क्या होता है डीएनए टेस्ट, कितने दिनों में आता है रिजल्ट, रेल हादसे में कैसे ली जाएगी इसकी मदद

डीएनए टेस्ट के बारे में अब हम लोग अक्सर सुनते रहते हैं. आमतौर पर पेटरनिटी संबंधी मामलों के लिए इसका जिक्र होता है. इसका इस्तेमाल अपराध के मामलों में भी कुछ जटिल केसों को सुलझाने में होता है. हाल ही में श्रृद्धा हत्याकांड में उसके हत्यारे बॉयफ्रेंड के खिलाफ सबूत जुटाने के लिए भी इसका इस्तेमाल हुआ. अब ओडिसा के बालासोर में मृतकों की पहचान के लिए भी इसका सहारा लिया जा रहा है, हालांकि डीएनए टेस्ट की प्रक्रिया समय लेने वाली होती है. इसका इस्तेमाल चिकित्सा से लेकर कई मामलों में होने लगा है.

डीएनए तकनीक पहले दुनिया में नहीं थी. वर्ष 1984 में पहली बार इसके बारे में सुना गया. उसके बाद दुनियाभर में इसका प्रचलन बढ़ गया. कहा जा सकता है पूरी दुनिया में इसका इस्तेमाल करीब साढ़े तीन दशकों से हो रहा है. चिकित्सीय परीक्षण के मामलों में ये काफी उम्दा और नई तकनीक वाला टेस्ट कहा जाता है.

1984 में साइटिंस्ट एलेक जैफरीज डीएनए टेस्टिंग को उस अंजाम तक ले गए, जिससे आज की दुनिया परिचित है. हालांकि डीएनए के बारे में तमाम खोजें और रिसर्च 19वीं सदी से ही जारी थीं.

सवाल – भारत में डीएनए टेस्टिंग का काम किसने शुरू किया. इसका श्रेय किसे जाता है?
– भारत में डीएनए टेस्टिंग का जनक साइंटिंस्ट लालजी सिंह को माना जाता है. जौनपुर में पैदा हुए इस साइंटिस्ट में भारत में डीएनए के क्षेत्र में काफी काम किया. अब उनका निधन हो चुका है. उन्हें फादर ऑफ इंडियन डीएनए फिंगरप्रिंटिंग कहा जाता है. वह बनारस हिंदू विश्व विद्यालय के उपकुलपति भी रहे.
1991 में सिंह ने भारतीय अदालत में पैटरनिटी विवाद को सुलझाने के लिए पहली बार डीएनए फिंगरप्रिंटिग की रिपोर्ट पेश की. इसके बाद तो भारत में ना जाने कितने ही सिविल और क्रिमिनल मामले डीएनए टेस्ट के आधार पर सुलझाए गए.

सवाल – किन प्रसिद्ध मामलों में डीएनए टेस्ट का इस्तेमाल भारत में हुआ?
– बेअंत सिंह और राजीव गांधी के हत्या के मामलों में इसका इस्तेमाल हुआ. नैना साहनी तंदूर हत्या कांड में इसकी मदद ली गई. स्वामी प्रेमानंद और स्वामी श्रृद्धानंद के मामलों में इससे केस को सुलझाया. हत्या की गई बॉडी का डीएनए हुआ, जिससे उसकी पहचान पता चली. प्रियदर्शिनी मट्टू हत्या मामले में भी डीएनए टेस्ट काम आया. हाल में आफताब द्वारा कई टुकड़ों में श्रृद्धा की हत्या में भी डीएनए टेस्ट की मदद ली गई.

सवाल – क्या होता है डीएनए टेस्ट?
– डीएनए का मतलब है डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड (Deoxyribo nucleic Acid). ये ऐसा टेस्‍ट होता है जो हमारे जींस या पूर्वजों या हमारे वंश के बारे में एकदम सटीक जानकारी देता है. हमारे शरीर में कई करोड़ सेल्‍स यानि कोशिकाएं होती हैं. रेड ब्‍लड सेल्‍स को छोड़कर बाकी सभी सेल्‍स में एक जेनेटिक कोडिंग होती है जो शरीर को बनाती है, ये डीएनए होता है.
डीएनए सीढ़‍ी की तरह आपस में घूमे हुए होते हैं. अगर मानव शरीर में मौजूद डीएनए को सीधा किया जाए तो ये इतने लंबे होते हैं कि सूर्य तक पहुंचकर 300 बार वापस धरती पर आ सकते हैं.

सवाल – क्या हर बच्चे के डीएनए हूबहू अपने माता-पिता से परिवार से मिलान खाता है?
– हर बच्‍चे का DNA उसके माता-पिता से ही बनता है लेकिन बच्‍चे और उसके माता पिता का DNA एक जैसा नहीं होता बल्कि कुछ हिस्‍सा मिलता हुआ हो सकता है. हर व्‍यक्ति का DNA एकदम अलग और यूनिक होता है. लेकिन हर डीएनए टेस्ट से ये जाहिर हो जाता है कि आपका रिश्ता एक दूसरे से जुड़ा हुआ है या नहीं.

डीएनए परीक्षण एक चिकित्सा परीक्षण है जो ये तय करता है कि कोई व्यक्ति किसी विशेष बच्चे का पिता है या कोई बच्चा किसी तय परिवार से ताल्लुक रखता है या नहीं. हत्या के मामलों या हादसों के मामलों में जब शव की पहचान करनी मुश्किल हो जाती है तो डीएनए के जरिए उसके पहचान साबित होती है. ऐसे में पिता या परिजनों का डीएनए नमूना लेना होता है.

सवाल – जीन किस तरह बच्चे के जीवन में भूमिका निभाते हैं?
– जींस के द्वारा ही बच्‍चे की शक्‍ल-सूरत अपने माता-पिता और पूर्वजों से मिलती है. सिर्फ यही नहीं जींस द्वारा ही बच्‍चे में अपने माता-पिता से गुण-अवगुण जाते हैं. जेनेटिक डिसऑर्डर यानि कि बीमारियां भी जींस से ही जाती है. DNA टेस्‍ट से पता लगाया जा सकता है कि अगर माता या पिता किसी जेनेटिक बीमारी का शिकार हैं तो वो बच्‍चे में भी जाएगी या नहीं. अगर हां, तो आप क्‍या जरूरी सावधानियां ले सकते हैं.

सवाल – डीएनए टेस्ट कैसे बताता है कि अमूक बच्चे का पिता कौन है और कौन मां?
– अक्सर कई बार पितृत्व की पहचान को लेकर डीएनए टेस्ट की मदद ली जाती है. इसमें संभावित पिता और बच्चे के डीएनए नमूने लिये जाते हैं. क्योंकि एक बच्चे का पिता अपने बच्चे के डीएनए का योगदान देता है, परीक्षण दोनों के बीच जीन में मिलान की तलाश करता है. कुछ परीक्षण मां के डीएनए का भी परीक्षण कर सकते हैं. इससे भाई बहनों का भी पता चल जाता है.

सवाल – बालासोर रेल हादसे में मृतकों की पहचान में डीएनए टेस्ट कैसे मददगार हो सकता है?
– बालासोर में हुई भीषण रेल दुर्घटना में बहुत बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है, जिनकी पहचान नहीं हो पा रही है. ऐसे मृतकों के डीएनए टेस्ट का मिलान दावा करने वाले परिजनों के डीएनए से करके उनकी पहचान की जा सकती है. ये काफी सटीक परिणाम देने वाला टेस्ट होगा.

सवाल – कैसे होता है डीएनए DNA टेस्ट?
– आमतौर पर डीएनए टेस्ट की जांच खून, थूक, लार, दांत, बाल, हड्डियों, नाखून और पेशाब से कर सकते हैं. नमूने लेने के बाद साइंटिफिक तरीकों से डीएनए कोशिकाओं को अलग किया जाता है. फिर इसकी तुलना की जाती है. ये काम फोरेंसिक एक्सपर्ट करते हैं. दांत और हड्डी से बहुत समय लग जाता है. आमतौर पर मृतकों के मामले में जमे हुए खून, दांत, बाल, हड्डियों या नाखून से जांच को प्राथमिकता दी जाती है.

जीवित लोगों में डॉक्‍टर्स/एक्‍सपर्ट्स मुंह में स्‍वाब डालकर सलाइवा लेते हैं और इसे एक डिब्‍बी में रख देते हैं. दूसरे तरीके में ब्‍लड सैंपल लिया जाता है. लैब में उसका एनालिसिस होता है. वैसे अजन्मे बच्चे का भी डीएनए टेस्ट हो जाता है.

सवाल – डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट आने में कितने दिन लगते हैं?
– मृतकों के मामले में जो डीएनए टेस्ट होगा, उसकी रिपोर्ट आने में दो हफ्ते कम से कम लगेंगे. वैसे आमतौर पर डीएनए टेस्ट की पूरी जांच समय लेती है. ये 10 दिनों से 25 दिन भी ले सकती है.

सवाल – कहां करा सकते हैं DNA टेस्‍ट?
– ये प्राइवेट और सरकारी दोनों लैब में होता है. सरकारी लैब केवल आपराधिक मामलों और सरकारी ऑर्डर पर ही टेस्‍ट करती है जबकि प्राइवेट लैब में कोई भी व्‍यक्ति डॉक्‍टर की सलाह पर टेस्‍ट करा सकता है. ये टेस्ट 10,000 रुपए से लेकर 70,000 रुपए तक के होते हैं.

सवाल – क्या डीएनए टेस्ट फेल भी होता है?
– जैसा कि दूसरे टेस्टों में भी होता है, उसी तरह डीएनए टेस्ट में भी फेल होने की गुंजाइश भी रहती है. ये मानवीय गड़बड़ी से लेकर सही सैंपल नहीं लेने या सैंपल में छेड़छाड़ या कुछ मिल जाने से संभव है. हालांकि इसके चांस बहुत कम होते हैं.

 

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