डंके की चोट पर : मित्र कहने से राव इंद्रजीत मजबूत होते हैँ तो फिर कमजोर कौन है?

-असली राव इंद्रजीत सिंह को देखना है तो 2014 से पहले उनके जलसों में उनके अंदाज को देखना व समझना होगा। सबकुछ तो बदला हुआ नजर आएगा।


Pardeep ji logoरणघोष खास. प्रदीप हरीश नारायण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 फरवरी को रेवाड़ी एम्स शिलान्यास आयोजन में यहां के दिग्गज नेता केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह को अपने संबोधन में दो बार मित्र कहा। अपनापन दिखाया ओर एम्स का श्रेय भी दिया। पीएम का इतना कहना ऐसा हो गया मानो राव की राजनीति को नया जीवन मिल गया हो। यहां से उनकी टिकट दावेदारी पर मोहर लग गई ओर उनकी सभी चाहत पूरी हो गईं। मीडिया के बाजार में इसे अपनी अपनी समझ के हिसाब से परोसा गया। जाहिर है राव इंद्रजीत सिंह को भी बेहतर महसूस हो रहा होगा। समर्थकों की खुशी  का क्या कहना मानो पीएम मोदी राजनीति का खजाना लूटा कर गए हो। दरअसल पीएम का यह अंदाज नया नहीं है। वे जहां भी आते जाते हैं अपनेपन के सबूत छोड़कर जाते हैं ताकि संबंधों में ताजगी बनी रहे। इसलिए पीएम के भाषण से बेशुमार अटकले निकालना बुरा नहीं है लेकिन उसे मान लेना जोखिमभरा हो सकता है।

एम्स शिलान्यास आयोजन पर ईमानदारी से गौर करिए। राजनीति का अंदाज पूरी तरह से बदल चुका है। मंच पर पीएम मोदी जब तक नहीं आए मजाल किसी नेता ने दो शब्द कहने की हिम्मत जुटाई हो। मंच संचालक ने जरूर अपने शब्दों से मोदी को लेकर उत्साहित भीड़ को संतुलित किया हुआ था। पीएम अपने सोशल मीडिया पर घोषित समय पर पहुंचे। यह समय का सम्मान था। आमतौर पर बड़े राजनीतिक आयोजनों में मुख्य नेता का दो तीन घंटे देरी से पहुंचना आदतन बन चुका है। मंच पर सीएम मनोहरलाल व राव इंद्रजीत सिंह को ही अपनी बात कहने का सीमित समय मिला। सम्मान करने की परंपरा भी चंद मिन्टों में निपट गईं। पहले तो लंबी कतार ही जल्दी से खत्म नहीं होती थी। पीएम मोदी के पीछे कुर्सियां भी गायब होकर मंच के सामने आम जनता के बराबर में नजर आईं। जहां अपने क्षेत्रों के असरदार नेता अनुशासित कार्यकर्ता की तरह बैठे हुए खुद को कद ओर हैसियत की तराजु में तोलते नजर आए।

राव इंद्रजीत सिंह की राजनीति को लंबे समय से समझने वाले बेहतर जानते हैं कि मंच पर उन्हें जो राव इंद्रजीत सिंह नजर आ रहा था दरअसल वे पिछले 10 सालों से भाजपा के केंद्रीय मंत्री हैं। असली राव इंद्रजीत सिंह को देखना है तो 2014 से पहले उनके जलसों में उनके अंदाज को देखना व समझना होगा। सबकुछ तो बदला हुआ नजर आएगा। राव इंद्रजीत दक्षिण हरियाणा से अकेले नेता है जो अपने पिता पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह के अंदाज से कदमताल करते हुए अपने मिजाज की राजनीति करते रहे हैं। इलाके के मुद्दों पर हरियाणा के मुख्यमंत्रियों से सीधे टकराना, दिल्ली में बैठी हस्तियों को हैसियत दिखाना ओर बताना इस परिवार की असली पहचान व अंदाज रहा है। लंबे समय तक देश की ताकतवर प्रधानमंत्री रही इंदिरा गांधी का हवाई चप्पलों में राव इंद्रजीत के घर रामपुरा में उनके पिता से मिलने आना यह बताता है कि यह परिवार खुद में एक राजनीतिक दल की तरह रहा। जो अपनी शर्तों पर राजनीति करने के इरादों से जाना जाता है।  2024 आते आते इतना सबकुछ बदल जाएगा। इसका ना तो राव इंद्रजीत सिंह ने सोचा था ओर ना ही उनके समर्थकों ने।  राव का पीएम मोदी के लिए लंबी उम्र की कामना करना खुद को बदला हुआ घोषित करना है या फिर भविष्य की बची सक्रिय राजनीति में बेटी आरती को स्थापित करने का रास्ता निकालना है। दरअसल मंच पर राव के तेवर हमेशा  सुर्खिया बटोरते रहे हैं। किसी की तारीफ भी करनी हो तो उसमें भी उनके रौबिले शब्दों का कब्जा रहा है। कुल मिलाकर पीएम मोदी ने रेवाड़ी आकर राव इंद्रजीत सिंह के वजन को अपनी तराजु से तोलकर सम्मान तो पूरा दिया है लेकिन यह नहीं बताया कि वजन कम है या ज्यादा। यह 2024 के लोकसभा व उसके बाद होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव में साफ तौर से नजर आएगा। इतना जरूर है कि भाजपा कब किस समय क्या निर्णय ले ले यह खुद भाजपा को ही नहीं पता । पिछले दिनों छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश एवं राजस्थान में हुए चुनाव से बने मुख्यमंत्रियों के नामों से इसे समझा व महसूस किया जा सकता है।