दक्षिण हरियाणा में महेंद्रगढ़- रेवाड़ी जिले की 7 सीटों पर कांग्रेस की कहानी सुनाती यह स्टोरी

अब दीपेंद्र के चेहरे में अपनी पहचान तलाश रहे  यहां के छोटे बड़े नेता  


IMG-20221214-WA0006[1]रणघोष खास. प्रदीप नारायण


कांग्रेस के धाकड़ नेता राज्य सभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुडडा अपने पिता पूर्व सीएम भूपेंद सिंह हुडडा की राजनीति विरासत का विस्तार करने में सफलता का आधार कार्ड बन गए हैं। जिस दक्षिण हरियाणा में जाट लीडरशिप को यादव नेताओं के सहारे ही राजनीति खुराक मिलती थी। अब स्थिति एकदम उलटी नजर आ रही है। रेवाड़ी- महेंद्रगढ़ की सात विधानसभा क्षेत्रों में दीपेंद्र के दौरे से कांग्रेस उठ खड़ी नजर आती है। उसके जाते ही चददर तानकर सो जाती है। रविवार को रेवाड़ी जिले के गांव बेरली में आयोजित हाथ से हाथ जोड़ों कार्यक्रम में स्थानीय छोटे बड़े नेताओं के दीपेंद्र के नजदीक बने रहने की होड़ यह बताने के लिए काफी थी कि वे जूनियर हुडडा के चेहरे में अपनी पहचान तलाश रहे हैं। कुछ दिन पहले पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव ने पूर्व सीएम भूपेंद्र हुडडा को अपने राजनीतिक जीवन में खलनायक की तरह पेश किया था। कप्तान में इतना कहने की ताकत होना लाजिमी है। वे अब कांग्रेस ओबीसी विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष है जिसकी धमक सीधे सोनिया गांधी- राहुल गांधी के दरबार में गूंजती है। इसलिए हुडडा के कद को बैलेंस करने के लिए कप्तान को विवादित होना पड़ता है। जबकि उसकी रिकवरी करने के लिए कप्तान के पुत्र रेवाड़ी से कांग्रेस विधायक चिरंजीव राव को दीपेंद्र के बराबर में बैठकर यह बताना पड़ रहा है कि ऐसा कुछ नहीं है। इसी तरह जेजेपी से रिश्ता तोड़कर वापस अपने घर लौटी पूर्व संसदीय सचिव अनिता यादव भी दीपेंद्र के दिलों दिमाग से उसी जगह को तलाश रही है जिसे वह छोड़कर चली गई थी।  यहां कोसली के पूर्व विधायक राव यादुवेंद्र सिंह का अंदाज वहीं रहा जिसकी वजह से वे अपनी अलग पहचान रखते हैं। कोसली में दीपेंद्र की मौजूदगी को यादुवेंद्र सिंह अपनी ताकत मानते हैं। यहां से मनोज कोसलिया भी हुडडा दरबार में पूरी हाजिरी लगाकर मौका तलाश रहे हैं। रेवाड़ी में कप्तान परिवार ही असली कांग्रेस है इसका अहसास हाईकमान में पूरी तरह कायम है। बावल से पूर्व मंत्री डॉ. एमएल रंगा  हुडडा परिवार के प्रति पूरी वफादारी में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। पीछे से अब रमेश ठेकेदार भी एंट्री कर गए हैं। माहौल के हिसाब से नया मजबूत चेहरा कभी भी किसी भी समय दिल्ली या चंडीगढ़ से चल सकता है। महेंद्रगढ़ से विधायक राव दान सिंह के राजनीतिक फैसले सही दिशा में जा रहे हैं। हुडडा परिवार के साथ हमेशा डटे रहना ओर पुत्र अक्षत राव को  दीपेंद्र की टोली से जोड़े रखना यह जाहिर करता है कि दक्षिण हरियाणा की इस छोटी सी विरासत को विपरित हालात में भी संभाले रखना महेंद्रगढ़ विधायक को बखूबी आता है। पिछले दिनों 30 अप्रैल को  नारनौल विधानसभा से रिटायर जिला एवं सत्र न्यायधीश राकेश कुमार ने भी स्नेह मिलन समारोह में दीपेंद्र हुडडा के हाथ को मजबूती से पकड़कर यह बता दिया कि यहां की जमीन पर कांग्रेस की फसल लहराने लगी है कटाई वहीं करेगा जिसके हाथों में हुडडा गंडासी थमाएंगे।  यहां से राजेश मांदी भी हुडडा के आइने में अपना राजनीति चेहरा देख रहे हैं। अटेली सीट पर यह साफ ही नहीं हो रहा है कि कांग्रेस की खेती की असली रखवाली कौन कर रहा है। यहां से 2009 में  अनिता यादव विधायक बनकर अभी तक अपने राजनीति वजूद को कायम किए हुए हैं। 2019 विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने के बाद अपने बेटे सम्राट के  साथ जेजेपी में शामिल होकर वापस आने का निर्णय अनिता की आगे की राह को कठिन बना रहा है। नारनौल में रहकर हुडडा के दुख सुख के सांझी रहे पूर्व मंत्री नरेंद्र सिह की नजरें अब वापस अटेली पर टिक चुकी है। यदुवंशी शिक्षण संस्थान के चेयरमैन एवं पूर्व विधायक राव बहादुर सिंह भी इस सीट की मैरिट सूची में अपना नाम देख रहे है।  चौटाला परिवार से अलग होकर वे अब एकमुश्त हुडडा परिवार से बेहद करीब होने के लिए उसी तरह का प्रयास कर रहे हैं जो अक्सर अपनी शिक्षण संस्थान में स्कालरशिप प्रतियोगिता से ज्यादा से ज्यादा दाखिला कराने के लिए  करते रहे हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर यहां से अपना भाग्य अजमा चुके  पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह के पोते एवं राव अजीत सिंह के बेटे अर्जुन राव भी खामोशी से राजनीति के बदलते घटनाक्रम पर नजरे रखे हुए हैं। हुडडा परिवार के उनका मेलजोल शेयर मार्केट की तरह ऊपर नीचे रहा है। उन्हें अपने परिवार की राजनीति विरासत की ताकत पूरा भरोसा है। इसके अलावा हुडडा खेमें से राधेश्याम गोमला, पूर्व जिला अध्यक्ष सुरेंद्र नंबरदार, युवा नेता लवली यादव इस दंगल में दो दो हाथ करने के लिए पूरी दंड बैठक लगा रहे हैं। नांगल चौधरी विधानसभा में हुडडा समर्थकों का कुनबा तेजी से पांव पैसार रहा है जिसमें पूर्व विधायक राधेश्याम शर्मा, मूलाराम के अलावा विनोद भील, प्रवीण चौधरी, सत्यपाल दहिया, जसवंत सहरावत, बबलू यादव, राजेश रावत लक्की ड्रा की तरह हुडडा परिवार का कूपन लेने में जुटे हुए हैं।

कुछ ऐसे चेहरे जिसका काम हुडडा की फसल की रखवाली करना

इसके अलावा हुडडा के पास ऐसे चेहरे भी है जिनका काम उनकी राजनीति फसल की रखवाली करना है। इनका मकसद चुनाव में टिकट की दावेदारी नहीं वफादारी को मजबूत करना है।  कोसली- अटेली विधानसभा की राजनीति जमीन पर बिना शोर मचाए हुडडा के नाम की खेती करते रहे पूर्व जिला पार्षद डॉ. अनिल ने अपना राजनीति अंदाज पूरी तरह से बदल लिया है। वे पर्दे के पीछे के खिलाड़ी की तरह अपना काम कर रहे हैं। इसी तरह  रेवाड़ी से महाबीर मसानी की राजनीति यात्रा पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव के निजी सचिव से खत्म होने के बाद पिछले पांच सालों से हुडडा परिवार के प्रांगण में हिलोरे मारते हुए दौड़ लगा रही है। रेवाड़ी विधानसभा में महाबीर मसानी के आयोजनों में शिरकत करके हुडडा परिवार भी कई बार कप्तान का बीपी शुगर चैक कर चुके हैं। 

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