गांव नठेड़ा के 85 साल के युवा जयमल सिंह की कहानी सुनकर आप हैरान हो जाएंगे

आंखों के सामने दामाद- पोता चल बसे,खुद को टूटने नहीं दिया, आज भी दो घंटे करते है योगा


WhatsApp Image 2021-01-06 at 15.25.16रणघोष खास. नठेड़ा की की कलम से


रेवाड़ी जिले के कोसली उपमंडल के गांव नठेड़ा में 85 साल के जयमल सिंह के मोबाइल नंबर पर बात करिए। एक पल के लिए हैरान हो जाएंगे कि आप किसी युवा से बात कर रहे हैं या किसी बुजुर्ग से। बातचीत में पूरी तरह स्पष्टता और संवाद आपको उनके स्वस्थ्य जीवन का अहसास करा देगा। इस उम्र में दो घंटे रोज योगा करना, अखबार पढ़ना और घर- बाहर के सभी काम खुद करना और देश प्रदेश में हो रहे घटनाक्रम पर बेबाकी से अपनी राय रखना। यह बातचीत से साफ हो जाएगा।  1952 में अहीर कॉलेज से 12 वीं करने के दौरान राजस्थान पुलिस ने उन्हें सीधा भर्ती कर लिया था। उस समय राजस्थान में पढ़े लिखे बहुत कम मिलते थे। जयमल सिंह ने दो साल नौकरी करने के बाद उसे छोड़ दी वजह उसमें बेईमानी ज्यादा होती थी। उसके बाद रेलवे में ड्राइवर की नौकरी ज्वाइन कर ली। यहां उन्होंने डाकगाड़ी चलाईं। इससे पहले उनकी शादी गांव कतारपुर की संतरा देवी से हो गईं। संतान के तोर पर दो बेटे एक बेटी हुईं। कमाल देखिए। दोनों बेटों के भी आगे चलकर दो बेटे एक बेटी हुईं। समय के साथ परिवार भी बढ़ता चला गया। जयमल सिंह बताते हैँ कि ड्राइवर की नौकरी में हमेशा चुस्त दुरुस्त रहना पड़ता था। हर दो साल बाद आंखों की जांच होती थी। 1994 में रिटायरमेंट होने के बाद उन्होंने 1998 से 2004 तक गांव मीरपुर में स्थित कैंसर अस्पताल में बिना किसी वेतन के मैनेजर पद से अपनी सेवाएं दी। उसके बाद उनका साधु संतों में बैठना हो गया। इसी दरम्यान दामाद जो सेना में थे उनका निधन होने से परिवार को गहरा आघात लगा उससे संभलते एक पोता भी सड़क हादसे में जान गंवा बैठा। पोते और दामाद के गम में पत्नी संतरा देवी को गहरा सदमा लगा और उदास रहने लगी। ऐसे हालात में खुद को मजबूत करना जरूरी था। इसलिए बचपन से यही सीखा था कि अगर शरीर स्वस्थ्य रहेगा तो तमाम चुनौतियों से लड़ा जा सकता है। साथ ही कड़ी मेहनत करो, अपने हाथों पर विश्वास करो, ईमानदारी से रहो और किसी का लेकर देना सीखो। परिवार में कुल 19 सदस्य है। जयमल सिंह बताते हैं कि उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी, नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जज्बों एवं भावनाओं एवं समर्पण को करीब से देखा है। आज हमारे समाज में नैतिक पतन हो रहा है। मूल्य कमजोर हो गए। जिसे देखकर दिल रो पड़ता है। सही मायनों में  यह सबसे बड़ा मसला है जिसमें सभी की जिम्मेदारी और जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।

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