डंके की चोट पर : चेहरा कोई भी हो.. चुनावी मैदान में मोदी गारंटी नजर आएगी

देश की राजनीति बदलने जा रहा 2024 का लोकसभा चुनाव


रणघोष खास. प्रदीप हरीश नारायण


2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की तरफ से किसे टिकट मिलती है और किसकी उम्मीदों पर पानी फिरता है। यह अब कोई मायने नहीं रखता। शुरूआत से लेकर रजल्ट आने तक चुनाव पूरी तरह से मोदी गारंटी की आवाज पर लड़ा व खेला जाएगा। भाजपा में बड़े से बड़ा नेता भी जनता के बीच वहीं बोलेगे जो दिल्ली से भेजी गईं स्क्रिप्ट होगी। लिहाजा इस चुनाव में भाजपा का घोषणा पत्र भी मोदी की गारंटी से लेकर उसी पर खत्म् होगा। ऐसा कोई भाषण नहीं होगा जिसमें मोदी गारंटी का जिक्र नहीं होगा। यहां तक की बूथ स्तर पर जिम्मेदारी संभालने वाले कार्यकर्ताओं की जुबान पर भी सिर्फ एक ही आवाज होगी। मोदी गारंटी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 के चुनाव में देश की राजनीति का चेहरा पूरी तरह से बदलकर दिया है। एक नेता पर गारंटी के नाम पर इतना बड़ा दांव। यह देश की आजादी के बाद से आज तक की राजनीति में सबसे बड़ा फैसला है। मोदी गांरटी का जन्म कैसे और क्यों हुआ। यह राज की बात है जिसे केवल एक ही शख्स जानता है वह है खुद मोदी। राजनीति जानकारों के मंथन से देखे तो मोदी गारंटी के एक नहीं कई पहलु है जिसे सिलसिलेवार तौर तरीको से परखा और समझा जा सकता है। पहली नजर में मोदी गारंटी किसी व्यक्ति का घमंड, अभिमान और तानाशाही अंदाज को महसूस कराता है। दूसरे ही पल यह सोच उस समय बदलना शुरू हो जाती है जब मंच पर पीएम मोदी सामने नजर आ रही भीड़ को बार बार नमन करते हैं और यह जताने का प्रयास करते हैं  की मोदी का आपसे सीधा रिश्ता है। इसलिए मुझे पर भरोसा रखिए। इसका मतलब साफ है की भाजपा 2013 से आज तक मोदी के नाम पर सत्ता पर काबिज है। जाहिर है आधे से ज्यादा सांसद मोदी की नाव में सवार होकर संसद तक पहुंचे है जबकि निजी तौर पर वे अपने दम पर जीत की हैसियत तक नहीं बना पाए। केंद्रीय मंत्रीमंडल में कुछ सांसदों को मंत्री बनने का मौका मिला जिसमें कुछ भ्रष्टाचार से लेकर अनेक वजहों से विवादित हुए जिसका सीधा असर मोदी की छवि पर पड़ा। कुछ को बेहद ही समझदारी से घर बैठा दिया तो किसी को टिकट ना देकर अहसास करा दिया की उनका समय पूरा हो चुका है। इतना ही नहीं सत्ता में रहकर कारगुजारियां करने वालों की फाइलें भी टेबल पर इशारा मिलते ही ईडी, सीबीआई एवं अन्य जांच एजेंसियों के पास पहुंच रही है। यह मोदी गारंटी का सबसे बड़ा टास्क है।   

 दरअसल जिस एजेंडे को लेकर भाजपा जनता के बीच पहुंच रही है उसमें कदम कदम पर ऐसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जिससे निपटने के लिए उसे लोकसभा के साथ साथ राज्य सभा में भी संपूर्ण बहुमत होना जरूरी हो गया है। मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ राज्यों में प्रमुख चेहरों को दरकिनार कर साधारण चेहरों को उनकी जगह पर लाना सीधे तौर पर मोदी गारंटी का ही विशेष प्रयोग है। जिसका मकसद जनता में यह विश्वास पैदा करना की भाजपा में कोई खास नहीं होता। इसी तरह गांव स्तर से लेकर महानगरों के स्थानीय, क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय मुद्दों में भी मोदी गारंटी का डंका साफतौर से नजर आ रहा है। इसका मतलब भाजपा का कोई भी छोटे से छोटा एवं बड़े से बड़ा पदाधिकारी, पार्षद, विधायक, मंत्री यहां तक की मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री यह दावा नहीं जता सकते की यह विकास उसके निजी प्रयासों की देन है। उसे भी इसका श्रेय मोदी गारंटी को देना होगा। मतलब साफ है चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर बगावत करने वाले नेताओं के पास जनता के बीच  कहने को कुछ बचेगा ही नहीं।  सबकुछ तो मोदी गारंटी में जमा हो चुका होता है। यानि भाजपा के रणनीतिकारों ने मोदी गारंटी के नाम पर राजनीति का ऐसा चक्रव्यूह रच दिया है जिससे बाहर निकलना किसी भी भाजपाई के लिए अब अंसभव है। इसलिए 400 पार का नारा देना यह साबित करता है कि 2024 के बाद देश की राजनीति एकदम नए स्वरूप में जन्म लेने जा रही है जिसे जानने के लिए सबसे पहले मोदी काल को समझना होगा।