डंके की चोट पर : राम तो मर्यादा पुरुषोतम है हम इतना शोर क्यों मचा रहे हैं..

Pardeep ji logoरणघोष खास. प्रदीप हरीश नारायण

समझ में नहीं आ रहा किस राम को माने। घर में बने मंदिर के सामने सुबह शाम पूजा करने वाली दादी- मा- पिताजी के मुख से निकलने वाले राम को माने या फिर धर्म के बाजार में फीस- चढ़ावा लेकर रामकथा, प्रवचन व सत्संग करने वाले पुजारी, धर्म गुरु व कथा वाचक से तय होने वाले राम को।  इन दोनों में किसी एक को फाइनल करते है तो राजनीति में उबाल ला रहे राम का क्या करे। उसे अनदेखा करने का मतलब दुस्साहस करना । यहां भी किसी तरह हाथ पैर जोड़कर राम को एडजस्ट कर ले तो मीडिया वाले राम का क्या करे जो 24 घंटे पागलो की तरह बिना सिर पैर के चिल्ला रहा है।

घर में विराजमान राम के लिए ना तो फीस देनी पड़ती है ओर ना ही जोर जबरदस्ती होती है। आस्था- मर्यादा ओर संस्कार भी इधर उधर चहलकदमी करते नजर आते हैं। सबकुछ सहज रहता है। ना किसी का डर होता है ना किसी तरह का दबाव। इसलिए घर के भीतर रहने वाला राम मर्यादा पुरुषोतम का अहसास भी कराता है। जैसे ही कदम धर्म के बाजार में खुली दुकानों की तरफ चल पड़ते हैं। राम का स्वरूप ही बदल दिया जाता है। यहां आर्थिक संपन्नता मुख्य सेवक बनकर राम का अलग ही दर्शन कराती नजर आती है। यहां पर अर्थहीन रामभक्त की कोई हैसियत नहीं । राम कैसे किस रूप चरित्र में होंगे। यह प्रवचन व सत्संग करने वाले पुजारी, धर्म गुरु व कथा वाचक बताएंगे।  जाहिर है जितना ज्यादा चढ़ावा देंगे उतने ही आप खुद को राम के करीब पाएंगे। यहां भी किसी तरह निकल गए तो भी राम के लिए भटकाव बना रहेगा। राजनीति के मंदिर में विराजमान राम आपको अपने पास बुलाने के लिए इशारा करते रहेंगे। सहज भाव से आए तो ठीक नहीं तो परेशानी शुरू हो जाएगी। मिल मिलाकर आगे बढ़े तो मीडिया वाले राम अपनी अनदेखी होने पर गुस्से में आकर आपका चरित्र ही बिखेर देंगे । यहां पर अड गए तो खामियाजा भुगतना पड़ेगा।  इस तरह चार तरह के राम हमारे जीवन में रूटीन की तरह प्रवेश करते जा रहे हैं। जिसे देख पहले ही हमारे भीतर बेहतर इंसान के तौर पर विराजमान राम भी हैरान है जो खुद के प्रति जवाबदेह- ईमानदार है। यह राम माता पिता-समाज के लिए भी मर्यादा पुरुषोतम है। यह राम  मुस्करा रहे है की उसके चारों तरफ उसके नाम पर चार तरह के राम का आवरण कब अपना घेरा बना चुका हैं। होना कुछ नहीं बस कुछ समय के लिए भटकाव बना रहेगा ओर एक समय बाद चारों वहीं लौट जाएंगे जहां से चले थे।

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