डंके की चोट पर : हवाओं में जहर, श्री राम के आने की खुशी में यह कैसा स्वागत..

रणघोष खास. प्रदीप नारायण

पाप- अधर्म का नाश कर 14 साल वनवास पूरा करके लौटे श्री राम के अयोध्या लौटने पर जो खुशी मनाते हैँ उसे दीवाली कहते हैं। हिंदू धर्म के सबसे बड़े इस महापर्व के आने में अब एक सप्ताह भी नहीं बचा है। आसमान में चारों तरफ पसर चुकी जहरीली हवाओं ने एक बार फिर अजीब सा डर चारों तरफ कायम कर दिया है। दिल्ली में बच्चों को घरों के अंदर ही रहने के लिए कहा गया है। पता नहीं ओर क्या क्या होने जा रहा है। अब हर साल दीवाली पर प्रदूषण का डर फ्री मिल रहा है। घरों की छतो, गली मोहल्लों व बाजारों की सड़कों पर बिखरने वाले पटाखों के अवशेष आसमान में दौड़ती फिजाओं को जहरीला करने के बाद मुस्कराते हुए नजर आते हैँ। पटाखो को श्रीराम के आने की खुशी से जोड़ने वालों का धर्म बनता है कि वे इनके इस्तेमाल के बाद इनके पार्थिव शरीर को इकठठा कर जय श्री राम का नारा लगाते हुए गर्व के साथ आस पास के तालाब, नहर या हरिद्धार गंगा मैया में इनका विसर्जन करें। यह संभव नहीं है तो प्रार्थना सभा कर उन्हें नमन करें। पटाखों को सम्मान  इसलिए दिया है कि वे मर्यादा पुरुषोतम श्री राम के नाम पर कुर्बान हुए हैं। प्रतिबंध के बावजूद वे आसमान की छाती पर रातभर नृत्य करते हुए जहरीली धुआं निकाल तरह तरह की आवाजों में खुशियां मनाते नजर आते हैं।  पटाखों का विरोध करने वाले सही मायनों राम विरोधी है। भला साल में एक बार पटाखे छुड़ाने से हवाएं जहरीली कैसे हो सकती हैं। कोई फर्क नहीं पड़ता।  पटाखे छुड़ाने से हमारी दीपावली  की अराधना माता लक्ष्मी, भगवान श्री राम व अन्य देवी देवता खुश होते हैं। इस हिसाब से हमें हर रोज सुबह शाम घरों में पूजा करते समय पटाखे जरूर छुड़ाने चाहिए। मंदिरों में तो यह अनिवार्य कर देना चाहिए। कानून की परवाह नहीं करते हुए सबसे ज्यादा पटाखा बेचने वाले व चलाने वालों के सम्मान में समारोह होना चाहिए। जिसने पटाखों को जब्त किया उस पर सामाजिक व धार्मिक दंड तय होना चाहिए।  रही बात पर्यावरण व प्रकृति को बचाने की। कोविड-19 के हमलों में इसका उपाय तलाश लिया था। जिस तरह घरों में एलपीजी सिलेंडर सप्लाई होता है। उसके साथ अब छोटे छोटे एक से 20 किलो वजन के ऑक्सीजन सिलेंडर भी अनिवार्य कर दिया जाए। ज्यादा से ज्यादा आक्सीजन प्लांट लगाने के लिए सेमिनार किए जाए। इसके लिए सरकार सब्सिडी, लोन की व्यवस्था में जुट जाए। वह दिन दूर नहीं जब हमारी पीठ पर आक्सीजन कीट होगी और हम एक हाथ से आसमान में राकेट दागते नजर आएंगे। यही असली राम राज की तस्वीर होगी। आखिर यहीं चाहते हैं इसलिए मनाइए ऐसी खुशियां जिससे हवाएं जहरीली बनकर हमारे शरीर के फेफेड़ों को तहस नहस करते हुए हमें जिंदा लाश में तब्दील कर दे। डॉक्टरों की टीम उसका चीर फाड़ करते हुए उसके भीतर एक जिम्मेदार और बेहतर इंसान की खोजबीन करने का ऑप्रेशन करती नजर आए।   

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