किसान आंदोलन के चलते राजधानी दिल्ली किले में तब्दील है। इसके अलावा एनसीआर के शहरों नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और सोनीपत तक में भारी ट्रैफिक जाम दिख रहा है। वहीं हरियाणा और पंजाब को जोड़ने वाले शंभू बॉर्डर पर कोहराम मचा हुआ है। यहां बड़ी संख्या में पुलिस तैनात है और बैरिकेडिंग की गई है। लेकिन हजारों किसान यहां पहुंच गए हैं और बैरिकेडिंग तोड़ रहे हैं। इसके जवाब में पुलिस आंसू गैस के गोले दाग रही है और पानी की बौछारें हो रही हैं। हालांकि किसानों के इरादों के आगे पुलिस के इंतजाम नाकाफी नजर आ रहे हैं। यदि केंद्र सरकार और किसानों के बीच सहमति नहीं बनी और किसान दिल्ली की सीमा तक आ पहुंचे तो संकट गहरा जाएगा।
अहम बात यह है कि इस बार के आंदोलन में राकेश टिकैत समेत 2020 के वे तमाम चेहरे नजर नहीं आ रहे, जिन्होंने तब नेतृत्व किया था। दरअसल संयुक्त किसान मोर्चे में ही मतभेद पैदा हो गए हैं। इसके चलते एक धड़ा आंदोलन कर रहा है, वहीं दूसरे धड़े ने दूरी बना रखी है। राकेश और नरेश टिकैत बंधुओं के नेतृत्व वाली भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) भी इससे अलग है। फिर इस आंदोलन का नेतृत्व कौन कर रहा है? इसका जवाब है- जगजीत सिंह डल्लेवाल है। जगजीत सिंह डल्लेवाल पंजाब में बीते कई सालों से किसानों की आवाज उठाते रहे हैं।
उन्होंने 2022 में लंबी भूख हड़ताल भी की थी। उनके नेतृत्व में ही करीब 50 किसान संगठनों ने दिल्ली कूच किया है। ये सभी किसान संगठन पंजाब में ही सक्रिय है। जगजीत सिंह डल्लेवाल का खुद एक किसान संगठन है, जिसका नाम भारतीय किसान यूनियन (सिद्धूपुर) है। यह पंजाब में सक्रिय है। जगजीत सिंह डल्लेवाल सिख परिवार से आते हैं और उन्होंने अपने गांव के नाम को ही अपने नाम में जोड़ा है।
2020 का आंदोलन करने वाली वाली टीम से हैं मतभेद
फरीदकोट जिले में पड़ने वाले डल्लेवाल गांव के निवासी जगजीत सिंह लंबे अरसे से किसानों के मुद्दों पर ऐक्टिव हैं, लेकिन उनके संयुक्त किसान मोर्चे के उस धड़े से मतभेद हैं, जिसने 2022 में चुनाव लड़ा था। कहा जाता है कि उस चुनाव के चलते ही किसान संगठनों में मतभेद पैदा हो गए थे। किसानों के एक वर्ग का कहना था कि हमें राजनीति में नहीं उतरना चाहिए था।