कोरोना में मानवता- इंसानियत के नाम पर नजर आ रहे असली- नकली दो हीरो, पहचाना नहीं तो बड़ी कीमत चुकाएंगे

eqwewqewe रणघोष खास.  प्रदीप नारायण


देश में जिस मानसिकता के साथ हमारी सोच बड़ी हो रही है। उसे अब वहीं रोकने का समय आ गया है। शहीदों के नाम पर बनी फिल्मों में शहीदों का रोल निभाने वाले कलाकारों को हम सिर पर बैठाते हैं। उनका आटोग्राफ लेने के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं। जो  शहीद हुए है उनके घरों में जाने के लिए हमारे पास समय नहीं होता। शहीद का रोल करने पर अभिनेता करोड़ों कमाता है वहीं शहीद का परिवार छोटी से छोटी समस्याओं से जूझता हुआ नजर आता है। यह जमीनी सच है। यही असली भारत का स्वभाव बन चुका  है तो इसे बदल डालिए। कोरोना महामारी में भी यही हो रहा है जो किसी सूरत में नहीं होना चाहिए।

आज देश का ऐसा कोई गांव, कस्बा- शहर का गली मोहल्ला नहीं बचा जहां कोरोना का खौफ नहीं पसरा हो। इलाज के समय प्लाज्मा, वेंटीलेटर- आक्सीजन नहीं मिलने पर अच्छा खासा जिंदा इंसान लाश बनकर वापस लौट रहा है। ऐसे में इंसानियत- मानवता यहीं कहती है वहीं करें जिससे उसकी जान बच जाए। असल में हम ओर हमारे जन प्रतिनिधि कर क्या रहे हैं। गौर से देखिए। भाजपा ने पिछले दिनों रसोई सेवा शुरू की। मकसद कोरोना पीड़ितों को सुबह शाम भोजन मुहैया करवाना। अच्छी बात है। अखबारों- चैनलों में धड़ाधड़ कवरेज हो रही है। इस प्रयास को ऐसे दिखाया जा रहा है मानो कोरोना पीड़ित भूख की वजह से मर रहे हो या उनके परिजनों ने उसे घर से निकाल दिया या फिर उससे रिश्ता खत्म कर लिया हो। ऐसे में इन पीड़ितों के लिए भाजपा कार्यकर्ता मसीहा बनकर आगे आ रहे हैं।  हकीकत यह है कि जो पीड़ित घर में आइसोलेट है उसकी चिंता परिजन जरूरत से ज्यादा कर रहे हैं। सोशल डिस्टेंस व गाइड लाइन का पूरी तरह पालन हो रहा है। उन्हें लापरवाही का सबक मिल गया है। उनका आक्सीजन लेवल भी ठीक है। वे एकांत जीवन में एक समय के बाद ठीक होकर परिवार में घुल मिल रहे हैं। इनके दरवाजों पर सुबह शाम भोजन- मास्क- सेेनेटाइजर  सेवा के नाम पर दस्तक दी जा रही है। उसकी फोटो कवरेज हो रही है और सोशल मीडिया पर इस अभियान को उत्सव की तरह मनाया जा रहा है।  उधर जो मरीज सीरियस हो गए उनके परिजन उसे लेकर अस्पतालों में बेड, वैंटीलेटर- आक्सीजन, प्लाजमा के लिए पागलों की तरह भटक रहे हैं। मरीज एक एक पल जिंदगी- मौत से लड़ रहा है वहां दूर तक इन परिजनों के साथ कोई नजर नहीं आ रहा है। बेड, वैंटीलेटर- आक्सीजन उपलब्ध नहीं कराने में सरकार- सिस्टम तार- तार हो चुका है यह बताने की जरूरत नहीं है। प्लाज्मा को लेकर जिस तरह इंसानियत ओर मानवता नजर आनी चाहिए थी यहां भी ठहराव नजर आ रहा है। कायदे से प्लाजमा देने वाले  रियल हीरो को आगे लाना चाहिए था लेकिन वह तो कहीं नजर हीं नहीं आ रहे हैं। नजर आ रहे हैं राजनीति करने वाले पक्ष और विपक्ष के नेता और कार्यकर्ता। भाजपा सरकार में हैं जाहिर है उसका वजन भारी है। होना यह चाहिए कि कार्यकर्ता टीम बनाकर इलाज के नाम पर लूटने वाले डॉक्टरों के खिलाफ पीड़ितों की आवाज बने। होना यह चाहिए कि वे जिस तरह रैली के लिए भारी भरकम फौज जुटाते है।  उसी तरह कोरोना से ठीक हुए युवाओं को प्लाज्मा देने के लिए प्रेरित करें। कैंप लगाए।  होना यह चाहिए कि वैक्सीन की कमी नहीं है, का झूठा प्रचार करने की बजाय आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए जनता और स्वास्थ्य विभाग के बीच सेतू का काम करें। ऐसा नहीं करके वह किया जा रहा है जिसकी कोई जरूरत ही नहीं है। यहीं हाल उनकी सहयोगी पार्टी जेजेपी और विपक्षी दल कांग्रेस- इनेलो का है। जेजेपी के कार्यकर्ता इतने उत्साहित है कि वे अपने नेता डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला से हुई गुगल मीट या विडियो कांफ्रेसिंग को ही कोरोना का बेस्ट इलाज मानकर अपनी फेसबुक या मीडिया में थोक के भाव वायरल रहे हैं। हम पत्रकारों की भी 56 इंच की छाती है कि ऐसी खबर छापने में कोई शर्मिंदगी महसूस नहीं करते हैँ। वजह हमने रोकी तो दूसरा छाप देगा। छोटे- बड़े नेताओं को खबर चाहिए किसी में भी छपे कोई फर्क नहीं पड़ता। वह अपने नेता को अखबारों की कंटिंग भेजकर राजनीति की अपनी खुराक पूरी कर लेता है। इसलिए मीडिया में आज तक ऐसी कोई खबर नहीं आई जिसमें किसी राजनीतिक दल के नेता यह दावा कर सके कि उनकी पार्टी के इतने कार्यकर्ताओं ने प्लाज्मा दिया। ऐसे में यही माना जाएगा कि देश में राजनीतिक दलों के किसी भी नेता या कार्यकर्ताओं को कोरोना नहीं है। अगर होता वे उसी तरह पूरे उत्साह के साथ आगे आते जिस तरह अपने नेता के जन्मदिन पर ब्ल्ड कैंप लगाने के लिए आते रहे हैं। अफसोस समझदार कार्यकर्ता ऐसा हरगिज नहीं करेगा क्योकि प्लाज्मा देने से फायदा मरीज को हो रहा है उसे और उसकी पार्टी को नहीं। इसलिए वह  मास्क- सेनेटाइजर बांट कर घरों में खाना भिजवाकर किसी तरह अपने मकसद को पूरा कर रहे है। ऐसा करने से उसकी पार्टी को घर घर से नए कार्यकर्ता भी मिल जाएंगे। आगे चलकर पार्टी के नेता यह दावा करते नजर आएंगे कि उनके कार्यकर्ताओं ने कोरोना काल में इतने लाखों- करोड़ों  लोगों के घरों में खाना- मास्क- सेनेटाइजर भिजवाया। उनके बताने का अंदाज इतना शानदार रहेगा मानो अगर उनकी पार्टी ऐसा नहीं करती तो हालात पूरी तरह से बेकाबु हो जाते। लाखों की जान चली जाती। उसके बाद ऐसा करने वाले कार्यकर्ताओं को कोरोना योद्धा सम्मान से नवाजा जाएगा। इस तरह का माहौल बनाया जाएगा कि देश की जनता यह स्वीकार करने के लिए मजबूर हो जाएंगी कि असल में मौत  प्जाज्मा- वेंटीलेटर- आक्सीजन की कमी से नहीं उनकी खुद की लापरवाही से हुई थी। इसमें कोई दो राय नहीं जितनी ज्यादा मौतें होंगी विपक्षी पार्टी घर बैठे उतनी ही मजबूत होती चली जाएगी। इसलिए विपक्षी नेताओं एवं उनके कार्यकर्ताओं ने समय रहते समझदारी दिखाई। उनका मानना था कि अगर प्लाज्मा देना शुरू कर दिया ओर स्थिति कंट्रोल में जाएगी। इसका फायदा सत्ता चला रही पार्टी को मिलेगा। इसलिए बेहतर होगा फिल्मी हीरो की तरह रहो जहां शोहरत और पैसा दोनों मिलते हैं। ऐसे हीरो पर जनता सबकुछ लुटाने के लिए तैयार रहती है। जहां तक रियल हीरो बनने की बात है वे हमेशा शहादत के बाद याद आते हैं वो भी साल में एक बार रस्म अदायगी के तौर पर।

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