जब राव यादुवेंद्र सिंह की राजनीति खुराक ही दीपेंद्र तो रामपुरा हाउस कहां है..
-कोसली विधानसभा सीट पर जहां रामपुरा हाउस का एक छत्र राज हुआ करता था उस विरासत पर अब कांग्रेस की तरफ से दीपेंद्र हुडडा के हस्ताक्षर चल रहे हैं।
रणघोष खास. कोसली की कलम से
कोसली की माटी में खेलकर मजबूत और बड़ी हुई रामपुरा हाउस ( पूर्व सीएम राव बीरेंद्र सिंह का घर ) की राजनीति 2024 में पूरी तरह दूसरे दिग्गज नेताओं के कंधों पर अपनी मजबूती देख रही है। इस परिवार में सबसे छोटे कोसली से दो बार विधायक रह चुके राव यादुवेंद्र सिंह की राजनीति का बायाडोटा पूरी तरह से कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुडडा के हाथों में है जिसके द्वारा ही उनकी आगे की राजनीति तय होनी है। दूसरे शब्दों में कहे तो दीपेंद्र इस नेता के लिएसफलताकाआधारकार्डहैं। जिसके बिना ना वे राजनीति में एक कदम आगे बढ़ सकते हैं और ना हीं ठहर सकते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि 1952 में जन्मी रामपुरा हाउस की राजनीति 72 साल की होने के बावजूद अपना इतना आधार भी नहीं बना पाई की वह एक विधानसभा सीट भी अपने दम पर निकाल सके। एक समय था जब दक्षिणहरियाणामेंजाटलीडरशिपकोयादवनेताओंकेसहारेहीराजनीतिखुराकमिलतीथी।अबस्थितिएकदमउलटीनजरआरहीहै।रेवाड़ी– महेंद्रगढ़कीसातविधानसभाक्षेत्रोंमेंदीपेंद्रकेदौरेसेकांग्रेसउठखड़ीनजरआतीहै।उसकेजातेहीचददरतानकरसोजातीहै। इस लेख में चर्चा केवल कोसली की हो रही है। शनिवार कोकोसली विधानसभा के सबसे बड़ेगांवडहीना मेंपूर्व विधायक राव यादुवेंद्र सिंह की आयोजितरैलीमेंस्थानीयछोटेबड़ेनेताओंकेदीपेंद्रकेनजदीकबनेरहनेकीहोड़यहबतानेकेलिएकाफीथीकिवेजूनियरहुडडाकेचेहरेमेंअपनीपहचानतलाशरहेहैं।कोसलीमेंदीपेंद्रकीमौजूदगीकोयादुवेंद्रसिंहअपनीताकतमानतेहैं। रैली में यहां से दिग्गज नेता एवं रामपुरा हाउस के सबसे बड़े धुर विरोधी पूर्व मंत्री जगदीश यादव का नहीं होना लाजिमी था। दीपेंद्र की म्यान में इस बार दो से ज्यादा तलवारें हैं। समय पर किसका इस्तेमाल करे और किसे संभाल कर रखे। यह उनके लिए आसान नहीं है। इन तलवारों में धार भी इतनी तेज है की वे म्यान में ही रहकर एक दूसरे को खत्म करने में लगी हुई है। जगदीश यादव हर हालत में 2024 का विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। यह भी तय है। राव यादुवेंद्र सिंह भी जगदीश यादव को टिकट मिलने की सूरत में चुप रहने की बजाय विरोध में उतरना ज्यादा पंसद करेंगे। यह भी उनके अंदाज से जाहिर हो चुका है। इसके अलावा अन्य तीसरे दावेदार में इतना दमखम नहीं है कि जिसे मनाने के लिए हुडडा को अच्छी खासी जोर अजमाइश करनी पड़े। जगदीश यादव के पास अपनी जमीनी ताकत है जिसे उन्होंने तमाम उतार चढ़ाव के बावजूद संभाल कर रखा है। यादुवेंद्र सिंह के पास रामपुरा हाउस राजनीति विवि से मिली टॉप क्लास डिग्री है जो उनके बायाडोटा को मजबूत बना जाती है। रोहतक लोकसभा सीट से दीपेंद्र हुडडा पूरी तैयारी से मैदान में उतर चुके हैं। 2019 के मुकाबले वे इस बार बेहद मजबूत नजर आ रहे हैं जिसकी वजह से भाजपा हाईकमान को अच्छी खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। दीपेंद्र यहां से चुनाव जीतते हैं तो इसका सीधा असर विशेष तौर से दक्षिण हरियाणा की विधानसभा सीटों पर नजर आएगा। राजनीति जानकारों का मानना है की मोदी गारंटी लोकसभा चुनाव में तो कम ज्यादा असर दिखा सकती है लेकिन विधानसभा में मतदाताओं का मिजाज इस गारंटी को लेकर अलग ही रहता है। कुल मिलाकर कोसली विधानसभा सीट पर जहां रामपुरा हाउस का एक छत्र राज हुआ करता था उस विरासत पर अब कांग्रेस की तरफ से दीपेंद्र हुडडा के हस्ताक्षर चल रहे हैं।