देशभक्ति का लाइसेंस जारी करने की तारीख बन चुके हैं हमारे राष्ट्रीय पर्व

गणतंत्र दिवस के बहाने ही सही यह स्वीकार कर लिजिए आज देश की राजनीति आपके नागरिक अधिकारों और अस्तित्व को ख़त्म कर  चुकी है है। आप अंदर से खोखले व  खुद में दफन हो चुके हैं


रणघोष खास. प्रदीप नारायण


2 मई 2021 को पश्चिम बंगाल चुनाव रजल्ट के बाद पहली बार 23 जनवरी नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती कड़ाके की ठंड के बावजूद खून में गरमी पैदा करने में कामयाब रही। गांव की चौपाल से लेकर सत्ता के शीर्ष तक नेताजी इतने याद आए मानो अब उनकी 125 साल की उम्र में उनके रहस्यमय ढंग से गायब होने के राज से अब पर्दाफाश होने जा रहा है। इस तरह का माहौल बनाने का सारा श्रेय भाजपा प्रबंधन को जाता है। जिससे बौखलाई कांग्रेस की हालत खिसयानी बिल्ली खंभा नोंचने वाली हो चुकी है। नेताजी के जन्म के ठीक तीन दिन बाद गणतंत्र दिवस की तारीख आ रही है। इसके लिए भी देशभक्ति पैदा करने व दिखाने की अलग से तैयारी चल पड़ी है। सलाम करिए लता जी, किशोर दा, मोहम्मद रफी साहब समेत अनेक महान गायकों को जिनकी बदौलत देशभक्ति से ओत प्रोत गीत हमारे दिलों दिमाग में  कुछ समय के लिए अपने राष्ट्र के प्रति दीवाना, पागलपन का करंट पैदा करके चले जाते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर इस तरह की देशभक्ति को  24 घंटे अलग अलग अंदाज में लाइव देखा जा सकता है।कुल मिलाकर देश के मौजूदा माहौल में यह साफ तौर से नजर आ रहा है कि  भारत का युवा अब  जातिवाद और सांप्रदायिकता से कभी नहीं निकल पाएगा। इसकी चपेट में जाकर उसने अपनी राजनीतिक शक्ति खो दी है। नागरिक पहचान खो दी है। भारत का ख़ासकर हिन्दी प्रदेशों का अधिकांश युवा सिर्फ़ दो चीज़ों में सबसे अच्छा प्रदर्शन कर सकता है। सांप्रदायिक होने में। उसके बाद जातिवादी होने में। जातिवादी ही सांप्रदायिक होता है। सांप्रदायिक जातिवादी भी होता है। हिन्दी प्रदेश के युवाओं को उनकी जाति और धर्म के नायकों की तस्वीर दे दीजिए और उनके नाम और रंग का पट्टा दे दीजिए जिसे वे गले या सर में बांध सकें तो उन्हें ज़्यादा गर्व होता है। उनका पूरा व्यवहार ही बदल जाता है। चेहरे पर लाली आ जाती है। एक ग़ज़ब क़िस्म का कर्तव्य बोध आता है। उसे लगता है कि जाति और धर्म के उत्थान का काम ही उसे पोस्टर की तस्वीर के लायक़ बना सकता है। इसलिए परचून की दुकान से ज़्यादा धर्म और जाति के नाम पर संगठन हो गए हैं और इसके लिए मानव संसाधन की आपूर्ति युवाओं से ही होती है। उस हिसाब से हमारे राष्ट्रीय पर्व देश भक्ति का लाइसेंस बनाने व रिन्यू करने की तारीख बन चुके हैं।  पहले इसका टेंडर काफी समय से कांग्रेस के पास था अब भाजपा के कब्जे में हैं। जिस नेताजी ने देश की आजादी के लिए तुम मुझे खून दो मै तुम्हें आजादी दूंगा नारों से अंग्रेजों की औकात बता दी थी। क्या कोई बता सकता है कि आज हमारा यह खून आजाद देश की कौनसी तरक्की में काम आ रहा है। भाजपा का आरोप है कि जब जब कांग्रेस की सत्ता रही हमें गलत इतिहास पढ़ाया गया। उसे साफ सुथरा ओर गंगाजल की तरह पवित्र करने का समय आ चुका है। इसमें कोई दो राय नहीं  जब कांग्रेस राज था उसमें वहीं किया जो आज भाजपा अपने तयशुदा एजेंडे के साथ कर रही है। इस स्थिति को कोई अकेला नहीं बदल सकता। गणतंत्र दिवस के बहाने ही सही यह स्वीकार कर लिजिए आज देश की राजनीति आपके नागरिक अधिकारों और अस्तित्व को ख़त्म कर  चुकी है है। आप अंदर से खोखले व  ख़त्म हो चुके हैं(

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