जीत कर भी असम में भाजपा मुश्किल में, दिल्ली से मंत्री रवाना, दो गुट में बंटे विधायक

 रणघोष खास. असम से


असम में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को शानदार जीत मिली है। लेकिन, अब पार्टी के भीतर मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर खींचातानी चल रही है। भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 126 सदस्यीय विधानसभा वाले चुनाव में 75 सीटों के साथ बहुमत के पार सीटें हासिल की है। लेकिन, सीएम कौन बनेगा ये तय नहीं हो पाया है। गठबंधन में अकेले भाजपा को 33.21 फीसद मत पाकर 60 सीटें मिली हैं।  दरअसल, पार्टी के नवनिर्वाचित विधायक दो धड़ों में बंट गए हैं। एक धड़ा मौजूदा मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल का समर्थन कर रहा है जबकि दूसरा धड़ा हिमंता बिस्व सरमा को मुख्यमंत्री बनाए जाने के पक्ष में है। साल 2016 में हुए विधानसभा चुनाव पार्टी ने सर्बानंद सोनोवाल को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर चुनाव लड़ा था। जबकि, इस बार भाजपा ने चुनाव से पहले अपना मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किया था। पूरे मामले पर असम भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रंजीत कुमार दास ने कहा है कि मुख्यमंत्री का फैसला भाजपा संसदीय बोर्ड करेगा। पार्टी एक पर्यवेक्षक को भेज रही है। वो सभी पक्षों से बात करेंगे और रिपोर्ट के आधार पर फैसला लिया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को  असम भेजा गया है। भाजपा की सहयोगी असम गण परिषद (एजीपी) ने इस चुनाव में नौ सीटें हासिल की हैं। जबकि पिछले चुनाव में सहयोगियों ने पांच ज्यादा सीटें हासिल की थी। इसी तरह अन्य सहयोगी यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) ने छह सीटें हासिल की हैं और उसने ये सभी सीटें बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) के पाले से अपने पाले में कर ली हैं। बीपीएफ ने इस बार एनडीए से नाता तोड़कर कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था।

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