नारनौल में जन्मे, रेवाड़ी में ज्ञान प्राप्त करने वाले तथा दूबलधन-माजरा में चार दशकों तक साधना करने वाले प्रख्यात संतकवि स्वामी नितानंद तथा उनके गुरु स्वामी गुमानीदास महाराज की प्रतिमाओं का दो दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव ब्रह्मवाणी,अखंडपाठ शोभायात्रा,सत्संग व भंडारे के साथ मंगलवार गोकलगढ़ धाम पर संपन्न हो गया। दादू पीठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य गोपाल दास महाराज के मुख्य आतिथ्य में आयोजित इस महोत्सव की अध्यक्षता श्रीमद भगवत गीता आश्रम दड़ौली के संचालक स्वामी शरणानंद महाराज ने की। महामंडलेश्वर स्वामी जस जसदेवानंद, कोसली के विधायक लक्ष्मण सिंह यादव व हरको बैंक के चेयरमैन डॉ अरविंद यादव के विशिष्टातिथ्य में आयोजन समिति की ओर से महंत स्वामी राजेंद्रदास ने स्वागताध्यक्ष की भूमिका निभाई। इस महोत्सव में इलाके के अलावा, हरियाणा पंजाब, राजस्थान और दिल्ली से साध संगत ने अगाध श्रद्धा से भाग लिया। श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि दादू संप्रदाय के आचार्य गोपाल दास महाराज ने कहा कि निर्गुण धारा ही सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान है तथा स्वामी नितानंद इसी धारा के प्रमुख संतकवि रहे हैं। उन्होंने उनकी रचनाधर्मिता को बेहद उच्च कोटि की बताते हुए उनकी नानक, दादू,पलटू, कबीर के साहित्य से रोचक तुलना की। अध्यक्षीय संबोधन में स्वामी शरणानंद महाराज ने स्वामी नितानंद के साहित्य को कबीर के समकक्ष बताते हुए उनके जीवन से जुड़े प्रेरक प्रसंग सुनाए। महामंडलेश्वर स्वामी जसदेवानंद ने भजनों के माध्यम से उनका भावपूर्ण स्मरण किया। संतकवि नितानंद स्मृति मंच की ओर से साहित्यकार सत्यवीर नाहड़िया के शाब्दिक अभिनंदन से प्रारंभ हुए इस महोत्सव में स्वागताध्यक्ष के तौर पर बोलते महंत स्वामी राजेंद्रदास ने उनकी प्रेरक वाणियांं सुना कर भावविभोर कर दिया। उन्होंने कहा कि वे गुरु की साध संगत के सहयोग से गोकलगढ़ धाम को भी जटैला धाम की तरह आध्यात्मिक व सामाजिक क्रांति के केंद्र के रूप में विकसित करने का ईमानदार प्रयास करेंगे। उन्होंने आश्रम के लिए भूमि देने वाले गोकलगढ़ के सरपंच परिवार को दिव्य संस्कारों हेतु साधुवाद दिया। इस दो दिवसीय महोत्सव में अलमगीर पंजाब से महामंडलेश्वर परमानंद ,जींद से स्वामी सूर्यानंद, रोपड़ से स्वामी अमरदास, स्वामी सुमेरदास,केला महाराज, कमला महाराज,रामदास महाराज, गुरदास महाराज, चरणदास महाराज ने ब्रह्मवाणी, अखंड पाठ तथा सत्संग में अपने प्रवचनों के माध्यम से स्वामी नितानंद का भावपूर्ण स्मरण किया। इस अवसर पर विभिन्न संगठनों के सामाजिक व आध्यात्मिक कार्यकर्ताओं के अलावा मंच से जुड़े वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर रमेशचंद्र शर्मा, रमेश कौशिक ‘अनजान’ उपस्थित थे।