डिजिटल पेमेंट लेता है ये भिखारी, सोशल मीडिया पर वायरल हुआ भीख मांगने का यह अनोखा तरीका

रणघोष खास. शोभित शील


बीते एक दशक में देश ने डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में एक बड़ी क्रान्ति देखी है और आज देश के कोने-कोने में लोग डिजिटल पेमेंट तकनीक जैसे यूपीआई आदि का सहारा लेकर लेनदेन कर रहे हैं। एक ओर जहां आम जनता के साथ ही इससे छोटे-बड़े कारोबारियों को भी काफी राहत पहुंची है, वहीं दूसरी ओर इसी डिजिटल पेमेंट ने एक भिखारी को इन दिनों लोकप्रिय बना दिया है।बिहार के रेलवे स्टेशन पर भीख मांगने वाला यह शख्स दरअसल यूपीआई के जरिये भी भीख लेता है और भीख मांगने का उसका यह तरीका इन दिनों लोगों के बीच काफी चर्चा बटोर रहा है।

बन गए ‘डिजिटल भिखारी’


बिहार के बेतिया रेलवे स्टेशन पर भीख मांगने का काम करने वाले राजू को अब अपने गले में क्यूआर कोड लटकाए हुए देखा जा सकता है, यह क्यूआर कोड दरअसल यूपीआई पेमेंट के लिए है। 40 साल के राजू बीते कई सालों से रेलवे स्टेशन पर भीख मांग कर अपना गुज़ारा कर रहे हैं। भीख के लिए यूपीआई पेमेंट लेने का आइडिया राजू को उन ऑटोवालों को देखकर आया है, जो अपनी सवारियों की सहूलियत के लिए उनसे डिजिटल मोड के जरिये किराया ले रहे हैं।राजू ने इसके लिए बैंक जाकर बाकायदा अपना खाता खुलवाया था और इसके बाद उन्होने खुद का ई-वालेट बनवाया था। राजू के अनुसार उनके पास आधार पहले से ही मौजूद था, जबकि उन्हें पैन कार्ड बनवाना पड़ा है।

नहीं चलेगा छुट्टा ना होने का बहाना


मीडिया से बात करते हुए राजू ने बताया है कि वे सालों से भीख मांग रहे हैं और कोरोना महमारी के चलते लागू हुए लॉकडाउन के दौरान उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। इस दौरान कुछ लोगों ने उन्हें मारकर भगा दिया था और इसके चलते उनके सामने खाने का संकट आ गया था। राजू के अनुसार, पहले लोग उन्हें छुट्टा ना होने का बहाना बनाकर भीख देने से माना कर देते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होता है।राजू लोगों से भीख के रूप में डिजिटल पेमेंट लेते हैं और ऐसे में बेतिया स्टेशन पर गुजरने वाले यात्री उन्हें यूपीआई पेमेंट के जरिये पैसे देते हैं। राजू के इस कदम से स्टेशन पर आने वाले यात्री भी हैरान हैं। चूंकि आज अधिकतम लोग यूपीआई पेमेंट का इस्तेमाल करते हैं और इसके चलते सभी के लिए यूपीआई के जरिये राजू को भीख देना आसान बन गया है।

परिस्थितियों ने बनाया भिखारी


स्टेशन से गुजरने वाले यात्री राजू को आमतौर पर 5 या 10 रुपये का यूपीआई पेमेंट करते हैं। आज राजू हर रोज़ 200 से 300 रुपये भीख के रूप में कमा लेते हैं। राजू ने मीडिया से बात करते हुए बताया है कि वे पहले भीख मांगने का काम नहीं करते थे, बल्कि सुपारी के साथ ही अन्य सामान इसी इलाके में बेंचते थे, लेकिन उनके साथ हुई चोरी की एक घटना ने उन्हें बर्बाद कर दिया। राजू के अनुसार, अपने शरीर के अधिक वजन को देखते हुए वे अब अधिक मेहनत वाला काम नहीं कर सकते हैं और इसी के चलते उन्होने भीख मांगना चुना है।

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