं जिनके बारे में हम बात कर रहे हैं और वे बहुत प्रतिभाशाली और शिक्षित हैं. मुझे नहीं लगता कि वे ऐसा कुछ कर सकते हैं. मैं कह सकता हूं कि मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता.”हाल ही में नेक्स्ट आईएएस के सम्मान समारोह में संस्थान ने हिंदी मीडियम के कोर्स लॉन्च किए. कोचिंग व्यवसाय को बढ़ावा देने और नए पाठ्यक्रम लॉन्च करने के लिए ऐसे प्लेटफार्मों का उपयोग करते हैं.सिंह ने कहा, “सम्मान समारोह वह जगह है जहां टॉपर्स को मार्गदर्शन देने वाले सभी शिक्षक और मुख्य टीचर्स इकट्ठा होते हैं और एक-दूसरे को प्रेरित करते हैं और बधाई देते हैं.”‘सम्मान’ कार्यक्रम का उद्देश्य शीर्ष छात्रों के प्रशिक्षकों और प्रमुख सलाहकारों को एक साथ लाना और टॉपर्स को प्रोत्साहित करना और उनकी सराहना करना है. हालांकि, कोचिंग संस्थान टॉपर्स को किसी भी तरह की छूट या लाभ देने से इनकार करते हैं, लेकिन कुछ उम्मीदवारों ने कहा कि सच में ऐसा हुआ है.नाम न छापने की शर्त पर 2021 के एक टॉपर ने संस्थान के नाम का खुलासा करने से इनकार करते हुए कहा, “मुझे एक तीसरे पक्ष से फोन आया कि एक संस्थान अपने विज्ञापनों में मेरी तस्वीरों का इस्तेमाल करना चाहता है, जिसके लिए उन्होंने मुझे पैसे की पेशकश की.” कई बार तो टॉपर्स को पता ही नहीं चलता कि उनकी तस्वीरों का इस्तेमाल किस संस्थान ने किया है. सिंघल कहती हैं, “यहां तक ​​कि अगर कोई उनके झूठ के खिलाफ लड़ना भी चाहता है, तो वे ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि यह कठिन काम है और इसमें बहुत समय लगेगा. तो यह बस चलता रहता है.”

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