मिलिए एडवोकेट मंजू परमार हातगांवकर से

बचपन में समझदार बेटी, बड़ी हुई तो आदर्श पत्नी और अब जरूरतमंद महिलाओं की एक उम्मीद..


रणघोष अपडेट. गुरुग्राम

आइए मिलिए एडवोकेट मंजू परमार हातगांवकर से। जिसकी पहचान उस शख्सियत के तौर पर है  जिसना बचपन छह भाई और दो बहनो के बीच चार साल की उम्र में पिता के चले जाने के बाद  एक समझदार और होशियार बेटी के तौर पर बीता।  बड़ी हुई तो दिल्ली के गार्गी कॉलेज में  एक संघर्ष ओर जुझारू युवा के तौर पर  परिवार के अंदर और बाहर अनेक जिम्मेदारियों का निर्वहन किया। शादी के बाद खुद के कैरियर को पीछे कर परिवार व बच्चो को संभाला। समय के साथ एक छोर पर मायके  में छाया बनकर  संभालती रही तो ससुराल में सुगंध की तरह पति प्रदीप  हातगांवरकर के साथ तमाम जिम्मेदारियों को बखूबी निभाती चली गई।  बेटी- बेटे को बेहतर तालीम दिलाने की जिम्मेदारी निभाने के बाद मंजू पति प्रदीप का सहयोग लेकर उस क्षेत्र में कदम रख चुकी है जहां विशेषतोर से ना जाने कितनी महिलाए पारिवारिक तौर पर  अनेक चुनौतियों से लड रही है। मंजू का लक्ष्य पारिवार को किसी तरह  अलग अलग  वजहों से दूर होने की बजाय उन्हें जोड़कर नए सिरे से जीवन की शुरूआत कराना है। उनके  इन्हीं शानदार योगदान के चलते इसी माह 13 अप्रैल को  गुरुग्राम में आयोजित पीएनजीआई के तहत women achievers award समारोह में मुख्य अतिथि हरियाणा राज बाल अधिकार संरक्षण आयोग के चेयरमैन डॉ. प्रवीण जोशी ने सामाजिक कार्य के लिए उन्हें प्लेटिनम अवार्ड से सम्मानित किया । एडवोकेट मंजू परमार ने गार्गी कॉलेज से बीए करने  के बाद परिवारिक जिम्मेदारियों के लिए जॉब की। शादी के बाद बच्चो की सही परवरिश और जिम्मेदारियों के चलते सर्विस को छोड़ दिया।  बच्चो के साथ वह  खुद भी पढ़ती रही। प्राइवेट कंपनी में उच्चे ओहदे पर कार्यरत पति प्रदीप हातगांवरकर का कदम कदम पर सहयोग मिला तो चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी मेरठ से लॉ की पढ़ाई  की। वर्तमान में दिल्ली की साकेत कोर्ट एवं गुरुग्राम कोर्ट में प्रेक्टिस कर उन महिलाओं  को नि:शुल्क कानूनी सेवाएं देती  है जो आर्थिक तौर पर कमजोर है। एडवोकेट मंजू का कहना है कि उसने लॉ इसलिए किया आमतौर पर परिवारिक झगड़ों में दोनों पक्षों को कानून की जानकारी नहीं होती है। इसलिए विवाद बेवजह इतना बढ़ जाता है की अनेक जिदंगी दांव पर लग जाती है। वे कानूनी प्रक्रिया के तहत परिवार को जागरूक कर उन्हें  जोड़ने का प्रयास करती है। इसमें उनहें काफी सफलता भी मिल रही है। यही उनके जीवन का लक्ष्य है।  इसके अलावा महिलाओं में आत्मविश्वास, अपने अधिकार और सम्मान के लिए कैसे मजबूत रहे के बारे में भी वह समय समय पर सेमिनार कर उन्हें जागरूक करती है। इसके लिए उन्होंने प्रमाण फाउंडेशन का गठन किया है  साथ ही वह पीओएसएच कंसलटेंट के तौर पर जरूरतमंद  महिलाओं , बच्चों की मदद के साथ साथ मुफ्त कानूनी सलाह के तोर पर हम समय  तैयार रहती है।