जिला रेवाड़ी की बड़ी खबर

केहिन फाई कंपनी में हड़ताल पर बैठी महिला कर्मचारियों के सच का समझना जरूरी है


कंपनी से लड़ाई इंक्रीमेंट की है या उत्पीड़न की, अगर इतना खराब माहौल है तो इतने सालों से चुप क्यों थी..


♦ रणघोष अपडेट→बावल


बावल स्थित जापान की केहिन फाई कंपनी में पिछले 10-15 सालों से नौकरी कर रही 165 महिला कर्मचारियों में 58 डयूटी पर है आधी से ज्यादा छुट्‌टी पर बाकी पिछले कुछ दिनों से कपंनी के सामने धरने पर बैठी हैं। कंपनी में कुल 1127 कर्मचारी काम करते हैं। कुछ महिलाओं को छोड़कर सभी डयूटी कर रहे हैं। कुछ दिन पहले इन महिला कर्मचारियों ने कंपनी के खिलाफ इंक्रीमेंट नहीं बढ़ाए जाने को लेकर विरोध शुरू किया था जो आगे चलकर अब संगीन आरोपों में बदल गया है। लगभग 55 महिला कर्मचारियों ने कंपनी के प्रबंधन एवं अधिकारियों पर मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न के वह आरोप लगाए हैं जिन्हें हम प्रकाशित नहीं कर सकते। पुलिस में भी शिकायत दर्ज हो चुकी है। इसमें कुछ महिला कर्मचारियों ने लिखित में पुलिस को बताया है कि उनके फर्जी साइन किए गए हैं। शिकायत में  जो लिखा गया है ऐसा कुछ भी नहीं है।  ऐसे में एक साथ कई सवाल खड़े हो रहे हैं। पहला महिला कर्मचारियों का असल मुद्दा क्या हैं। इंक्रीमेंट है या हो रहा उनका शोषण। अगर प्रबंधन दबाव में आकर इंक्रीमेंट बढ़ा देता है तो क्या इसके बाद उनकी नजर में कंपनी अच्छी हो जाएगी। दूसरा जो महिला कर्मचारी संगीन आरोप लगा रही हे क्या वह आगे चलकर कंपनी के ऐसे खराब माहौल में नौकरी कर पाएगी। तीसरा पिछले 10-15 सालों में कंपनी में काम कर रही इन महिला कर्मचारियों ने कभी इस तरह के कोई आरोप नहीं लगाए। अगर उनका शोषण हो रहा था उस समय उन्होंने आवाज क्यों नहीं उठाईं। कंपनी ने अब इसे गंभीरता से लेते हुए 10 महिला कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया है। साथ ही जिला प्रशासन से इन कर्मचारियों द्वारा लगाए गए आरोपों की निष्पक्ष एवं कानून मत जांच कराने की मांग की है। कंपनी प्रबंधन का कहना है कि अपनी मांगों को मनवाने का यह घिनौना प्रयास है जो आगे चलकर घातक बन जाएगा। अगर इन आरोपों से दबाव में आकर कंपनी उनकी शर्तों पर चलती रही तो भविष्य में अन्य कंपनियां लड़कियों को नौकरी पर रखने से पहले 100 बार सोचेंगी। बावल विधानसभा से विधायक और राज्य के कैबिनेट मंत्री डॉ. बनवारीलाल भी महिला कर्मचारियों से मिल चुके हैं। जांच कराने की बात भी कह चुके हैं। डॉ. बनवारीलाल का कहना है कि यह बेहद गंभीर मसला है। आरोप लगाने वाली महिला कर्मचारी लगाए गए आरोपों को साबित करें। हम उनके साथ है। अगर आरोपों में सत्यता नहीं है तो वह बहुत बड़ी गलतियां कर रही है। ऐसे में कंपनियों में लड़कियों को नौकरी मिलने में नई चुनौती खड़ी हो जाएगी।

कंपनी द्वारा लिखित में किए गए दावों पर गौर करें तो जो महिला कर्मचारी हड़ताल कर रही है। उनका वर्तमान कुल वेतनमान 37 हजार 200 रुपए प्रति माह है। उनकी शैक्षणिक योग्यता 10 वीं से 12 वीं तक है।  आने जाने के लिए कंपनी की तरफ से ट्रांसपोर्ट सर्विस फ्री है। जब देश में कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन लगा तो किसी भी कर्मचारी का वेतन नहीं कटा और अभी तक समय पर उन्हें वेतन मिल रहा है। कोरोना से पहले कंपनी को कर्मचारियों की नियमानुसार वेतन बढ़ोतरी करनी थी लेकिन इस वायरस के चलते हुए भारी नुकसान से उसने वेतन को यथावत रखते हुए निकट भविष्य में तीन सालों में साढ़े 9 हजार रुपए बढ़ोतरी किए जाने का भरोसा दिलाया था। जबकि धरने पर बैठी महिला कर्मचारी 25 हजार रुपए तीन साल में बढ़ोतरी के तौर पर चाहती है। कंपनी के एचआर जीएम प्रदीप हंटगावरकर का कहना है कि इंक्रीमेंट को लेकर विरोध समझ में आता है लेकिन जिस कंपनी ने पिछले 10-15 सालों से इन महिला कर्मचारियों को परिवारिक माहौल में रखा अचानक उनके इस रैवये से प्रबंधन बेहद आहत और गंभीर है। कंपनी का स्थापना से लेकर आज  तक का रिकार्ड है किसी भी महिला कर्मचारी की तरफ से कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई है और ना हीं किसी को नौकरी से हटाया गया है। कंपनी की तरफ से यौन उत्पीड़न से संबंधित गठित कमेटी हर समय महिला कर्मचारियों के संपर्क में रही है। उन्होंने कहा कि कोई भी महिला कर्मचारी लगाए गए आरोपों को साबित कर दे वह तुंरत प्रभाव से एक्शन लेगी चाहे वह किसी भी बड़े ओहदे पर क्यों नहीं हो। लेकिन कंपनी पर नाजायज दबाव बनाकर ऐसे आरोपों की आड़ लेना हर लिहाज से गलत है। यह अपनी बात मनवाने की खतरनाक परपंरा है। ऐसे में तो कोई भी कंपनी काम हीं नहीं कर पाएगी और भविष्य में लड़कियों को नौकरी पर रखने से पहले कई बार विचार सोचेगी। हम इस तरह तथ्यहीन आरोपों से दबाव में नहीं आएंगे। 10 महिला कर्मचारियों ने जब हदें पार कर दी तो उन्हें मजबूरन सस्पेंड करना पड़ा। उन्होंने कहा कि जब हमारी कंपनी इतनी खराब है तो वह इस कंपनी में आना क्यों चाहती है।  हमें उम्मीद है कि प्रशासन इस दिशा में निष्पक्ष जांच कर असली सच सामने लाएगा। हम पूरी तरह से उनका सहयोग करने के लिए तैयार है और प्रशासनिक अधिकारियों से लगातार संपर्क में हैं। यहां बता दें कि  महिला कर्मचारियों की तरफ से प्रदर्शन का जो विडियो वायरल किया जा रहा है उसमें साफ नजर आ रहा है कि एक तरफ वे लिखित में यौन उत्पीड़न के आरोप लगा रही है दूसरी तरफ छोटे बच्चों से नारेबाजी करवाते हुए हंसती हुई नजर आ रही है।

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