डंके की चोट पर : नेता- पत्रकार ईमानदार होने सच बोलने का दावा करे समझ जाइए आप बाजार में खड़े हैं

Pardeep ji logoरणघोष खास. प्रदीप नारायण 

यदि किसी राजनीतिक दल का पदाधिकारी, नेता, विधायक- मंत्री या मीडिया से पत्रकार खुद के लिए  बार बार ईमानदार होने जैसे शब्दों का इस्तेमाल करे तो समझ जाइए आप बाजार में खड़े हैं। जहां उन्हें अपना माल बेचने के लिए यह सब करना पड़ता है। राजनीति ओर मीडिया ऐसा आइटम है जिसका बाहरी डिजाइन ब्यूटी पार्लर में तैयार होती सुंदरता की तरह होता है। इसलिए कई बार भम्र हो जाता है की पत्रकार पत्रकारिता कर रहा है या अलग अलग चरित्र में खुद की बोली लगा रहा है। इसी तरह जब नेता ईमानदारी व सच की बात करे तो समझ लेना चाहिए राजनीति नाइट क्लब में मस्ती करने के बाद कपड़ों पर लगे दाग को साफ करने के लिए धार्मिक आयोजनों का रिबन काटने पहुंच गई है। मीडिया को पता नहीं क्यों लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है जबकि वह सूचनाओं की मंडी है जहां सभी तरह दुकानें है।  इसी तरह राजनीति समाजसेवा है का दावा भी उसी तरह है जिस तरह शराब के ठेके पर दूध- दही मिलने की उम्मीद करना। मीडिया ओर राजनीति का रिश्ता देखा जाए तो लिव इन रिलेशनशिप की तरह बन चुका है। समाज की नजरों में वे अलग अलग रहते हैं शाम होते ही एक ही घर में दिखते हैं। जो खुद को बड़ा मीडिया कहता है उसका चरित्र उस मॉडल की तरह है जो हाई प्रोफाइल कल्चर में रात के हॉट शो में रैंप पर अपनी अदाओं से शरीर को प्रस्तुत करती है। लेकिन दिन में आम समाज के सामने धार्मिक सीरियल में आदर्श बहू- बहन के रोल में नजर आती है। ऐसी स्थिति में राजनीति ओर मीडिया के मूल चरित्र को समझने ओर जानने का एक ही उपाय है जब भी ये खुद की तारीफों का पुल बांधे समझ लेना असलियत पर सच की पालिश कर आपके साथ छलावा किया जा रहा है। सच को कहने की कभी जरूरत नहीं पड़ती की वह सच है।   

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *