वेंटीलेटर- आक्सीजन के नाम पर हर रोज लाखों लूटने वाले डॉक्टर्स के खेल को समझिए
रूटीन में डॉक्टर्स वेंटीलेटर- आईसीयू- आक्सीजन के नाम पर हर रोज 8 से 14 हजार चार्ज करते रहे अब 50 से एक लाख, बदले में परिजनों को मिली लाश
रणघोष खास. सुभाष चौधरी
कोरोना मरीजों को वेंटीलेटर एवं आक्सीजन के नाम पर एक दिन के बैड के 50 हजार से एक लाख रुपए वसूलने वाले डॉक्टरों का सच सामने आ गया है। इन डॉक्टरों के लिए कोरोना कोई वायरस नहीं छप्पर फाड़ मिलने वाली स्कीम बन चुकी थी जिसे बेहतर अवसर समझकर किसी हालत में उसे हाथ से नहीं देना चाहते थे। इसलिए किसी भी तरह मरीज एक बार दाखिल हो गए उसकी लाश मरे हुए हाथी जितनी कीमत देकर जा रही थी। इसलिए देखा होगा अभी तक की रिपोर्ट के आधार पर मुश्किल से दो से तीन प्रतिशत मरीज ही वेंटीलेटर से जिंदा लौटकर वापस आए है।
अब हम आपको बताते हैं एक वेंटीलेटर- आक्सीजन और आईसीयू पर आने वाला खर्चा कितना आता है। जिसे सुनकर आप हैरान हो जाएंगे। हमने यह जानकारी शहर के टॉप डॉक्टरों से ईमान- धर्म- मानवता- इंसानियत की कसम दिलाकर प्राप्त की है। उन्होंने नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर जो बताया वह हैरान करने वाला था। डॉक्टरों के मुताबिक वैंटीलेटर- आक्सीजन से युक्त आईसीयू का किराया छोटे- बड़े शहरों के हिसाब से थोड़ा कम ज्यादा हो सकता है। एक जैसा नहीं हो सकता। जहां तक रेवाड़ी का सवाल है। सबसे पहले यह सरकार और प्रशासन के गलत फैसलों की वजह से कुछ अस्पतालों के लिए यह लूटपाट का आसान जरिया बन गया है। शहर के कुछ अस्पताल ही कोविड-19 का इलाज करने के लिए अधिकृत किए गए जबकि 95 प्रतिशत से ज्यादा अस्पतालों में लगे वैंटीलेटर- आक्सीजन एवं बैड खाली पड़े हुए हैं। इसलिए इसका नाजायज फायदा उठाने का अवसर कुछ अस्पतालों को मिल गया। देश का बच्चा- बच्चा जानता है कि कोरोना वायरस का डॉक्टरों के पास कोई इलाज नहीं है उसके बावजूद कोरोना मरीजों के परिजनों से दवा, सुविधा व अन्य सुविधाओं के नाम पर लाखों रुपए का बिल थमा दिया गया।
ज्यादा से ज्यादा वेंटीलेटर- आक्सीजन- आईसीयू का प्रतिदिन 8 से 15 हजार बनता है
इन डॉक्टरों का दावा है कि जो अस्पताल वेंटीलेटर- आक्सीजन- आईसीयू के नाम पर 50 हजार से एक लाख रुपए वसूल रहे हैं उनका छह माह पहले का रिकार्ड निकाल लिजिए। असलियत सामने आ जाएगी। जोर मारकर कोई अस्पताल बड़ा होने के नाम पर रेवाड़ी में 15 हजार रुपए इन सुविधाओं के नाम पर ले सकता है जिसमें चार से साढ़े चार हजार आईसीयू, 5 हजार रुपए वेंटीलेटर के, डॉक्टर्स की विजिट, स्टाफ का खर्चा, मेडिसन और पैथालाजी का खर्च भी शामिल है। इससे ज्यादा अगर कोई ले रहा है तो वह मानतवा और इंसानियत का गला घोंट रहा है। कुछ डॉक्टरों का यह भी कहना था सही मायनों में कोरोना मरीजों को वेंटीलेटर की जरूरत ही नही पड़ती यह तो डर इतना कायम कर दिया गया है कि किसी को कुछ सुझ ही नहीं रहा है। इसलिए वह वेंटीलेटर पर जाने के बाद ही शायद ही वापस आता हो। वेंटीलेटर की जगह एक छोटा असाई पैप वेंटीलेटर नुमा आता है जो आसानी से डेढ़ से दो लाख रुपए में मिल जाता है। वह आक्सीजन सिलेंडर समेत कुछ जरूरी आवश्यकताओं से लैस होता है। इसलिए मरीजों से अगर चार्ज किया जाए तो सभी खर्च मिलाकर 8 से 10 हजार प्रतिदिन के हिसाब से अस्पताल सही चार्ज के तौर पर ले सकता है। इसके अलावा शहरों के अस्पताल में जितने भी वेंटीलेटर लगे हुए हैं वह सेकेंड हैंड है जो अमेरिका समेत अनेक बड़े देशों से आयात किए जाते हैं। देखने में नए की स्टाइल में होते हैं इनकी 4 से 5 लाख रुपए की कीमत होती है। अगर नए खरीदे जाए तो यही 14 से 15 लाख रुपए में आते हैं। आमतौर से 5 प्रतिशत अस्पताल ही होंगे जिनके पास नए वेंटीलेटर है। कोरोना में इतना जरूर है कि डॉक्टर्स एवं नर्सिंग स्टाफ को हाई रिस्क के नाम पर 20 से 30 प्रतिशत ज्यादा बढ़ी हुई सैलेरी दी जा रही है जिसे कुछ हद तक सही कहा जा सकता है।
सरकार ने जो रेट तय किए डॉक्टरों ने उसे केवल वेंटीलेटर का चार्ज माना
राज्य सरकार ने डॉक्टरों की मनमानी को रोकने लिए वेंटीलेटर व अन्य तरह का टेस्ट कराने के नाम पर जो राशि तय की है। उसमें भी डॉक्टर्स अपना खेल कर रहे हैं। सरकार ने 12 हजार से लेकर 18 हजार रुपए तक की तीन स्लैब बनाई है। जिसमें दवाईयां, पैथालाजी व टेस्ट तक शामिल है। डॉक्टर्स चालाकी से मरीजों से महज वेंटीलेटर चार्ज के नाम पर यह राशि दिखा कर रहे हैं। उसके बाद डॉक्टर्स की फीस, दवाईयां, तरह- तरह के टेस्ट के नाम पर अलग से वसूली की जा रही है। परेशान मरीज उनकी चालाकी को समझ नहीं पाता और वह लूट जाता है। यह खेल भी बड़ी चालाकी से हो रहा है
पैनिक की वजह से डॉक्टरों को लूटने का मौका मिला
इस वायरस को लेकर पैनिक को इतना फैला दिया गया है कि कोरोना पॉजीटिव होने पर मरीज खुद में इतना सहम जाता है कि वह अस्पताल में वेंटीलेटर और आक्सीजन की तरफ दौड़ने लगता है। देश के नाम डॉक्टर्स डॉ. केके अग्रवाल ने अपने लेख में लिखा है कि लोग कोरोना से कम पैनिक के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं। उन्होंने दो टेबलेट के नाम बताए जिसकी कीमत महज 35 रुपए होती है। उनका दावा है कि इन दवाइयों से कोरोना का इलाज हो जाएगा बशर्ते मरीज धैर्य एवं सकारात्मक सोच को कमजोर नहीं होने दे।