क्या ईवीएम, वीवीपैट हैक हो सकता है? जानिए, नये वीडियो में क्या दावा

रणघोष अपडेट.  देशभर  

क्या ईवीएम से हैक हो सकता है? इसका भूत चुनाव आयोग का पीछा ही नहीं छोड़ रहा है। ईवीएम के हैक या छेड़छाड़ होने दावे को चुनाव आयोग बार-बार खारिज करता रहा है, लेकिन बार-बार सवाल भी उठता रहा है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद दबी आवाज़ में ही ईवीएम पर उठ रहे सवालों के बीच क्या अब लोकसभा चुनाव से पहले यह बड़ा मुद्दा बनेगा? दरअसल, ट्विटर पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें दावा किया गया है कि ईवीएम में मनचाहा वोट डलवाया जा सकता है। इस वीडियो को राजनेताओं ने साझा करते हुए ईवीएम पर सवाल उठाए हैं। शिवसेना नेता संजय राउत ने वीडियो वाले एक पोस्ट को रिपोस्ट करते हुए लिखा है कि ‘ईवीएम है तो ही मोदी हैं!’शिवसेना नेता ने सुप्रीम कोर्ट के नामी वकील प्रशांत भूषण की एक पोस्ट को रिपोस्ट किया है जिसमें उन्होंने कहा है, ‘खुद देख लीजिए, किस तरह से ईवीएम और वीवीपैट मशीनों में छेड़छाड़ हो सकती है। सिंबल लोडिंग के समय जो प्रोग्राम डाला जाता है, उस समय इस तरह से किया जा सकता है। इसीलिए ज्यादा देश और बांग्लादेश भी वापस पेपर बैलट की तरफ़ चले गये। पहले भाजपा के लोग भी पेपर बैलट की मांग करते थे। अब सत्ता में आने के बाद क्यों बदल गए? वीवीपैट मशीन का कांच काला क्यों कर दिया?’

आम आदमी पार्टी के गुजरात के अध्यक्ष इसुदान गढ़वी ने वीडियो में ईवीएम को हैक किए जाने का दावा करने वाले के बारे में कहा है, ‘राहुल महता आईआईटी में पढ़ा हुआ इंसान है! और वो चुनाव आयोग को बार-बार बता चुका है कि ईवीएम में मेरा प्रोग्राम डाल दूँ तो सिर्फ़ 10 लोगों की टीम से पूरे 11 लाख ईवीएम को चुनाव के दिन 11 बजे के बाद जितने प्रतिशत वोट मैं चाहूँ उस उम्मीदवार को दे सकता हूँ!’उन्होंने ट्वीट में कहा है, ‘सभी वकील बंधुओं को निवेदन है कि चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक बार जनता को विश्वास आये इसलिए भी इसका सॉल्यूशन निकालना चाहिए!’कांग्रेस नेता अल्का लांबा ने इस वीडियो वाले एक ट्वीट को रिपोस्ट करते हुए लिखा है, ‘चुनाव आयोग को प्रधानमंत्री जी से इजाज़त का इंतजार… और सब जानते हैं यह इंतजार कभी ना ख़त्म होने वाला है।’ उन्होंने चुनाव आयोग और पीएमओ को टैग भी किया है। इस पर चुनाव आयोग की तरफ़ से अभी तक जवाब नहीं आया है।

ईवीएम पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?

मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चुनाव नतीजों के बाद से ईवीएम को लेकर कांग्रेस नेता सवाल उठा चुके हैं। टेक्नोक्रेट और इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने भी ईवीएम पर सवाल उठाए हैं। उन्‍होंने कहा कि वह बेहद जल्द अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ इसे अपनी सुविधा के अनुसार कैसे नियंत्रित किया जा सकता है और इसमें हस्तक्षेप कैसे संभव है, इसका खुलासा करेंगे। उन्होंने साथी राजनीतिक दलों से ईवीएम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू करने और मतदान के बहिष्कार के बारे में भी विचार करने को कहा।पित्रोदा ने कहा कि इसमें समस्या तब पैदा हुई, जब वीवीपैट मशीन को ईवीएम से जोड़ा गया। उन्होंने कहा, ‘वीवीपैट हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर से मिलकर बना एक अलग उपकरण है।’ उन्होंने कहा कि वीवीपैट को ईवीएम से जोड़ने के लिए एक विशेष कनेक्टर का उपयोग किया जाता है, जिसे एसएलयू कहा जाता है।पित्रोदा ने कहा, ‘यह एसएलयू कई सवाल खड़े करता है। एसएलयू कनेक्टर ही वीवीपैट में दिखाता है कि किस बटन से वोट किस पार्टी को जाएगा। इसे मतदान से पहले प्रोग्राम किया जाता है।’ कांग्रेस नेता ने कहा कि एसएलयू जोड़ने के बाद ईवीएम अब अकेली मशीन नहीं रह गई है।इसी महीने सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ईवीएम को लेकर आशंका जाहिर की थी और यूपी में आग लगने से 800 ईवीएम जलने पर सवाल उठाए थे। पिछले साल दिसंबर में चुनाव आयोग ने जब रिमोट वोटिंग मशीन यानी आरवीएम शुरू करने की बात कही थी तो कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने गुजरात विधानसभा चुनावों में ‘संदिग्ध’ मतदान संख्या का उल्लेख करते हुए कहा था, “गुजरात में इस बार हमने संदिग्ध मतदान संख्या भी देखी, जिससे पता चला कि मतदान के आखिरी घंटे में 10-12% मतदाताओं ने वोट डाला था। यह प्रत्येक वोट डालने के लिए असंभव सा 25-30 सेकंड का समय बताता है। जबकि वोट डालने के लिए आपको कम से कम 60 सेकंड चाहिए।”उन्होंने आगे कहा था, “अब कल्पना करें कि क्या इन संदिग्ध पैटर्न को बहु-निर्वाचन क्षेत्र की वोटिंग मशीन के माध्यम से अन्य स्थानों पर बढ़ाया जा सकता है। यह सिस्टम में विश्वास को गंभीरता से कम करेगा।” उन्होंने शिकायत की कि ‘एक के बाद एक मुद्दे चुनाव आयोग के सामने उठाए जाने के बावजूद उन मुद्दों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।” उन्होंने कहा, ‘दुर्भाग्य से उनके (ईवीएम) दुरुपयोग की आशंका को व्यवस्थित रूप से ख़त्म नहीं किया गया है। मतदाताओं और पार्टियों को चुनाव प्रणाली में विश्वास होना चाहिए…।’ विपक्ष ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ईवीएम और वीवीपैट का मुद्दा जोरशोर से उठाया था। उसी समय करीब 19 लाख ईवीएम के गायब होने की सूचना आई थी, जिसका केंद्रीय चुनाव आयोग ने खंडन किया था। लेकिन इसके बाद भी लगातार ईवीएम को लेकर सवाल उठते रहे हैं। अब 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यह फिर बड़ा मुद्दा बन सकता है।

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