गुटबाजी और असंतुष्ट नेताओं से क्या भाजपा को चुनाव में होगा नुकसान ?

रणघोष अपडेट. देशभर से 

लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इस बीच मीडिया रिपोर्ट्स आ रही हैं कि विभिन्न राज्यों में पार्टी गुटबाजी का शिकार है। इसके कई नेता पार्टी से असंतुष्ट बताए जा रहे हैं। खासकर वे जिनका टिकट कटा है। भाजपा ने इस लोकसभा चुनाव में अपने करीब 100 सांसदों का टिकट काट दिया है। इसमें कई कद्दावर नेता हैं। भाजपा ने अपने केन्द्रीय मंत्रियों तक के टिकट काट दिए हैं। अब कहा जा रहा है कि टिकट न मिलने से नाराज इन नेताओं में से कई अब भाजपा के लिए परेशानी का कारण बन सकते हैं। भाजपा में बढ़ती गुटबाजी की भी चर्चा इन दिनों खूब है। कई राज्यों में नेताओं के गुट बन गए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पार्टी में बढ़ी ये गुटबाजी और असंतुष्ठ नेताओं के कारण भाजपा को इस लोकसभा चुनाव में नुकसान हो सकता है?

राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि दुनिया की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी भाजपा जो लोकसभा चुनाव 2024 में 370 सीट जीतने का लक्ष्य लेकर चुनाव लड़ रही है उसके अंदर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।  पार्टी ने इस लोकसभा चुनाव में जिन नए उम्मीदवारों पर दाव लगाया है उसमें ज्यादातर दलबदलू हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पार्टी के करीब 28 प्रतिशत लोकसभा उम्मीदवार दलबदलू हैं। वहीं  पार्टी ने करीब 100 मौजूदा सांसदों का टिकट काट दिया है। ऐसे में पार्टी के पुराने और समर्पित नेता और कार्यकर्ता अंदर ही अंदर नाराज चल रहे हैं।

पार्टी के अंदर ही अंदर चल रही नाराजगी को इस बात से भी देखा जा सकता है कि कई पुराने नेताओं ने हाल के दिनों में कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री और हरियाणा भाजपा के वरिष्ठ नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह कांग्रेस में जा चुके हैं। उनके कांग्रेस में शामिल होने के कारण उन्हें भाजपा से टिकट न मिलना बताया जा रहा है।  प्राप्त सूचना के मुताबिक हरियाणा में जाट और बिश्नोई समाज इस बार भाजपा से नाराज दिख रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में इनका बड़ा वोट प्रतिशत मिलने के कारण भाजपा ने हरियाणा की 10 में से सभी 10 लोकसभा सीट जीती थी।  हिसार से निर्दलीय विधायक रणजीत सिंह चौटाला को भाजपा से लोकसभा टिकट मिलने के कारण कई भाजपा विधायक नाराज चल रहे हैं। ताकतवर भाजपा नेता कुलदीप बिश्नोई भी कह चुके हैं कि उनके समर्थक हिसार में टिकट बंटवारे से निराश हैं।  राजधानी दिल्ली में पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 7 लोकसभा सीटों में से सभी 7 पर जीत दर्ज की थी लेकिन इस बार के चुनाव में उन 7 सांसदों में से 6 के टिकट काट दिए गए। पार्टी के इस फैसले से पार्टी के नेता और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में नाराज बताए जा रहे हैं। बीजेपी के गढ़ कहे जाने वाले गुजरात में भी पार्टी के अंदर गुटबाजी चल रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी ने यहां शानदार प्रदर्शन करते हुए 26 सीटें जीती थी। इस बार पार्टी ने यहां के अपने 14 सांसदों का टिकट काट दिया है। जिनका टिकट कटा है वह अंदर ही अंदर नाराज बताये जा रहे हैं। भाजपा ने साबरकांठा सीट पर कांग्रेस के पूर्व विधायक महेंद्र सिंह बरैया की पत्नी शोभना बरैया को टिकट दे दिया। इससे भाजपा के पुराने कार्यकर्ता और नेता नाराज हो गए। इसके साथ ही कई अन्य सीटों पर भी भाजपा के असंतुष्ट नेता पार्टी के लिए परेशानी का कारण बन रहे हैं।

अपने नेता भी परेशानी का कारण बन रहे 

हाल में राजस्थान में भाजपा की सरकार बनी है। पार्टी ने विधानसभा चुनाव में जीत तो दर्ज कर ली है लेकिन लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए राजस्थान में राह इतनी भी आसान नहीं दिख रही है। भाजपा को राजस्थान में विपक्ष से ही चुनौती नहीं मिल रही है बल्कि उसके अपने नेता भी उसकी परेशानी का कारण बन रहे हैं। कहा जा रहा है कि जिन नेताओं का टिकट कटा है या जिन्हें टिकट नहीं मिला है वे पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। 2019 को लोकसभा चुनाव में पार्टी ने राजस्थान की 25 सीटों में से 24 पर जीत दर्ज की थी लेकिन इस बार पुराना इतिहास दुहराना मुश्किल लग रहा है। चुरू से सांसद राहुल कस्वा का पार्टी ने टिकट काट दिया तब वह कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। इसके कारण भाजपा को इस सीट पर बड़ा झटका लगा है। कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक लोकसभा सीट होने के कारण भाजपा यहां बड़ी जीत दर्ज करना चाहती है। लेकिन पार्टी के लिए यहां भी बढ़ती गुटबाजी और असंतुष्ट नेताओं की बढ़ती संख्या परेशानी का कारण बनती जा रही है। उत्तर प्रदेश में भी भाजपा ने अपने कई पुराने सासंदों का टिकट काट दिया है। बरेली सीट पर तो पार्टी ने अपने 8 बार के सांसद संतोष गंगवार का टिकट काट दिया है। उनका टिकट कटने से पार्टी के कार्यकर्ताओं में नाराजगी और असंतोष देखा जा रहा है।  राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस लोकसभा चुनाव में भाजपा में नेताओं की गुटबाजी, टिकट न मिलने या टिकट कटने से नाराज नेता पार्टी के लिए परेशानी का कारण बन सकते हैं।