गोगामेड़ी हत्याकांड: लॉरेंस गैंग के आंखों की किरकिरी क्‍यों बन गए थे राष्‍ट्रीय राजपूत करणी सेना के अध्‍यक्ष?

पूरे देश में हड़कंप मचाने वाले राष्ट्रीय राजूपत करणी के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी हत्याकांड में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है. सुखदेव रंगदारी वसूलने में लॉरेंस गैंग के लिए बाधा बना गया था. वह गैंग के गुर्गों को वसूली करने से लगातार रोक रहा था. इसिलए गैंग ने उसे मार डाला. लॉरेंस गैंग के रोहित गोदारा ने विरेंद्र चारण के जरिये शूटरों से संपर्क किया. उसने बाकायदा शूटरों को गोगामेड़ी की तस्वीर भेजकर हत्या करवाई थी. मृतक सुखदेव ने सबसे पहले रतनगढ़ में लॉरेंस गैंग की रंगदारी का विरोध किया. उस वक्त गैंग के गुर्गों ने व्यापारी महिपाल सिंह से 50 लाख रुपये की फिरौती मांगी थी. जानकारी के मुताबिक, हत्याकांड के आरोपी रोहित गोदारा ने महिपाल से 50 लाख रुपये की रंगदारी मांगी थी. महिपाल ने जब ये बात सुखदेव सिंह को बताई तो उसने रोहित को रंगदारी देने से मना करवा दिया. सुखदेव महिपाल सिंह के बचाव में लॉरेसं गैंग के सामने खड़ा गया. उसके बाद ये सिलसिला जारी रहा. सुखदेव सिंह चूरू से लेकर सीकर और फिर जयपुर तक फिरौती, वसूली में इस गैंग के सामने रोड़ा बनता जा रहा था. सुखदेव व्यापारियों को लॉरेसं गैंग को रंगदारी देने से मना करने लगा. इससे धीरे-धीरे व्यपारी लॉरेसं गैंग के गुर्गों को रंगदारी देने से इंकार करने लगे.

सुखदेव का शेखावटी में था दबदबा
बता दें, राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना का भी शेखावाटी में अच्छा खासा दबदबा है. इसलिए व्यपारी सुखेदव को अपने प्रोटेक्शन के रुप में देखने लगे. रोहित गोदारा खुद बीकानेर का रहने वाला है. लॉरेसं गैंग के अधिकतर गुर्गे भी बीकानेर, नागौर, चूरू, सीकर, झूंझनू समेत शेखावाटी इलाके के ही हैं. करणी सेना के कई कार्यकर्ता भी इस इलाके में प्रॉपर्टी और टोल समेत कई धंधों में शामिल हैं. इसिलए वे लॉरेंस गैंग के गुर्गों से मुकाबला करने में सक्षम हैं. ऐसे में राष्ट्रीय राजपूत करणाी सेना का प्रभाव और गोगामेड़ी की शख्सियत भी लॉरेसं गैंग के आड़े आने लगी थी. तब रोहित गोदारा और संपत नेहरा ने गोगमेड़ी को रास्ते से हटाने का फैसला किया. ताकि, करणी सेना का मनोबल टूट जाए और इस सेना का कोई और नेता लॉरेंस के वसूली के आगे न आ सके.

 

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